17.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 11:37 pm
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

हिंदी के पंडित फादर कामिल बुल्के, जानें कैसे दिलाई हिंदी को पहचान

Advertisement

डॉ कामिल बुल्के हिंदी, संस्कृत के अलावा कई विदेशी भाषाओं के ज्ञाता थे और ‘अंग्रेजी हिंदी शब्दकोश’तैयार कर हिंदी को ज्ञान, विज्ञान और तकनीक की शब्दावली को फलने-फूलने का आधार बनाया था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

फादर कामिल बुल्के एक विदेशी होकर ऐसे ज्ञानी थे जो भारतीय संस्कृति और हिंदी से जीवन भर प्यार करते रहे. सन् 1935 में जब बेल्जियम से एक युवा ईसाई धर्म प्रचारक रांची पहुंचा, तो स्टेशन से मिशनरियों के आवासीय परिसर मनरेसा हाउस के समूचे रास्ते में अधिकतर संकेत-पट्ट अंग्रेजी में देख वह अचंभित हुआ. औपनिवेशिक भाषा के इतने व्यापक वर्चस्व से उसका आश्चर्य शीघ्र ही रोष में बदल गया. आगे चलकर वह युवा रामकथा के अप्रतिम अन्वेषक तथा हिंदी भाषा और भारत विद्या (इंडोलॉजी) के प्रकांड विद्वान फादर कामिल बुल्के के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

Also Read: Hindi Diwas 2022:  आज मनाया जा रहा है  हिंदी दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्‍व
हिंदी के अलावा कई भाषाओं के ज्ञाता

सभी जानते हैं डॉ कामिल बुल्के हिंदी, संस्कृत के अलावा कई विदेशी भाषाओं के ज्ञाता थे और ‘अंग्रेजी हिंदी शब्दकोश’तैयार कर हिंदी को ज्ञान, विज्ञान और तकनीक की शब्दावली को फलने-फूलने का आधार बनाया था. वर्ष 1967 में हिंदी शब्दकोश के पहली बार प्रकाशित होने के बाद से इसके कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं.

तमाम हिंदी शोधकर्ता है उनके ऋणी

दिनेश्वर प्रसाद के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के उच्चाधिकारी डॉ. श्रीनिवास द्विवेदी ने इसको अद्यतन कर इसकी उपयोगिता को दीर्घजीवी बनाया है. जिसके बाद यह शब्दकोश आज भी किसी अनुवादक या विद्वान के लिए किसी अन्य शब्दकोश के मुकाबले ज्यादा उपयोगी साबित होता रहा है. इस तरह हिंदी को आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली को लोकप्रिय बनाने का श्रेय कामिल बुल्के को जाता है. लेकिन एक काम के लिए तमाम हिंदी शोधकर्ता उनके ऋणी होंगे कि कामिल बुल्के ने हिंदी को शोध की भाषा बनाने में भी अपना योगदान दिया था.

कब से हिंदी में लिखे जाने लगे शोध पत्र

कामिल बुल्के जो यूरोप में अपनी मातृभाषा फ्लेमिश के लिए संघर्ष कर चुके थे, उन्हें यह बात पसंद नहीं आई और वे आवेदन लेकर कुलपति अमरनाथ झा के पास गए. डॉ. अमरनाथ झा ने कामिल बुल्के की बातें ध्यान से सुनीं और उनके इस तर्क से सहमत हुए कि हिंदी का विकास चाहते हैं तो हमें हिंदी में शोध-पत्र लिखने की अनुमति देनी होगी. डॉ अमरनाथ झा ने कामिल बुल्के को हिंदी का शोध-पत्र अंग्रेजी के बदले हिंदी में लिखने की अनुमति दे दी. इस घटना ने समस्त उत्तर भारत में, हिंदी शोध-पत्र हिंदी में लिखने के लिए माहौल बना दिया. और तब से हिन्दी के शोध-पत्र हिंदी में लिखे जाने लगे.

तब से पढ़ाई जाने लगी आदिवासी भाषाएं

ठीक इसी तरह आज कई विश्वविद्यालयों में जहां आदिवासी भाषाएं पढ़ायी जाती हैं, वहां कई पत्र हिंदी या राज्य की भाषा में लिखने की अनुमति है. सभी प्रश्न-पत्रों के उत्तर मातृभाषा में लिखे जाने की परंपरा आरंभ करने से संबंधित-आदिवासी-भाषाओं का ज्यादा विकास संभव है. ऐसे शोध-पत्रों को भी आदिवासी-भाषा में लिखने से संबंधित आदिवासी-भाषा के विचार और शब्दावली का विस्तार होगा. तब कोई भी आदिवासी-भाषा विचार, तथ्यों, और शब्दों के मामले में ज्यादा समृद्ध होगी. इसलिए ऑनर्स के पत्र या एमए स्तर सारे पत्रों के उत्तर आदिवासी भाषाओं में दिए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें