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TMBU में बिना प्रायोगिक संसाधन के एंथ्रोपोलॉजी की पढ़ाई कर रहे छात्र, लैब में रखे हैं 19 साल पुराने उपकरण

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Bhagalpur news: विभाग में संसाधन की कमी से नामांकन पर भी असर पड़ने लगा है. बताया जा रहा है पीजी सत्र 2021-23 में अबतक 10 से अधिक छात्रों ने नामांकन कराया है.

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भागलपुर: टीएमबीयू के पीजी एंथ्रोपोलॉजी विभाग के छात्र बिना प्रायोगिक संसाधन के पढ़ाई कर रहे हैं. प्रायोगिक संसाधन के नाम पर कमी है. छात्रों को प्रायोगिक पढ़ाई में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. विभाग के नवनियुक्त शिक्षकों ने कुलपति प्रो जवाहर लाल से मिल कर समस्या से अवगत कराया. प्रायोगिक संसाधन अपडेट नहीं होने से छात्रों को परेशानी होती है. बता दें कि विवि के पूर्व कुलपति प्रो राम आश्रय यादव के कार्यकाल में 2003 में एंथ्रोपोलॉजी विभाग खोला गया था. विभाग में शिक्षकों के चार पद सृजित है. कुछ दिन पहले विवि सेवा आयोग से विभाग को चार नये असिस्टेंट प्रोफेसर मिले हैं.

संसाधन के अभाव में नामांकन पर पड़ रहा असर

विभाग में संसाधन की कमी से नामांकन पर भी असर पड़ने लगा है. बताया जा रहा है पीजी सत्र 2021-23 में अबतक 10 से अधिक छात्रों ने नामांकन कराया है.

लैब में 19 साल पुराने रखे हैं उपकरण

लैब में रखे उपकरण काफी पुराने हैं. ऐसे में छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए नये उपकरण की जरूरत है. विभाग को स्थापित हुए 19 साल हो चुके हैं. जबकि प्रायोगिक पढ़ाई में लगातार बदलाव हो रहा है. नामांकित छात्र-छात्राएं प्रायोगिक संसाधन की कमी को लेकर जल्द ही कुलपति से मिल सकते हैं.

एंथ्रापोलॉजी पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए रोजगार के कई अवसर

शिक्षकों ने कहा कि व्यवस्था में सुधार किया जाये. यहां के छात्रों को रोजगार के कई अवसर मिल सकते हैं. प्रतियोगिता परीक्षा जैसे यूपीएससी व बीपीएससी परीक्षा में इस विषय के छात्रों को लाभ मिलेगा. रिसर्च, नेट, जीआरएफ में बढ़िया कर सकते हैं. स्कूल व कॉलेज में शिक्षक बन सकते हैं. साइंटिस्ट जैसे आइसीएमआर व सीएसआइआर के क्षेत्र में जा सकते हैं. कंसल्टेंट के तौर पर सरकार के मंत्रालय में काम कर सकते हें. म्यूजियम, एनजीओ व कॉरपोरेट जगत में भी रोजगार के अवसर मिल सकते हैं.

विवि को कई बार लिखा गया है पत्र : को-ऑर्डिनेटर

विभाग के को-ऑर्डिनेटर सह सामाजिक विज्ञान विभाग की हेड डॉ पूनम सिंह ने कहा कि विभाग के संसाधन की कमी को लेकर विवि को कई बार पत्र लिखा गया है. उनसे पूर्व के रहे कई विभागाध्यक्षों ने भी विवि प्रशासन को विभाग के कमी के बारे अवगत करा चुके हैं. प्रायोगिक पढ़ाई के लिए संसाधन का अभाव है. इससे छात्रों को परेशानी होती है.

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