21.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 07:30 pm
21.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आइजीआइएमएस में नयी तकनीक से 15 मिनट में होगी मोतियाबिंद की सर्जरी, केवल दो घंटे बाद देख सकेंगे सब कुछ

Advertisement

आइजीआइएमएस में मोतियाबिंद के ऑपरेशन की विशेष सुविधा लोगों को मिलेगी. अब यहां ट्रॉपिकल फेकोमल्सीफिकेशन तकनीक मरीजों की सर्जरी की जाएगी. इस विधि से केवल 10 से 15 मिनट की सर्जरी होगी. इसके साथ ही, चश्मा पहनकर निकलने के करीब 2 घंटे बाद आंखें देखने लगेंगी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

मोतियाबिंद के ऑपरेशन से पहले इंजेक्शन लगाकर सुन्न करने और बाद में पट्टी लगाने का झंझट खत्म गया है. आपको मोतियाबिंद है, तो बस ऑपरेशन थिएटर में जाएं. 20 मिनट में ऑपरेशन हो जायेगा और चश्मा पहनकर निकलने के करीब 2 घंटे बाद आंखें देखने लगेंगी. दरअसल आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान (नेत्र रोग विभाग) में ट्रॉपिकल फेकोमल्सीफिकेशन तकनीक से मोतियाबिंद की सर्जरी की जा रही है. इस विधि में 10 से 15 मिनट पहले प्रोपेराकेन सॉल्ट का ड्रॉप आंख में डाला जाता है. फिर ऑपरेशन से चंद मिनट पहले ड्रॉप डाला जाता है. इसके बाद नेत्र सर्जन आसानी से सर्जरी कर देते हैं. उसके बाद पट्टी लगाने की जरूरत नहीं होती है. मरीज ओटी से निकलने के दो घंटे बाद देखने लगेंगे.

- Advertisement -

भर्ती होने की नहीं पड़ेगी जरूरत

आइजीआइएमएस के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विद्या भूषण ने बताया कि ट्रॉपिकल फेकोमल्सीफिकेशन तकनीक मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. इस विधि से दो घंटे बाद ही मरीज देखने लगते हैं और मरीजों को पट्टी लगाने की जरूरत भी नहीं होती है. इतना ही नहीं मरीज को ज्यादा समय तक भर्ती करने की भी जरूरत नहीं होती है. आइजीआइएमएस प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल है, जहां सबसे पहले लेजर सर्जरी शुरू की गयी है. उन्होंने बताया कि संस्थान में जहां इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, वहीं अब इससे भी लेटेस्ट तकनीक लायी जा रही है. इससे मरीजों के इलाज में और बेहतर सुविधा होगी. साथ ही, सर्जरी रिस्क को कम किया जाएगा.

इस तकनीक के क्या-क्या फायदे

– प्रोपेराकेन साल्ट का ड्रॉप एनेस्थीसिया की तरह काम करता है

– आंख में रक्तस्राव, दर्द नहीं होता है, यानी पेनलेस सर्जरी होती है

– हार्ट, ब्लड प्रेशर, शूगर के मरीजों के साथ बुजुर्ग ऑपरेशन फोबिया से बचते हैं

– रिकवरी तेज होती है

– 15 मिनट में ऑपरेशन हो रहा है, चश्मा निकलने के दो घंटे बाद ही देख रहे मरीज

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें