18.4 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 02:45 am
18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आजादी का अमृत महोत्सव : आंदोलनकारी गीतों ने कनकलता बरुआ को बनाया क्रांतिकारी

Advertisement

गीतों से प्रभावित और प्रेरित हुई . इन गीतों ने कृष्णकांत बरुआ के घर में हुआ था .जब वह छोटी थीं ,तभी उनके माता - पिता का निधन हो गया .नानी ने उनका पालन - पोषण किया .मई 1931 में जब गमेरी गांव में रैयत सभा हुई ,तब कनकलता सिर्फ सात वर्ष की थीं .

Audio Book

ऑडियो सुनें

आजादी का अमृत महोत्सव : कनकलता बरुआ का जन्म 22 दिसंबर, गीतों से प्रभावित और प्रेरित हुई. इन गीतों ने कृष्णकांत बरुआ के घर में हुआ था. जब वह छोटी थीं ,तभी उनके माता – पिता का निधन हो गया. नानी ने उनका पालन – पोषण किया. मई 1931 में जब गमेरी गांव में रैयत सभा हुई, तब कनकलता सिर्फ सात वर्ष की थीं. उन्होंने मामा देवेंद्रनाथ और यदुराम बोस के साथ सभा में हिस्सा लिया. सभा के अध्यक्ष प्रसिद्ध नेता ज्योति प्रसाद अगरवाला थे. वह असम के प्रसिद्ध कवि थे और उनके गीत घर-घर में लोकप्रिय थे. कनकलता बरुआ उनके रैयत अधिवेशन में भाग लेने वालों को राष्ट्रद्रोह के आरोप में बंदी बना लिया गया. इसके बाद असम में क्रांति की आग फैल गयी. कांग्रेस के बंबई अधिवेशन में 8 अगस्त,1942 को ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित हुआ. असम के शीर्ष नेता मुंबई से लौटते ही गिरफ्तार कर जेल में डाल दिये गये. अंत में ज्योति प्रसाद आगरवाला ने नेतृत्व संभाला. स्वमंत्रता आंदोलन की सफलता के लिए उनके नेतृत्व में गुप्त सभाएं की गयीं.

शादी की बजाय देश की आजादी को कनकलता ने दी प्राथमिकता

पुलिस के अत्याचार बढ़ गये और स्वतंत्रता सेनानियों से जेट भर गयीं. कई लोग पुलिस गोली के शिकार हुए. अंग्रेजी शासन के दमन चक्र के साथ आंदोलन भी बढ़ता गया. उस समय तक कनकलता विवाह के योग्य हो चुकी थीं, लेकिन उन्होंने शादी की बजाय देश की आजादी को प्राथमिकता दी. भारत की आजादी के लिए वह कुछ भी करने को तैयार थीं. एक गुप्त सभा में 20 सितंबर, 1942 को तेजपुर की कचहरी पर तिरंगा फहराने का निर्णय लिया गया. उस दिन तेजपुर से 82 मील दूर गहपुर थाने पर तिरंगा फहराया जाना था. कनकलता भी मंजिल की ओर चल पड़ी.

गोलियों की परवाह किये बगैर अंतिम क्षण तक बलिदानी युवकों का किया नेतृत्व

कनकलता आत्म बलिदानी दल की सदस्या थीं. गहपुर थाने की ओर चारों दिशाओं से जुलूस उमड़ पड़ा था. दोनों हाथों में तिरंगा झंडा थामे कनकलता जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं. नेताओं को संदेह हुआ कि कनकलता और उसके साथी कहीं भाग न जाए, लेकिन वह आगे बढ़ती रहीं. जत्थे के सदस्यों में थाने पर झंडा फहराने की होड़ सी मच गयी. थाने का प्रभारी पीएम सोम जुलूस को रोकने सामने आ खड़ा हुआ. उसने गोली से उड़ा देने की चेतावनी दी कनकलता बढ़ती रही. पुलिस ने गोलियों की बौछार कर दी. पहली गोली कनकलता ने अपनी छाती पर झेली. कनकलता गोली लगने पर गिर पड़ी, पर उनके हाथों का तिरंगा झुका नहीं .

कनकलता का साहस देख युवकों का जोश और भी बढ़ गया

उनका साहस देख युवकों का जोश और भी बढ़ गया. कनकलता के हाथ से तिरंगा लेकर गोलियों के सामने सीना तान कर वीर बलिदानी युवक आगे बढ़ते गये. एक के बाद एक गिरते गये, लेकिन झंडे को न तो झुकने दियान ही गिरने दिया. आखिरकार, रामपति राजखोवा ने थाने पर झंडा फहरा दिया. शहीद मुकंद काकोती के शव का तेजपुर नगरपालिका के कर्मचारियों ने गुप्त रूप से दाह संस्कार कर दिया, पर कनकलता का शव स्वतंत्रता सेनानी कंधों पर उठा कर उनके घर तक ले गये. उनका अंतिम संस्कार बोरगबाड़ी में ही किया गया प्राणों की आहुति देकर उन्होंने आजादी की लड़ाई को और मजबूत कर किया.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें