27.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 02:04 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आदर्श हैं डॉ कादंबिनी गांगुली

Advertisement

देश में भले ही महिलाओं को उच्चतर शिक्षा पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन कादंबिनी गांगुली के रूप में भारत को पहली महिला डॉक्टर 19वीं सदी में ही मिल गयी थी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जिस समय देश अंग्रेजों का गुलाम था, उस दौरान दो भारतीय महिलाओं ने चिकित्साशास्त्र के क्षेत्र में अपूर्व कामयाबी हासिल की- बंगाल की कादंबिनी गांगुली और आनंदीबाई जोशी. दोनों ने वर्ष 1886 में मेडिकल में अपनी डिग्री ली थी. दोनों में फर्क सिर्फ इतना था कि कादंबिनी गांगुली ने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली थी. वहीं आनंदीबाई जोशी ने अमेरिका के पेंसिल्वेनिया के महिला मेडिकल कॉलेज से अपनी डिग्री हासिल की थी.

दुर्भाग्य से आनंदीबाई जोशी का करियर काफी छोटा रहा और 1887 की शुरुआत में 21 साल की उम्र में ही तपेदिक से उनकी असामयिक मृत्यु हो गयी. दक्षिण एशिया में पश्चिमी चिकित्सा पद्धति में प्रशिक्षण लेने वाली पहली महिला थीं डॉ कादंबिनी. उस समय उनकी पढ़ाई और नौकरी के लिए उच्च कुलीन वर्ग में उन्हें काफी बुरा-भला कहा गया, लेकिन उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की. वे जीवन भर महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ती रहीं.

कादंबिनी गांगुली का जन्म 18 जुलाई, 1861 को भागलपुर में हुआ था. वे 1884 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने वाली पहली महिला थीं, जो उस वक्त की एक असाधारण उपलब्धि थी, क्योंकि तब मेडिकल संस्थान में दाखिला लेने वाले सभी लोग पुरुष होते थे. भारत की पहली महिला डॉक्टर होने के अलावा वे मुखर कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी भी थीं. उनके पिता भारत के पहले महिला अधिकार संगठन के सह-संस्थापक थे.

डॉक्टर बनने से पहले कादंबिनी गांगुली ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई की और साथी चंद्रमुखी बसु के साथ 1882 में इतिहास में स्नातक करने वाली पहली महिला बनी थीं. स्नातक होने के तुरंत बाद कादंबिनी गांगुली ने प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता द्वारकानाथ गांगुली से शादी कर ली. उनके पति ने उन्हें मेडिकल डिग्री लेने के लिए प्रोत्साहित किया. उनके पति द्वारकानाथ भी महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करते थे.

कादंबिनी गांगुली 1886 में दक्षिण एशिया में यूरोपीय चिकित्सा में शिक्षा लेने वाली पहली महिला डॉक्टर बनीं. इसके बाद वे विदेश गयीं और ग्लासगो एवं एडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च डिग्रियां प्राप्त की. देश में भले ही महिलाओं को उच्चतर शिक्षा पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन कादंबिनी गांगुली के रूप में भारत को पहली महिला डॉक्टर 19वीं सदी में ही मिल गयी थी.

उन्हें न सिर्फ भारत की पहली महिला चिकित्सक बनने का गौरव हासिल हुआ, बल्कि वे पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपीय मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था. साल 1892 में कादंबिनी गांगुली ब्रिटेन गयीं और डबलिन, ग्लासगो व एडिनबर्ग से आगे की ट्रेनिंग हासिल की. वहां से लौटने के बाद कादंबिनी गांगुली ने स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में अपना करियर शुरू किया और कलकत्ता के लेडी डफरिन अस्पताल में काम करने लगीं. कलकत्ता के इस अस्पताल में कादंबिनी गांगुली ने अपने अंतिम दिनों तक प्रैक्टिक्स जारी रखा.

द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए काफी प्रयत्नशील थे. कादंबिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं. उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को प्रश्रय दिया. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादंबिनी बहुत प्रभावित थीं. उन रचनाओं ने उनके भीतर देशभक्ति की भावनाएं जगायी थीं. वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगी थीं. जीवन भर वे महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ती रहीं.

डॉ गांगुली 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पांचवें सत्र में शामिल छह महिला प्रतिनिधियों में से एक थीं. उन्होंने बंगाल के विभाजन के बाद 1906 में कलकत्ता में एक महिला सम्मेलन का आयोजन भी किया था. महात्मा गांधी उन दिनों अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध ‘सत्याग्रह आंदोलन’ चला रहे थे. कादंबिनी ने उस आंदोलन की सहायता के लिए कलकत्ता में चंदा जमा किया था.

वर्ष 1908 में उन्होंने सत्याग्रह के साथ सहानुभूति व्यक्त करने के लिए कलकत्ता की एक बैठक का आयोजन करने के साथ उसकी अध्यक्षता भी की थी, जो दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसवाल में भारतीय मजदूरों को प्रेरित करती थी. उसने श्रमिकों की सहायता के लिए धनराशि की सहायता से धन एकत्र करने के लिए एक संघ का गठन किया. वर्ष 1914 में जब गांधी जी कलकत्ता आये, तो उनके सम्मान में आयोजित सभा की अध्यक्षता भी डॉ कादंबिनी ने ही की थी. उनका निधन तीन अक्तूबर, 1923 को हुआ था. पिछले वर्ष उनकी 160 वीं जयंती पर इंटरनेट सर्च ईंजन ने गूगल ने उनका एक डूडल बना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें