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एक बार फिर टूटा लालू यादव का राष्ट्रपति बनने का सपना, 2017 में भी भरा था पर्चा, जानिए क्या है पूरा मामला

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बिहार के छपरा जिले के रहने वाले लालू यादव का राष्ट्रपति बनने का सपना इस बार भी अधूरा रह गया. प्रस्तावकों की कमी की वजह से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया है.

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देश के अगले राष्ट्रपति कौन होंगे इसपर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू हैं तो वही विपक्ष के उम्मीदवार यसवंत सिन्हा हैं. लेकिन इस मुकाबले में एक तीसरे उम्मीदवार ने भी शामिल होने की कोशिश की परंतु उनका नामांकन ही रद्द हो गया. यह व्यक्ति है बिहार के छपरा जिले के रहने वाले लालू यादव की. इस बार भी लालू का राष्ट्रपति बनने का सपना अधूरा रह गया. लालू ने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया तो था पर आवश्यक प्रस्तावकों के अभाव में वह रद्द हो गया है.

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पहले भी भरा था पर्चा 

लालू प्रसाद यादव ने इस बात की जानकारी देते हुए खुद बताया की उन्होंने पूरी कोशिश की वह 100 प्रस्तावक की व्यवस्था कर सकें पर वह अपनी इस कोशिश में असफल रहें. वह सिर्फ 30-35 प्रस्तावक ही जुटा पाए. इसके पहले भी 2017 में उनकी नामजदगी प्रस्तावक के अभाव में रद्द हो गई था. बता दें कि लालू यादव वह शख्स हैं जिन्होंने अपना नामांकन पर्चा वार्ड पार्षद, लोकसभा, विधानसभा व विधान परिषद के कई चुनावों में भरा है और इन सब चुनावों में वह अपना भाग्य आजमा चुके हैं.

2001 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर 

लालू यादव का चुनावी सफर वर्ष 2001 में शुरू हुआ था. उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव 2001 में ही मढ़ौरा नगर पंचायत के वार्ड पार्षद का लड़ा था. फिर 2006 और 2011 में भी अपने नगर पंचायत के वार्ड पार्षद चुनाव में कूदे, लेकिन इन तीनों चुनावों में नाकामयाबी ही हाथ लगी. इसके बाद इन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी छपरा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा लेकिन हार गए.

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आखिरी सांस तक लड़ेंगे चुनाव 

सारण जिले के मढ़ौरा नगर पंचायत क्षेत्र स्थित यादव रहीमपुर के निवासी लालू यादव नामांकन रद्द होने पर अपने गांव वापस तो लौट आए हैं. लेकिन उन्होंने कहा है कि उनका यह प्रयास उनकी आखिरी सांस तक जारी रहेगा. देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में उन्हें पूरा विश्वास है.

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