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मूल रूप से बिहार के गया के रहने वाले सुशील की अब तक की जर्नी, संघर्ष, आनेवाले प्रोजेक्ट्स पर उर्मिला कोरी की हुई लंबी बातचीत...

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फंस गए रे ओबामा , जॉलीएलएलबी २, आर्टिकल 15,महारानी,ह्यूमन जैसे प्रोजेक्ट्सका हिस्सा रहे चरित्र अभिनेता सुशील पांडे इन दिनों ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म अनेक में अलहदा अंदाज़ में नज़र आ रहे हैं. धीरे -धीरे अपनी खास बनती पहचान से सुशील उत्साहित हैं कि अब इंडस्ट्री ना सिर्फ उनके काम को नोटिस कर रही है बल्कि सराहना भी करती है. मूल रूप से बिहार के गया के रहने वाले सुशील की अब तक की जर्नी, संघर्ष, आनेवाले प्रोजेक्ट्स पर उर्मिला कोरी की हुई लंबी बातचीत…

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फिल्मों में रुझान कैसे हुआ, कब तय किया कि एक्टिंग को अपना प्रोफेशन बनाना है?

बिहार में ऐसी जगह पर पला बढ़ा हूँ, फिल्मों से मेरा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था, लेकिन हां मेरे स्कूल में महीने के आखिरी रविवार को एक फिल्म दिखाई जाती थी. शहीद जैसी देशभक्ति के टाइप की फिल्में दिखाई जाती थी तो वही सब पहली फिल्में थी.उन्ही दिनों वीसीआर में भी फिल्में दिखाई जाने लगी थी. मुझे याद है वीसीआर पर मैं एक फिल्म देख रहा था मिथुन चक्रवर्ती की इलाका. उस वक़्त मैं चौथी क्लास में था.मैं टीवी स्क्रीन के सबसे आगे बैठा था ताकि सबसे अच्छा दिखे.वो पिक्चर देखते -देखते मुझे कुछ तो हुआ,उसी वक़्त तय कर लिया कि और कुछ नहीं करना है , बस ऐसा ही कुछ. मैंने कभी कोई नौकरी का फॉर्म नहीं भरा. १० क्लास पास करने के बाद अपने गांव में रामलीला करने लगा . हमारे गांव में दुर्गापूजा पर नौ दिनों का राम लीला होता है.मैं उसमें छोटा बंदर बनता था. शहवाल जी रामलीला करवाते थे. मैं उनसे ऐसे लटका रहता था कि उनके घर की सब्जी , सिलेंडर सब ले आता था ताकि मेरा बंदर का रोल ना कटे.कॉलेज में थिएटर करना शुरू किया.उसी बीच पापा की मौत हो गयी और मैं सेल्फ ज़ोन में चला गया.मां उस वक़्त बहुत परेशांन रहती थी कि दिन भर नाटक, नौटंकी में रहता है. कुछ पढ़ ले , तो मैंने होटल मैनेजमेंट किया, वो भी इसलिए कि ट्यूशन टीचर ने कहा था कि इस काम में आपको एसी में रहना पड़ता है और एसी में आप गोऐ – गोरे और सुन्दर हो जाओगे. लगा चलो एक्टिंग के लिए तैयार होता रहूँगा. मैंने ताज में नौकरी की है , लेकिन मैं हमेशा थिएटर से जुड़ा रहा.बॉसेज भी अच्छे थे वो ड्यूटी एडजस्ट कर देते रहे हैं..ज़िन्दगी ऐसे चल रही थी. एक दिन मां ने फ़ोन किया , बोली बहुत दुखी लग रहे हो आवाज़ से , मैंने जवाब दिया अच्छा नहीं लग रहा ,उन्होंने दो सेकेंड की चुप्पी ली फिर बोला कि नौकरी छोड़ दो. उसके बाद मैं फिर से एक्टिंग से जुड़ गया. २००७ में मुंबई आ गया. आते ही काम तो नहीं मिला लेकिन होटल बैकग्राउंड के लोगों ने छोटा – मोटा काम दे दिया तो रोजी – रोटी के साथ – साथ संघर्ष भी चलता रहा.टीवी में काम मिलने लगा ,जॉलीएलएलबी टर्निंग पॉइंट था. उसके बाद टीवी में भी अच्छा पैसा मिलने लगा. जो महीने भर की शूटिंग से पैसा आता था अब वो आठ से दस दिन में ही मिल जाने लगा.धीरे- धीरे और फिल्में मिलने लगी.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स की शूटिंग स्थिति क्या है?

अनुभव सिन्हा की फ़िल्म भीड़ और सुभाष कपूर की महारानी 2 की शूटिंग खत्म हो गयी है. इस साल के अंत तक ओटीटी पर महारानी २ स्ट्रीम हो जानी चाहिए.मुखबिर कीभी शूटिंग पूरी हो गयी है. स्पेशल ऑप्स वाले शिवम् नायर निर्देशक हैं , एक बार फिर उन्होंने उस लेवल का शो बनाया है.

महारानी में आपका किरदार आपके निभाए गए किरदारों से काफी अलग है ?

महारानी में जब मेरी कास्टिंग हुई , तो मुझे भी लगा कि यह मेरे अब तक के किरदार से काफी अलग है. अब तक मुझे सिंपल आदमी , गरीब आदमी के तौर पर ही देखा गया.पहली बार पर्दे पर दबंग बना हूं. मुझे भी यकीं नहीं हुआ था कि मेरा ये रोल है.मेरे मन में ये भी चल रहा था कि बोल तो रहे हैं ,लेकिन क्या सही में ये रोल मुझे देंगे या नहीं.मैं चुप ही था, जेहन में ये भी था कि कहीं मामला गड़बड़ा ना जाए. किरदार के लुक से लेकर कॉस्ट्यूम तक सब कुछ उन्होंने ही तय किया था.

महारानी 2 में आपका किरदार क्या और ज़्यादा सशक्त हो गया है ?

कुंवर सिंह की जो दुनिया है , वो वही है. उसका माइंडसेट भी ज़्यादा नहीं बदला है, लेकिन जो राजनीतिक परिपेक्ष्य था पार्ट वन का, जिसमें सेट किया गया था, उससे कहानी आगे बढ़ गयी है.हालात बदल गए हैं ,तो वह भी इस बदले हालात में अपने लिए फायदा ढूंढ रहा है.ऐसे में उसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की भी कमी नहीं है , उसके किरदार में एक और लेयर आएगा.बहुत अच्छी राइटिंग इस सीजन की भी है.आपको और करीब से उस दौर की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिपेक्ष्य को समझने का मौका मिलेगा. इस सीजन नए किरदार भी कमाल के आए हैं , मैंने तो बोला सर मेरे किरदार की प्लास्टिक सर्जरी करवाकर इस किरदार में बदल दीजिए.

महारानी की कहानी बहुत हद तक बिहार के एक कालखंड से प्रेरित है,आप खुद भी वहां से हैं?

मुझे लगता है कि सभी को थोड़ा जागरूक रहने की ज़रूरत है कि हमारे समाज में आर्थिक, राजनीतिक और सामजिक तौर पर क्या उठा- पटक हुई है उसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए. उनदिनों का जो बिहार है, मुझे वो अच्छी तरह से याद है क्यूंकि मैं वहीँ था.हिंसा अपने चरम पर थी. इंसानी जान की कोई कीमत नहीं थी.अब वो सोचता तो दिल काँप जाता है,लेकिन उस वक़्त वो बात आम थी क्यूंकि जैसे वीडियो गेम में गोलियां चलती थी , वैसे गोलियां चलती थी.अच्छा उसने मार दिया,अब उसका भाई आएगा ,वो उसको मारेगा. यह हमारे लिए इतना सिंपल था. अब हालात बहुत बेहतर हो गए हैं , इसमें सरकार से ज़्यादा मैं बिहार के युवाओं को श्रेय देना चाहूंगा.उन दिनों माइग्रेशन बहुत हो रहा था.माइग्रेशन की वजह से दूसरे राज्यों को देखा ।वहां की कानून व्यवस्था को जाना तो अब बिहार में भी वही चाहते हैं.

बिहार से अभी भी कितना जुड़ाव रह पाया है?

एक जन्मभूमि है , एक कर्मभूमि है. दोनों से ही बहुत लगाव है.मुंबई की सबसे खास बात ये है कि आप कहाँ से हैं? कौन है ?इसको जानने में किसी की रूचि नहीं है. आप किस तरह के इंसान हैं , क्या काम करते हैं ,लोगों को यही जानने की रूचि है. बिहार में तो पूरा परिवार रहता है. मैं गया से हूँ तो साल में एक बार के लिए समय निकाल ही ले लेता हूँ.

पीछे मुड़कर जब आंकलन करते हैं तो अभी संघर्ष कितना आसान हो गया है?

पीछे मुड़कर देखता हूँ , तो मुझे ये सब सपने जैसा लगता है. मैं जो भी काम पाया. ऑडिशन दे -दे देकर तीन दिन का कभी पांच दिन का काम करके शुरुआत की. अब थोड़ा आसान हो गया है अब मुझे भी स्क्रिप्ट मिलती है. थोड़ा बदलाव आया है.मैंने कभी बहुत ज़्यादा एक्सपेक्टेशन नहीं की , मैं कल भी यही सोचता था और आज भी यही सोचता हूँ कि जो काम मुझे मिलता है , उसमें क्या मैं बेहतरीन कर सकता हूँ.यही कोशिश करती हूँ.अब मुझे डायरेक्ट कोई रोल मिल जाता है तो यकीं नहीं होता कि इतनी आसानी से मिल गया.,मुझे अभी भी लगता है जब लोग बुलाते हैं कि ऑडिशन के लम्बे प्रोसेस से गुज़रना पड़ेगा..

आर्थिक तौर पर कितना खुद को सुरक्षित किया हैं ?

पिछले कुछ सालों में ठीक है.वैसे आर्थिक जो सुरक्षा हैं,वो मुझे भ्रम लगती है , इतनी बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां हैं, उनको भी पैसों की ज़रूरत रहती है. जब से मैं आया हूँ, ज़रूरत के हिसाब से पैसे मिल जाते हैं.टीवी में भी जब मैं काम करता था, तो मिल ही जाता था ,भले थोड़ा कम मिलता था. अब घर ले लिया हूँ. एक छोटी सी कार ले लिया हूँ.आपको मेरी बात झूठी लग सकती है, लेकिन बैंकिंग का सारा काम मेरी पत्नी देखती है. कहाँ से पैसा आएगा . कहाँ से जाएगा. ये सब मेरे मैनेजर से वही बात करती है।मेरी जरूरतें भी बहुत कम है. चाय कॉफी पी ली. बस उतना ही. मेरे पास एक कार्ड होता है,बस उसका इस्तेमाल मैं उसके लिए कर लेता हूं और मुझे कुछ समझ नहीं आता है.

सबसे महंगा तोहफा खुद को या अपनी पत्नी को क्या दिया है?

मेरी पत्नी की एक शिकायत सालों से थी कि हमारी सगाई में आपने डायमंड की अंगूठी नहीं दी थी, तो वो उनको दिया.अपने लिए सबसे महंगा, तो मैंने अब तक जूता ही खरीदा है. वो भी रेड टेप का ही लिया. कोई बड़ा ब्रांड नहीं,लेकिन मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी कि क्योंकि सात हजार का था. इससे महंगा जूता है.

क्या लुक का भी अब बहुत ध्यान दिया जा रहा है ताकि अलग किरदारों में भी फिट बैठ सकें?

मैं फिट रहने के लिए जिम जाता हूं. डोले शोले बनाने नहीं,एक्टर की ड्यूटी है खुद को फिट रखनामेकओवर डायरेक्टर का काम होता है .अनेक में मेरा लुक अनुभव सिन्हा ने तय किया था।वैसे ही सुभाष जी ने महारानी में.मुझे लगता है कि आप एक्टर के तौर पर खुद को तैयार कीजिए पढ़कर, सोच से।वैसे अच्छे कपड़े पहनने को मिलते हैं तो अच्छा लगता है. मेरे घरवाले भी बोलते हैं चलो तुमको कपड़े अच्छे मिले।एक मेरे दोस्त ने फ़ोन किया पटना से. वो ना फ़िल्म पर बात कर रहा है.किसी भी चीज़ पर बात नहीं कर रहा है।बस इतना ही बोले जा रहा है कि यार फ़िल्म अनेक में तेरा जैकेट मस्त था.

आप अक्षय,राजकुमार और आयुष्मान खुराना के साथ काम कर चुके हैं, उनके साथ बॉन्डिंग को कैसे परिभाषित करेंगे?

अक्षय कुमार जी के साथ जब मैं फ़िल्म जॉलीएलएलबी 2 कर रहा था,तो मुझे लगा कि बहुत बड़े आदमी हैं. थोड़ा दूर ही रहता हूँ.मैं बताना चाहूंगा कि वो खुद चलकर मेरे पास आए और मैं कुछ बोलूं उससे पहले उन्होंने बोला कि यार मैंने तुम्हें एक शो में देखा है कोई क्राइम का.मैंने कहा हां सर क्राइम पेट्रोल और अक्षय कुमार ने मुझे गले लगा लिया.राजकुमार के साथ फ़िल्म भीड़ की है वो बहुत ही मजाकिया हैं.आप उनके साथ हंसे बिना नहीं रह सकते हैं. हमने लगभग एक साथ ही बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की है. आयुष्मान खुराना के साथ दो फिल्में की हैं. बहुत समय एक दूसरे के साथ बिताया है.हमारा स्मॉल टाउन वाला भी कनेक्शन है. वो बहुत ही अच्छे इंसान हैं और बहुत जानकर भी तो उनके साथ बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

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