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बोकारो की बसंती व उर्मिला को नहीं मिली पेंशन, सालों से लगा रही थी गुहार

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बोकारो की बसंती देवी और उर्मिला देवी को विधवा पेंशन नहीं मिल रहा है. दोनों ने ब्लॉक ऑफिस से लेकर कई जनप्रतिनिधियों के यहां चक्कर लगा चुकी है. बार-बार आवेदन जमा करने पर भी आज तक इसकी सुनने वाला कोई नहीं है.

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Bokaro News: पति की मृत्यु के बाद बेसहारा बन चुकी बोकारो की बसंती देवी और उर्मिला देवी के लिए विधवा पेंशन स्वीकृत कराना किला फतह करने जैसा कठिन बनकर रह गया है. दोनों ने ब्लॉक ऑफिस से लेकर कई जनप्रतिनिधियों के यहां चक्कर लगाया. बार-बार आवेदन जमा किया, पर नतीजा नहीं निकला.

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बेसहारा बसंती देवी को नहीं मिल रहा पेंशन

दरअसल, बसंती देवी कसमार प्रखंड अंतर्गत बरईकला के तेतरटांड़ निवासी स्व महानंद महतो की पत्नी हैं. 11 जून 2018 को महानंद ने पिता बीरबल महतो (70 वर्ष) की टांगी से काट कर हत्या कर दी थी. बहन की शादी लगाने की बात बार-बार कहने पर गुस्साए महानंद ने यह अपराध किया था. घटना के दूसरे दिन कसमार पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर तेनुघाट जेल भेज दिया. करीब दो वर्ष बाद जेल में अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई. उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सात सितंबर 2021 को मृत्यु हो गई. पहले ससुर की हत्या और बाद में पति की मौत के बाद बसंती पूरी तरह से असहाय हो गयी.

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एक साल से पेंशन के लिए लगा रही चक्कर

ससुराल में सास के नाम एक इंदिरा आवास बना हुआ है. उसमें उसकी सास व अन्य सदस्य रहते हैं. वहां रहने-खाने का कोई ठिकाना नहीं देख घटना के बाद से वह मायके में रह रही है. जरीडीह प्रखंड की भस्की पंचायत स्थित रोरिया गांव में बसंती का मायके है. उसने बताया कि मायके में केवल बूढ़ी मां है. जीवनयापन का साधन नहीं है. विधवा पेंशन मिलने से दो वक्त की रोटी की व्यवस्था हो जाती. इस उम्मीद में करीब एक साल से अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों के पास चक्कर लगा रही है. ब्लॉक में कई बार आवेदन जमा किया गया, पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.

उर्मिला देवी भी पेंशन को लेकर परेशान

दूसरी ओर सिंहपुर पंचायत अंतर्गत शंकरडीह (करमा) निवासी स्व कमलेश्वर महतो की पत्नी उर्मिला देवी ( 44 वर्ष) भी पेंशन को लेकर कुछ इसी प्रकार से परेशान है. 22 अक्तूबर 2020 को टीबी से इसके पति कमलेश्वर महतो की मृत्यु हो गई थी. उर्मिला के अनुसार, वह अपने सामर्थ्य के अनुसार पति का इलाज कराती रही. बाद में पैसों के अभाव में बेहतर इलाज नहीं करा सकी. नतीजा यह हुआ कि उनकी मृत्यु हो गयी. उसके बाद राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ एवं विधवा पेंशन के लिए करीब दो वर्षों से प्रखंड कार्यालय और जनप्रतिनिधियों का चक्कर लगा रही है. लेकिन न तो पारिवारिक योजना का लाभ मिल सका है न अभी तक पेंशन चालू हो सकी है. उर्मिला ने बताया कि प्रशासन आपके द्वार कार्यक्रम में भी जाकर अधिकारियों के पास आवेदन जमा किया था. पर उस पर क्या कार्रवाई हुई, यह बताने वाला कोई नहीं है. उर्मिला ने बताया कि राशन कार्ड में दो बच्चों का नाम दर्ज कराने के लिए भी वह भागदौड़ करती आ रही है, पर यह काम भी अभी तक नहीं हो सका है.

रिपोर्ट : दीपक सवाल, कसमार

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