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Vishwakarma Puja 2022: इस दिन है विश्वकर्मा पूजा, जानें पूजा विधि, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

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Vishwakarma Puja 2022: हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का अधिक महत्व होता है क्योंकि विश्वकर्मा जी को हिन्दू ग्रंथों के मुताबिक सबसे पहले वास्तुकार माने गए हैं. कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

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Vishwakarma Puja 2022: कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. इस साल 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 38 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है. जो भी कार्य प्रारंभ किए जाते हैं, वे पूरे होते हैं. भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है. जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा कब है, पूजा का मुहूर्त क्या है?

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विश्वकर्मा पूजा का महत्व

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का अधिक महत्व होता है क्योंकि विश्वकर्मा जी को हिन्दू ग्रंथों के मुताबिक सबसे पहले वास्तुकार माने गए हैं. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोहे की वस्तुओं और मशीनों की पूजा करना शुभ माना जाता है. साथ ही कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. इसके अलावा इस दिन पूजा करने से कारोबार और व्यापार में भी सफलता प्राप्त होती है.

5 शुभ योगों में विश्वकर्मा पूजा

इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं. 17 सितंबर को सुबह से लेकर रात तक वृद्धि योग है. इसके अलावा अमृत सिद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है, वहीं द्विपुष्कर योग दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक है.

विश्वकर्मा जी को साबुत चावल, फल, रोली, सुपारी, धूप, दीपक, रक्षा सूत्र, दही, मिठाई, शस्त्र अर्पित करें. इसके बाद विश्वकर्मा जी को फूल चढ़ाते हुए बोले -हे विश्वकर्मा जी आएं और हमारी पूजा को स्वीकार करें. इसके बाद अपनी बिजनेस से जुड़ी चीजें, शस्त्र, आभूषण, औजार आदि में रोली और अक्षत लगाकर फूल चढ़ाएं और सतनजा पर कलश रख दें.

विश्वकर्मा पूजा मंत्र

अब इस कलश में रोली-अक्षत लगाएं और दोनों चीजों को हाथों में लेकर -‘ऊं पृथिव्यै नम: ऊं अनंतम नम: ऊं कूमयि नम: ऊं श्री सृष्टतनया सर्वासिद्धया विश्वकर्माया नमो नम:’ मंत्र पढ़कर सभी चीजों पर रोली और अक्षत छिड़क दें. इसके बाद फूल चढ़ाएं. इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और फिर जल पिलाएं, अब इस प्रसाद को सभी लोगों को बांटना चाहिए.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा पहले वास्तुकार और इंजीनियर हैं. इन्होंने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था. उन्होंने इस संसार की रचना में ब्रह्मा जी की मदद की थी. इस संसार का मानचित्र तैयार किया था.

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