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सदर अस्पताल प्रबंधन पर बड़ा आरोप, नियमों को ताक पर रखकर सुरक्षा एजेंसी को दी गयी व्यवस्था की जिम्मेदारी

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सदर अस्पताल प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर सिक्योरिटी कंपनी चलानेवाली एजेंसी को पारा मेडिकल कार्य को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी दी गयी. पूरी टेंडर प्रक्रिया और अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में है. गड़बड़ी के बाद टेंडर रद्द करने की मांग की जा रही है

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रांची: सदर अस्पताल प्रबंधन पर पारा मेडिकल कार्य के लिए विवादित कंपनी को टेंडर देने का आरोप लगा है. निविदा में शामिल और बाहर कर दी गयी कंपनियों का आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर सिक्योरिटी कंपनी चलानेवाली एजेंसी को स्वास्थ्य व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दे दी गयी है. इस हिसाब से अस्पताल में पारा मेडिकलकर्मियों को नियुक्त करने की जिम्मेदारी अब सुरक्षा गार्ड मुहैया करानेवाली कंपनी समानता सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड संभालेगी.

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इससे पूरी टेंडर प्रक्रिया और अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में है. गड़बड़ी के बाद टेंडर निरस्त करने की मांग की जा रही है. मैनपॉवर सप्लाई के टेंडर में गड़बड़ी की लिखित शिकायत स्वास्थ्य विभाग अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह के साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय में की गयी है. शिकायत के बाद जहां डीसी ने इस मामले से जुड़ी फाइल अपने पास मंगायी है.

सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा ई–निविदा के माध्यम से पारामेडिकल एवं टेक्निकल स्टाफ के लिए निविदा संख्या–3304 और सफाई कार्य के लिए निविदा संख्या–3306 दिनांक 25/06/2022 निकाली गयी थी. निविदा में कुल 12 कंपनियों ने भागीदारी की थी, लेकिन चयन समिति ने शर्तों को तोड़मरोड़ कर और उसके कई बिंदुओं को नजरअंदाज करते हुए समानता के चयन की घोषणा कर दी. समानता को फायदा पहुंचाने के लिए जिला चिकित्सा विभाग के अधिकारी ने टेंडर की शर्त संख्या 23.3 को विलोपित तक कर दिया.

12 एजेंसियों ने निविदा में भाग लिया : 

पारामेडिकल कर्मियों को आउटसोर्स के माध्यम से बहाली करने के लिए कुल 12 कंपनियों ने निविदा में भाग लिया. इनमें से नौ एजेंसियां सफाई और हाउसकीपिंग से जुड़ी थीं.

तकनीकी रूप से कंपनी में खामी नहीं

समानता को तकनीकी रूप से सही पाया गया है. टेंडर प्रक्रिया में उपयुक्त पाते हुए दस्तखत किये गये हैं, नियमों का पालन किया गया है. कंपनी के खिलाफ अगर कोई शिकायत है, तो शासन स्तर पर इसका संज्ञान लिया जा सकता है. हालांकि कंपनी पर कई शिकायतें मिली हैं, जो मामूली प्रतीत हो रही हैं, जिसका अध्ययन किया जा रहा है. मामला न्यायालय में है, इसलिए हम ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकते.

डॉ विनोद कुमार, सिविल सर्जन

किन शर्तों को तोड़ा-मरोड़ा गया

  • 1. समान कार्य अनुभव (पारामेडिकल) : निविदा एनआइटी के अनुसार, समान कार्य अनुभव की मांग की गयी थी, जबकि एजेंसी के पास पारामेडिकल संबंधित कार्य करने का कोई अनुभव नहीं है.

  • 2. स्किल्ड वर्क फोर्स का अनुभव जरूरी : समानता के पास केवल सफाई कार्य और सुरक्षा गार्ड के कार्य का ही अनुभव है. निविदा एनआइटी के अनुसार, स्किल्ड वर्क फोर्स को ही इसके योग्य माना जायेगा. जबकि बिहार गजट नंबर 290/पटना दिनांक-27 सितंबर 2019 के अनुसार सुरक्षा कर्मियों को अर्द्धकुशल की श्रेणी में रखा गया है.

  • 3. कंपनी का ट्रैक रिकार्ड : निविदा की शर्तों के अनुसार, एजेंसी से 300 कर्मियों को तीन माह के भुगतान प्रमाण पत्र के साथ सभी ट्रैक रिकार्ड की कॉपी मांगी गयी थी. इनके द्वारा जून में मात्र 129 कर्मी व मई में मात्र 250 कर्मियों का ही इसीआइसी और इसीआर कॉपी ही जमा करायी गयी.

  • 4. चरित्र प्रमाण पत्र में भी गड़बड़ी : राज्य में काम लेने के लिए एजेंसी के मालिक और सभी डायरेक्टर सह पार्टनर का उपायुक्त द्वारा निर्गत चरित्र प्रमाण पत्र ही मान्य, जबकि समानता ने केवल एक डायरेक्टर का चरित्र प्रमाण पत्र लगाया, वह भी पुलिस अधीक्षक पटना द्वारा निर्गत किया गया.

  • 5. कंपनी का झारखंड लिंक जरूरी : एजेंसी का झारखंड राज्य में कार्यालय होना जरूरी माना गया, जबकि समानता का झारखंड में कहीं भी कार्यालय नहीं है. उनके द्वारा बजरंग इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी का लीज एग्रीमेंट दिया गया, जबकि उसका भी एग्रीमेंट का समय भी फेल है.

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