28.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 04:39 pm
28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

गयाजी में पितर के साथ आत्मपिंडम का भी है विधान, जानें यहां पिंडदान और तर्पण करना क्यों है जरूरी

Advertisement

Pitru Paksha 2022: गयाजी पितृपक्ष मेला में देश-विदेश से लोग पहुंचते है. यहां अपने पूर्वज की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करते है. गयाजी में पितर के साथ आत्मपिंडम का भी विधान है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

कंचन/ गयाजी पितृपक्ष मेला में पितरों के लिए श्राद्धकर्म के विधान की परंपरा की पौराणिक गाथा है. आनंद रामायण में वर्णित है कि जब भगवान श्रीराम चौदह वर्ष वनवास काट कर अयोध्या लाटे, तो ब्राह्मणों ने दो कारणों से पहला तो यह कि उनके वनवास काल में राजा दशरथ की मृत्यु हो गयी थी, सो उनका उद्धार करना था और दूसरा यह कि कण्व ऋषि ने उनके यहां भोजन करने से मना कर दिया. कण्व ऋषि का कहना था कि रावण जैसे महान ज्ञानी व ब्राह्मण का भगवान राम ने वध किया. इसलिए, उन्हें ब्रह्महत्या का शाप लगा है. ऐसे में जब तक वे ब्रह्महत्या के शाप से मुक्त नहीं होते, उनके घर की रसोई का भोजन नहीं किया जा सकता है.

जानें सिता कुंड का महत्व

भगवान श्रीराम ने शाप से मुक्ति व पिता राजा दशरथ की सद्गति व उद्धार के बारे में जानकारी ली. तब उन्हें गयाश्राद्ध करने की बात बतायी गयी थी. ऐसी कथा है कि भगवान राम अपने नगर में प्रवेश करने से पहले ही वनवासी वेश-भूषा में ही माता सीता व साथ रहे भाई लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान से गयाजी आये. सीताकुंड के पास जहां पहले घना वन व पहाड़ी थी, वहीं पुष्पक विमान उतरा और पिंडदान-तर्पण कर न केवल पिताजी का उद्धार किया, बल्कि ब्रह्महत्या के शाप से मुक्त हुए.

गयाजी में आत्मपिंडम का भी विधान

पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध का विशेष महत्व है. कथा यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि भगवान श्रीराम के पहले से गयाजी में श्राद्ध का विधान था, तभी ऋषि, मुनियों ने उन्हें गयाजी में जाकर पिंडदान-तर्पण करने को बताया होगा. भगवान श्रीराम-सीता के द्वारा गयाजी में पिंडदान-तर्पण करने का वर्णन अन्य धर्मग्रंथों में भी मिलता है और किंवदंति है कि यहीं से इसकी शुरुआत मानते हैं. यहां अपने पितरों का श्राद्ध करने से प्राणी को जन्म-जन्मांतर से मुक्ति मिल जाती है. इसलिए इसे मोक्षभूमि कहा जाता है. इससे भी बड़ी बात है कि गयाजी में आत्मपिंडम का भी विधान है.

Also Read: गयाजी में आज पंच तीर्थ श्राद्ध से सूर्य लोक की होती है प्राप्ति, जानें तिथिवार पिंडदान करने की मान्यता
यहां पिंडदान और तर्पण करने का विधान

मसलन जीवित अवस्था में प्राणि अपना खुद का श्राद्धकार्य कर सकता है. गयाजी में जिस दिन भीमगया वेदी, गोखुर वेदी, गदालोल में पिंडदान व तर्पण के साथ मां मंगलागौरी का दर्शन का विधान है, उसी दिन मां मंगलागौरी मंदिर की बगल में स्थित पौराणिक जर्नादन मंदिर में आत्मपिंडम का विधान है. यहां आश्विन कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि यानी इस वर्ष 22 सितंबर को जो लोग खुद का पिंडदान करेंगे, वह कर सकेंगे. यहां भी भगवान नारायण खुद जर्नादन रूप में विराजमान हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें