29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

फिर लौटेगा चीता

Advertisement

हमारे देश में चीते की वापसी की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और भारत एक बार फिर से जमीन के सबसे तेज जानवर का स्वागत करने का बेताबी से इंतजार कर रहा है, जिसकी गुर्राहट कभी ऊंचे पहाड़ों और तटों के सिवाय समूचे देश के जंगलों में प्रतिध्‍वनित होती थी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

हमारे देश में चीते की वापसी की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और भारत एक बार फिर से जमीन के सबसे तेज जानवर का स्वागत करने का बेताबी से इंतजार कर रहा है, जिसकी गुर्राहट कभी ऊंचे पहाड़ों और तटों के सिवाय समूचे देश के जंगलों में प्रतिध्‍वनित होती थी. चीते 17 सितंबर को भारत में वापस लौटेंगे. जल्दी ही चीता मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में विचरण कर रहा होगा.

- Advertisement -

भारत में चीतों के न रहने के असंख्य कारण हैं, जिनमें पथ-निर्धारण, इनाम और शिकार के खेल के लिए बड़े पैमाने पर जानवरों को पकड़ना, पर्यावास में व्यापक बदलाव और उसके परिणामस्‍वरूप उनके शिकार के आधार का सिकुड़ना जैसे कारण शामिल हैं. ये सभी कारण मानव के व्यवहार से प्रेरित हैं, और ये सिर्फ एक बात- प्राकृतिक दुनिया पर मनुष्य के पूर्ण प्रभुत्व- का प्रतीक हैं. इसलिए जंगल में चीते की दोबारा वापसी एक पारिस्थितिकीय गलती को सुधारने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुनिया को दिये गये ‘मिशन लाइफ’ मंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है. ‘मिशन लाइफ’ का उद्देश्य वास्तव में एक ऐसी समावेशी दुनिया का निर्माण करना है, जहां मनुष्‍य का लालच हमारी वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के अस्तित्व की जरूरत को नहीं लांघता, अपितु जहां मनुष्य जीव-जंतुओं सहित प्रकृति के साथ सद्भाव से रहते हैं.

विकास के पश्चिमी मॉडल ने इस धारणा को जन्म दिया कि मानव सर्वोच्च है और प्रौद्योगिकी की शक्ति से युक्‍त यह ‘सर्वोच्च मानव’ हर उस चीज को हासिल कर सकता है, जिस पर वह अपना दावा करता है. जब इस मॉडल को व्यवहार में लाया गया, तो मानव कहीं खो गये और इसके साथ ही उनके द्वारा अस्थायी रूप से अर्जित की गयी समृद्धि की भावना भी गुम हो गयी. इस मॉडल ने न केवल अनेक प्रजातियों को खतरे में डाला, बल्कि पृथ्वी ग्रह के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है.

युगों से भारत में हम ‘प्रकृति रक्षति रक्षिता’ पर विश्‍वास करते आये हैं. हमारी आजादी के बाद से देश ने केवल एक विशाल जंगली स्तनधारी को खोया है. हम अपनी आबादी के आकार और विकास संबंधी जरूरतों के बावजूद बाघ, शेर, एशियाई हाथी, घड़ियाल और एक सींग वाले गैंडे सहित कई महत्वपूर्ण प्रजातियों व उनके पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करने में सक्षम रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट लायन और प्रोजेक्ट एलीफेंट के साथ इन बेहद महत्वपूर्ण प्रजातियों की तादाद बढ़ाने में भी समर्थ रहा है.

जहां एक ओर बाघ वन प्रणालियों की एक प्रमुख अग्रणी प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं चीता खुले जंगलों, घास के मैदानों और चारागाहों के शून्य को भर देगा. चीते की वापसी धरती के टिकाऊ पर्यावरण के निर्माण की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है, क्योंकि एक शीर्ष परभक्षी की वापसी ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन को बहाल करती है, जो उनके पर्यावास की बहाली और शिकार के आधार के संरक्षण पर व्यापक प्रभाव डालती है. चीता उस विकासवादी स्वभाविक चयन प्रक्रिया का हिस्सा रहा है, जिसके कारण हिरण और चिंकारा जैसी प्रजातियों में उच्च गति से अनुकूलन हुआ है.

चीते की वापसी लुप्तप्राय प्रजातियों और खुले वन पारिस्थितिकी तंत्र सहित उसके शिकार-आधार की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी, जो कुछ हिस्सों में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं. प्रोजेक्‍ट चीता उपेक्षित पर्यावासों को बहाल करने के लिए संसाधन लायेगा, जिससे उनकी जैव विविधता का संरक्षण होगा, उनके पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं और कार्बन को जब्‍त करने की उनकी अधिकतम क्षमता का उपयोग हो सकेगा. स्थानीय समुदाय को भी बड़े पैमाने पर लाभ होगा, क्योंकि चीते के लिए जिज्ञासा और सरोकारों के परिणामस्वरूप उत्पन्न पारिस्थितिक तंत्र से उनकी आजीविका के विकल्पों को बढ़ावा मिलेगा और उनके रहन-सहन की स्थिति में सुधार लाने में मदद मिलेगी.

आज पूरी दुनिया विशाल मांसाहारी पशुओं और उनके पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित किये जाने की आवश्यकता के प्रति जागरूक हो चुकी है. विशाल मांसाहारी पशुओं की संख्या में हो रही गिरावट के क्रम को रोकने या उलटने के लिए दुनियाभर में उनके पुन: प्रवेश और संरक्षण/स्थानांतरण का उपयोग किया जा रहा है. चूंकि ग्रह के संरक्षक के रूप में भारत अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए पूरे दिल से आगे बढ़ रहा है, इसलिए उसने भी चीते की वापसी का विकल्प चुना है, ताकि वह शीर्ष परभक्षी के रूप में चीते की वापसी के साथ उसके पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट का रुख पलट सके. यूं तो चीते की पुन: वापसी कुनो में हो रही है, लेकिन उसकी तादाद में संभावित वृद्धि होने पर चीते को गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में प्रवेश कराया जा सकता है. इससे वन्यजीवन के अन्य रूपों और संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के साथ-साथ भारत की खोयी हुई विरासत को पूरी तरह बहाल करने में मदद करेगी.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें