14.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 02:34 am
14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

इंडियन स्वाद: चूरनों के खट्टे-मीठे जायके

Advertisement

आयुर्वेद के ग्रंथों में चूरनों में शामिल सामग्री को क्षुधा वर्धक, पाचक, रुचिकर, वमन निरोधक तथा वायु विकार का शमन करने वाला बतलाया गया है. आज हम बात करते हैं लक्कड़-हजम, पत्थर-हजम’ चूरन की. एक पुड़िया फांकने पर अहसास हुआ कि इस पाचक का जायका बहुत बदल गया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पुष्पेश पंत

बहुत बरस बाद अचानक ‘राजधानी का दिल’ समझे जाने वाले राजीव चौक अर्थात अंग्रजी राज के कनॉट प्लेस में गलियारे में चक्कर काटते ‘लक्कड़-हजम, पत्थर-हजम’ चूरन बेचने वाले की आवाज कान में पड़ी. जब से कनॉट प्लेस का नाम बदला है, उसका हुलिया ही बदल गया है. चक्कर को चौकौर बनाने का अभियान अधूरा रह गया है. आखिरी बार कायाकल्प की कोशिश राष्ट्रकुल खेलों के आयोजन के वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने की थी. तब से एक युग बीत चुका है, पर इस घूरे के दिन फिरते नहीं नजर आ रहे. बहरहाल बात हो रही थी ‘लक्कड़-हजम, पत्थर-हजम’ चूरन की.

एक पुड़िया फांकने पर अहसास हुआ कि इस पाचक का जायका बहुत बदल गया है. टार्ट्रिक तथा साइट्रिक एसिड के कृत्रिम रासायनिक स्वाद ने जबान को ही नहीं, मन को भी खट्टा कर दिया. खाना पचाने के जो पारंपरिक जायके हैं- हींग, जीरा, काला नमक, अजवाइन, दाडिम- उनका कोई अता-पता इस जादुई चूरन में नहीं था. हमें बचपन के दिन याद आने लगे, जब अल्मोड़ा में अन्नी की दूकान में बिकने वाली दाडिमाष्टक चूरन की कागज में लिपटी टिकिया ललचाती थी. नैनीताल में सीताबर पंत वैद्य मशहूर थे अपने हिंगाष्टक चूर्ण के लिए. इसके अलावा लवण भास्कर प्रचलित था, जिसका नियमित उपयोग करने वाले को बदहजमी की शिकायत हो ही नहीं सकती थी, ऐसा बुजुर्गों का मानना था. बच्चों को जो पेट की मरोड़ से राहत दिलाने वाली घुट्टी पिलायी जाती थी, उसका सौंफिया-अजवाइन जायका बड़े बच्चों को भी ललचाता था.

आयुर्वेद के ग्रंथों में इन चूरनों में शामिल सामग्री को क्षुधा वर्धक, पाचक, रुचिकर, वमन निरोधक तथा वायु विकार का शमन करने वाला बतलाया गया है. रोचक बात यह है कि अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में भी पेटेंट दवाइयों का चलन बनने के पहले एपेरिटिफ, कार्मिनेटिव, डाइजैस्टिव, एंटी एमेटिक एवं एंटी फ्लैटुलैंट के रूप में इन पदार्थों का उपयोग होता था. भारतीय रसोई में अनेक मसाले रोजमर्रा के भोजन में सिर्फ उसे स्वादिष्ट बनाने के लिए ही नहीं, वरन सुपाच्य बनाने के लिए भी किये जाते रहे हैं. सब्जियों का छौंक हो या दाल-कढ़ी का बघार, इसी अनुभवसिद्ध जन वैज्ञानिक जानकारी पर आधारित था. यह सोचना भी ठीक नहीं कि यह पाचक जायके चूर्णों या साबुत मसालों तक ही सीमित रहे हैं. धनिया, पुदीना की हरी चटनी हो या लहसुन, प्याज लाल मिर्च वाली थेचा नुमा चटनी, ताजा या सूखे पत्तों का प्रयोग भी पाचन प्रक्रिया को दोषमुक्त करने के लिए किया जाता था. अचार की भूमिका भी यही समझी जाती थी. अचारी मसालों में राई, मेथीदाना, कलौंजी, सौंफ, अजवाइन के दर्शन होते हैं. इन सबके अपने पाचक गुण होते हैं. यदि कोई पाचक जायका कटु हो, तो उसे रुचिकर बनाने के लिए खटास या मिठास का पुट दिया जाता है.

दुर्भाग्य से हम रेडीमेड मसालों के इतने आदी हो चुके हैं कि चाट मसाला हो या तंदूरी जायका ही सर्वोपरि समझा जाने लगा है. जायके के साथ जुड़ी तासीर को हमने भुला दिया है. कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों के उत्पादकों ने हिंगाष्टक, दाडिमाष्टक, लवण भास्कर आदि चूर्णों को बाजार में उतारा है और इमली अनारदाने की गोलियां आकर्षक बोतलों में अनेक पर्यटक स्थलों पर दिखलायी देती है, परंतु इनमें भी कुदरती पाचक जायके कभी कभार ही जबान पर लगते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें