24.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 07:40 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

गयाजी के पंचवेदी पर श्राद्ध से पितर को मिलती है प्रेत योनि से मुक्ति, जानें यहां सत्तू क्यों है जरूरी

Advertisement

Pitru Paksha 2022: फल्गु नदी के तट पर पिंडदान जारी है. प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध उन लोगों को किया जाता है, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो. महत्वपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Audio Book

ऑडियो सुनें

गया जी में पितृपक्ष के तहत पिंडदान शुरू हो गया है. गयाजी में पिंडदान का विशेष महत्व है. पितृपक्ष के दूसरे दिन पंचवेदी में कर्मकांड किया जाता है. आज सुबह से ही पिंडदानी ब्रह्मकुंड और प्रेतशिला में पिंडदान कर रहे हैं. इस पर्वत पर धर्मशीला है. जिस पर पिंडदानी ब्रह्ना जी के पद चिन्ह पर पिंडदान करते है. पिंडदानी धर्मशीला पर सत्तू उड़ाकर पितर को याद करते है. मान्यता है कि ‘उड़ल सत्तू पितर को पैठ हो’. सत्तू उड़ाते हुए पांच बार परिक्रमा करने से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है.

- Advertisement -

इन जगहों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व

बिहार की धार्मिक नगरी गया जी में त्रैपाक्षिक कर्मकांड करने वाले पिंडदानी आज पिंडदान कर रहे हैं. इसके साथ ही प्रेतशिला में पिंडदान करने का महत्व है. पितृपक्ष के दूसरे दिन पंचवेदी यानी प्रेतशिला, रामशिला, ब्रह्मकुंड, कागबली और रामकुंड में पिंडदान किया जाता है. पिंडदानी इन पांचों वेदियों पर पिंडदान करते हैं. इन पांचों वेदियों में प्रेतशिला सबसे प्रमुख पिंड वेदी माना गया है.

पितृपक्ष में फल्गु नदी के तट पर पिंडदान जारी है. प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध उन लोगों को किया जाता है, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्राद्ध कर्म करने वालों को धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है. वहीं पूर्वज को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. वहीं, प्रेतशिला को भूतों का पहाड़ कहा जाता है. इस पहाड़ पर आज भी भूत-प्रेतों का वास है. जहां हजारों की संख्या में पिंडदानी 676 सीढ़ियां चढ़कर पिंडदान करने पहुंचे हुए हैं. इस पर्वत पर पिंडदानी सत्तू उड़ाकर पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.

Also Read: गयाजी में किस बेटे को श्राद्ध करने का हैं अधिकार, जानें पुत्र न होने पर कौन होगा श्राद्ध का अधिकारी
‘उड़ल सत्तू पितर को पैठ हो’

मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने कहा कि इस पहाड़ पर बैठकर मेरे पद चिन्ह पर पिंडदान करना होगा. जिसके बाद पीतर को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलेगी. इस पर्वत पर तीन स्वर्ण रेखा है. तीनों स्वर्ण रेखा में ब्रह्मा, विष्णु और शिव विराजमान रहेंगे. उसी समय से इस पर्वत को प्रेतशिला कहा गया और ब्रहा जी के पदचिह्न पर पिंडदान होने लगा. इस पर्वत पर धर्मशीला है, जिस पर पिंडदानी ब्रह्ना जी के पद चिन्ह पर पिंडदान करके धर्मशीला पर सत्तू उड़ाते हैं. ‘उड़ल सत्तू पितर को पैठ हो’. सत्तू उड़ाते हुए पांच बार परिक्रमा करने से पितर को प्रेतयोनि से मुक्ति मिल जाती है. प्रेतशिला पर भगवान विष्णु की प्रतिमा है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें