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संथाल परगना प्रमंडल में 73.6% शिशु एनीमिया से पीड़ित, NFHS के आंकड़े से हुआ खुलासा

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संथाल परगना में बच्चे एनीमिया का शिकार हो रहे हैं. मुख्यत: आयरन की कमी के चलते होने वाली बीमारी एनीमिया ने यहां बच्चों की बड़ी आबादी को अपनी गिरफ्त में ले रखा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की आई रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.

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सानू दत्ता, पाकुड़

Santhal Pargana Division News: संथाल परगना में बच्चे एनीमिया का शिकार हो रहे हैं. मुख्यत: आयरन की कमी के चलते होने वाली बीमारी एनीमिया ने यहां बच्चों की बड़ी आबादी को अपनी गिरफ्त में ले रखा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की आई रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.

छह महीने से लेकर 59 महीने के 73.6 फीसदी प्रभावित

रिपोर्ट के मुताबिक संथाल परगना में छह महीने से 59 महीने के 73.6 प्रतिशत बच्चे खून की कमी की बीमारी से जूझ रहे हैं. संथाल परगना के छह जिलों में सबसे अधिक मामले दुमका और गोड्डा में देखने को मिला है. दुमका में खून की कमी की बीमारी से 75.1 प्रतिशत बच्चे पीड़ित हैं. वहीं गोड्डा का भी आंकड़ा दुमका के बराबर ही है. गोड्डा में भी 75.1 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. इसके अलावा देवघर जिले में भी खून की कमी से 73.9 प्रतिशत बच्चे जूझ रहे हैं.

जामताड़ा में 72.8 फीसदी बच्चे एनेमिक

वहीं जामताड़ा जिले में 72.8 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हो चुके हैं. पाकुड़ और साहिबगंज जिले के आंकड़ों की अगर हम बात करें तो इन दो जिलों में भी स्थिति ठीक नहीं है. साहिबगंज जिले में खून की कमी जैसी बीमारी से 72.6 प्रतिशत बच्चे रोजाना लड़ रहे है. वहीं पाकुड़ जिले में भी 72.1 प्रतिशत बच्चे इस बीमारी के शिकार हैं.

कैसे होती है नवजातों में एनीमिया की बीमारी

डॉक्टरों के मुताबिक, कई मामलों में ये बीमारी जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है. यानी अगर किसी का एनीमिया का पारिवारिक इतिहास है. तो ये बीमारी माता-पिता से बच्चे में भी जा सकती है. अगर परिवार में किसी को ल्यूकेमिया या थैलीसीमिया की बीमारी हुई है. तो फिर बच्चे में एनीमिया होने की आशंका 50 से 60 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. ऐसे मामलों में बच्चे के जन्म के बाद ही उसमें इस बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं. वहीं डॉक्टर बताते हैं कि शरीर में आयरन, विटामिन और प्रोटीन की कमी से भी एनीमिया हो सकता है. ऐसे में बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

पिछले पांच वर्षों में आंकड़ों में इजाफा

पिछले पांच वर्षों में संथाल परगना में एनीमिया जैसी बीमारी में कमी के बजाय आंकड़ों में वृद्धि हुई है. पिछले पांच वर्षों में खून की कमी की बीमारी में छह महीने से 59 महीने तक के बच्चों में 0.5 प्रतिशत तक की आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की गई है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट में संथाल परगना में 73.1 प्रतिशत शिशु खून की कमी से जूझ रहे थे. वहीं वर्तमान आंकड़ा 73.6 प्रतिशत है.

तीन प्रकार की होती है एनीमिया

डॉक्टरों की मानें तो यह बीमारी तीन प्रकार की होती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे के शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल कितना है. अगर हीमोग्लोबिन 10 से 11 जी/डीएल के आसपास हो, तो ये माइल्ड एनीमिया है. 8 से 9 जी/डीएल होता है तो मॉडरेट और अगर हीमोग्लोबिन 8 जी/डीएल से कम है, तो ये खतरनाक स्टेज होती है. इस स्थिति में बच्चे को तुरंत ब्लड चढ़ाने की जरूरत होती है.

किस जिले में कितने % शिकार

जिला 2019-21 2015-16

दुमका 75.1 74.9

गोड्डा 75.1 80.7

देवघर 73.9 64.6

जामताड़ा 72.8 73.7

साहेबगंज 72.6 70.4

पाकुड़ 72.1 74.3

Posted By: Rahul Guru

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