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शहद के स्टार्टअप से प्रधानमंत्री के दिल में उतरे गोरखपुर के निमित, आज दो करोड़ सालाना का है टर्नओवर, पढ़ें

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गोरखपुर के रहने वाले निमित का पीएम ने अपनी मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया. साथ ही उनके स्टार्टअप की काफी प्रशंसा भी की. निमित के स्टार्टअप का एक छोटा प्रयास आज सलाना दो करोड़ रुपये के टर्नओवर का रूप ले चुका है.

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Gorakhpur News: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गोरखपुर के निमित सिंह का अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जिक्र किया तो पूरे गोरखपुर का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. प्रधानमंत्री ने सिर्फ निमित का नाम ही नहीं लिया बल्कि उन्हें दूसरे युवाओं के लिए एक नजीर भी बताया. आइए जानतें हैं कि कौन हैं निमित और उन्होंने ऐसा क्या है जो पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की.

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दरअसल, गोरखपुर के रहने वाले 30 वर्षीय निमित प्रतिवर्ष 25 से 30 टन शहद का उत्पादन करते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने बीते 4 वर्षों में ‘मधुमक्खी वाला’ नाम की एक कंपनी भी तैयार कर ली है. उनकी कंपनी में 37 व्यक्ति काम करते हैं. इनके अलावा 700 किसान भी इनकी कंपनी से जुड़े हुए हैं. मधुमक्खी पालन और खुद के ब्रांड के शहद उत्पादन के आइडिया ने आज निमित को पूरे देश में फेमस कर दिया है.. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से अनुदानित लोन लेकर अपने स्टार्टअप को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाले निमित की चर्चा रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में की है. प्रधानमंत्री ने उनके स्टार्टअप की काफी सराहना की और उन्हें युवाओं के सामने एक नजीर के रूप में पेश किया.

निमित सिंह गोरखपुर की दिव्य नगर कॉलोनी के रहने वाले हैं और वे मधुमक्खी वाला ब्रांड के नाम से शहद का कारोबार करते हैं. निमित ने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से सन 2014 में मैकेनिक ट्रेड से बीटेक की पढ़ाई की है. शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने नौकरी करने की बजाय खुद का स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया. निमित के पिता डॉक्टर के एन सिंह ने उन्हें मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में स्टार्टअप लगाने की सलाह दी. जिसके बाद मधुमक्खी पालन की शिक्षा के लिए वे झारखंड समेत आधा दर्जन राज्यों में भ्रमण पर निकल गए. जहां उन्होंने मधुमक्खी पालन का तौर तरीका सिखा.

निमित ने 2016 में 50 बॉक्स से मधुमक्खी का पालन शुरू किया. इनसे तैयार शहद को उन्होंने खुद ही बाजार में उतारने का निर्णय लिया. फिलहाल, उनकी राजधानी में अपने खुद के ब्रांड की एक ब्रांंच भी है. जहां से शहद की बिक्री होती है.

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से शुरू किया  स्टार्टअप

निमित ने अपने ब्रांड की शहद की मांग को देखते हुए अपने उत्पाद को विस्तार देने के लिए सन 2018 के अंत में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 10 लाख का कर्ज लिया और बाराबंकी की फतेहपुर ब्लॉक की रजौली गांव में एक फैक्ट्री डाली. जहां पर मशीन और अन्य उपकरणों द्वारा शहद की छनाई से लेकर पैकिंग तक के काम होते हैं. शहद से मोम और पराग भी निकाला जाता है. निमित बताते हैं कि वह शहद के कई तरह के उत्पाद तैयार करते हैं. कारोबार को और विस्तार देने के लिए प्रधानमंत्री माइक्रोफूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज स्क्रीन से 15 लाख रुपए का लोन और लिया है.

मार्केट में ला चुके हैं कई तरह के शहद

निमित सिंह सिर्फ मधुमक्खी का पालन ही नहीं करते हैं, बल्कि उससे निकले शहद पर निरंतर शोध भी करते हैं. अपने रिसर्च से वह अलग अलग फूलों, फलों वाले आठ प्रकार के स्वाद और मेडिसिनल गुणों वाले शहद को बाजार में उतार चुके हैं. निमित सिंह अपने शोध का हवाला देकर बताते हैं कि जहां सरसों, लीची, जामुन, यूकेलिप्टस, नीम, बबूल, तिल, तुलसी आदि की फसलें हैं, वहां पर वैसे ही सुंगध, स्वाद, रंग और औषधीय गुण वाला शहद तैयार हो रहा है. उन्होंने जिस फल या फूल के तत्व से शहद बनाया है, उसी के मुताबिक नाम देकर बाजार में उतारा है.

शहद के मोम से 115 परिवारों को रोजगार से जोड़ा

निमित ने सिर्फ शहद के कई फ्लेवर ही नहीं तैयार किए बल्कि इसके बचे मोम से मोमबत्ती, खिलौने, साबुन आदि भी तैयार किए हैं. बाराबंकी के चैनपुरवा गांव में उन्होंने पुलिस अधिकारी अरविंद चतुर्वेदी की पहल पर 115 ऐसे परिवारों को मोम के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देकर आजीविका से जोड़ा है जो कभी शराब के कारोबार और नशे के लिए बदनाम थे.

दो करोड़ सालाना का है टर्नओवर

निमित के स्टार्टअप का एक छोटा प्रयास आज सलाना दो करोड़ रुपये के टर्नओवर का रूप ले चुका है. उनके शहद उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक के नेटवर्क में 700 लोग रोजगार पा रहे हैं. इतना ही नहीं, निमित ने उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों के अलावा पंजाब, तामिलनाडु, बंगाल, उत्तराखंड और राजस्थान में बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण देकर उनको अपने ब्रांड के नाम से ही शहद बेचने के लिए प्रेरित किया है.

जानिए निमित का जिक्र कर क्या  कहा पीएम मोदी ने

पीएम मोदी ने 31 जुलाई यानी रविवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि, ‘शहद उत्पादन में आज इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि प्रोफेशनल पढ़ाई करने वाले युवा भी इसे अपना स्वरोजगार बना रहे हैं. ऐसे ही एक युवा हैं, यूपी में गोरखपुर के निमित सिंह. निमित ने बीटेक किया है. उनके पिता भी डॉक्टर हैं, लेकिन पढ़ाई के बाद नौकरी की जगह निमित ने स्वरोजगार का फैसला लिया. उन्होंने शहद उत्पादन का काम शुरू किया. क्वालिटी चेक के लिए लखनऊ में अपनी एक लैब भी बनवाई. निमित अब इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं, और अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं’

रिपोर्टर – कुमार प्रदीप

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