21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 12:18 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Azadi Ka Amrit Mahotsav: बापू से प्रभावित होकर ब्रम्हदेव ने अंग्रेजों के खिलाफ निभाई थी सक्रिय भूमिका

Advertisement

आजादी के 75 वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव मना रहा है. इस आजादी के पीछे कई ऐसे क्रांतिकारी देशभक्त हुए जो लड़ाई में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए लेकिन इतिहास के पन्नों पर उनका जिक्र नहीं है. हालांकि स्थानीय तौर पर लोग उन्हें लोग याद करते हैं. ऐसे ही एक क्रांतिकारी और देश भक्त थे ब्रह्मदेव सिंह.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Azadi Ka Amrit Mahotsav: बिहार राज्य के सारण जिला के दिघवारा थाना अंतर्गत ग्राम बस्ती जलाल में भारत के एक वीर स्वर्गीय ब्रम्हदेव सिंह का जन्म 1881 में हुआ था. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका एक अहम योगदान रहा है. उनके पिता स्वर्गीय रामचरण सिंह थे. ब्रम्हदेव सिंह जब आठ वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी ठीक दो साल बाद उनकी माँ की भी निधन हो गया था.ब्रम्हदेव सिंह की दादी ने बड़ी गरीबी और तंगहाली में उन्हे पाल-पोस कर बड़ा किया. ब्रम्हदेव सिंह का स्वभाव बचपन से ही क्रांतिकारी विचार जैसा था.गरीबों पर अंग्रेजी हुकूमत का अत्याचार देख ब्रम्हदेव सिंह का खून खौल उठता था. अंगेजो के खिलाफ लोगों को वे जागरूक करते थे.

- Advertisement -

‘गुरुजी’ के नाम से थे प्रसिद्ध

लाचारों के प्रति हमेशा मदद का भाव वे रखते थे. खुद गरीबी में पढ़कर ‘गरीबों के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे. इसलिए अपने क्षेत्र में वे ब्रम्हदेव सिंह उर्फ ‘गुरुजी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए थे. एक बार की बात है जब अंग्रेज सिपाही और एक अधिकारी गांव के एक गरीब पीड़ित को मार रहे थे तो वह दृश्य देख ब्रम्हदेव सिंह का खून खौल उठा. उन्होंने ग्रामीण को मारते देख उस अंग्रेज को बुरी तरह से पिटाई कर दी. बात जब उच्च अधिकारियों तक गई तो उन्होंने ब्रम्हदेव सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. करीब चार साल ब्रम्हदेव सिंह जेल में रहे. यहां से रिहा होने पर उन्होंने ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ अपने इलाके में क्रांतिकारियों की टीम गठन करनी शुरू कर दी.

भारत छोड़ो आंदोलन में थे सक्रीय

इस बीच सन् 1942 में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी से प्रभावित होकर ब्रह्मदेव सिंह ने अंग्रेजो के खिलाफ काफी सक्रीय भूमिका निगाई. उन्होंने अपने क्रांतिकारी साथियों को इकट्ठा कर अपने नेतृत्व में शीतलपुर रेलवे स्टेशन परिसर को क्षति ग्रस्त कर उसमें आग लगा दिया और रेलवे पटरी को भी उखाड़ दिया गया था. इस घटना के बाद अंग्रेज अधिकारी और सिपाही तिलमिला गए. जिससे अंग्रेजों की ट्रेन बाधित हो और उन्हें भारी आर्थिक क्षति भी हुई ? साथ ही टेलिफोन के तार भी काट कर जला दिए गए. इस घटना के बाद ब्रह्मदेव सिंह समेत उनके क्रांतिकारी साथियों ने राम उचित शर्मा, फागू महतो इत्यादी को गिरफ्तार कर लिया गया.

ढाई साल की सुनाई गई थी सजा

करीब ढाई वर्ष की सजा सुनाई गई. सभी को कारावास भेज दिया गया. जेल में भी ब्रह्मदेव सिंह और उनके साथियों का देशभक्ति कम नहीं हुआ बल्कि और प्रबल हो गया. जेल से निकलने के बाद भी उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन जारी रखा. अंग्रेजो के खिलाफ लोगों को जागरुक करना नहीं छोड़ा. जबतक की देश आजाद नहीं हुआ. उनका पूरा जीवन सादगी, गरीबी, लाचारों के लिए एक अभिभावक के रूप में गरीबों के बच्चों के लिए शिक्षा प्रदान करते हुए बिता. ब्रह्मदेव सिंह उर्फ गुरुजी का जीवन अंग्रेजो के लिए क्रांतिकारी के रूप में बीता. देश की आजादी के बाद उनकी मृत्यु सन 1963 में 82 वर्ष की आयु में हुई. उनके मरणोप्रांत, उनकी पत्नी फुलपातो कुँवर को स्वतंत्रता संग्राम में ब्रह्मदेव सिंह उर्फ गुरु जी के योगदान के लिए ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया.

स्वतंत्रता सेनानी की दी गई थी उपाधि

ब्रह्मदेव सिंह उर्फ गुरुजी को स्वतंत्रता सेनानी का उपाधि भी दिया गया. इसके साथ ही NH-19, शीतलपुर पुराने बाजार के पास एक मंदिर स्वरूप स्मारक बनाकर उनकी एक स्मृति की स्थापना की गई है. ब्रह्मदेव सिंह की प्रतिमा आज भी यहां स्थापित है. गुरु जी के स्वतंत्रता संग्रामी आंदोलन की गाथा आज भी गांव के बच्चों को सुनाई जाती है.आज ब्रह्मदेव सिंह के परिवार के लोग बंगाल के पानागढ़, अंडाल आदि इलाकों में मौजूद है.

रिपोर्ट: मुकेश तिवारी

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें