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रामगढ़ कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चुनौतियों एवं संभावनाओं पर दो दिवसीय सेमिनार शुरू

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रामगढ़ कॉलेज में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चुनौतियां एवं संभावनाएं' विषय पर दो दिवसीय सेमिनार की शुरुआत हुई. इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा किया. वहीं, 40 शिक्षक और शोधार्थियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया.

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Jharkhand News: रामगढ़ कॉलेज में गुरुवार (13 अक्टूबर, 2022) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर दो दिवसीय सेमिनार की शुरुआत हुई. मां सरस्वती एवं आचार्य विनोबा भावे की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर इस सेमिनार की शुरुआत की गयी. अध्यक्षीय भाषण में रामगढ़ कॉलेज की प्रिसिंपल डॉ शारदा प्रसाद ने कहा कि किसी भी नये कदम की शुरुआत में कठिनाइयां आती ही है. लेकिन, ईमानदार और सही सोच के साथ क्रियान्वयन करने का जज्बा हो, तो हम भविष्य में निश्चय ही कुशल शिक्षा प्रणाली तैयार कर पाएंगे.

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भारतीय संस्कृति में विमर्श एवं शास्त्रार्थ की रही है परंपरा

मौके पर बतौर मुख्य अतिथि छतीसगढ से आये डॉ विनय पाठक ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में विमर्श एवं शास्त्रार्थ की परंपरा रही है. इसे हम स्वामी दयानंद सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश में खंडन मंडन के वर्णित विवरण से समझ सकते हैं. नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने का प्रावधान है. इससे बच्चों की समाज एवं बुद्धि को बेहतर विकसित किया जा सकता है.

सफल व्यावहारिक क्रियान्वयन पर निर्भर करती है हमारी शिक्षा नीति

मुख्य वक्ता के रूप में विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के मानविकी संकाय अध्यक्ष (Dean of Humanities) एवं कुलानुशासक डॉ मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि हमारी शिक्षा नीति की सफलता भविष्य में इसके सफल व्यावहारिक क्रियान्वयन पर निर्भर करती है. अनुकरण करना हमेशा ही औसत दर्जे की मानसिकता पैदा करता है. सफलता की उपासना में लगे रहने की बजाय सफलताओं का सम्मान करते हुए उससे सीखने की प्रवृत्ति विकसित करनी चाहिए.

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शिक्षा का मतलब केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं

सम्मानित अतिथि के रूप में यूनिसेफ की परामर्शक डॉ एकता देव ने कहा कि शिक्षा का मतलब केवल डिग्री प्राप्त करना ही नहीं है, ऐसा करने से हम चिंतनशील मानव नहीं बल्कि रोबोट तैयार करते हैं. नई शिक्षा नीति प्रगतिशील मानव तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है. सेमिनार के आयोजक सचिव डॉ रत्ना पांडे ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य विवेकपूर्ण मानव का विकास करना है. यह एक प्रकार से शिक्षा को बेहतर बनाने का चुनौतीपूर्ण एवं साहसिक कदम है. उद्घाटन समारोह का मंच संचालन वाणिज्य संकाय के सह प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार अग्रवाल व धन्यवाद ज्ञापन वाणिज्य संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ रणविजय देव ने किया.

शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया

तकनीकी सत्र में बाहर से आये लगभग 40 शिक्षक और शोधार्थियों ने नई शिक्षा नीति 2020 पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया. चेयरमैन के रूप में डॉ एके यादु, मुख्य अतिथि के रूप में डॉ केके गुप्ता एवं मुख्य वक्ता के डॉ सुनील कुमार दुबे उपस्थित थे. प्रतिवेदक के रूप में डॉ मालिनी डीन और बलवंती मिंज ने कार्यभार संभाला. सेमिनार में डॉ जंग बहादुर पांडे, डा ओमप्रकाश, डॉ उपेंद्र शर्मा, डा बीएन तिवारी, डॉ अरविंद कुमार सिंह, डॉ अनिल कुमार, अरुणजय कुमार व रामगढ़ कॉलेज के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों में प्रो सरिता सिंह, डॉ सतीश कुमार, डॉ राजेश कुमार उपाध्याय, डॉ सीटीएन सिंह, डाॅ बक्शी ओमप्रकाश, डॉ केसी दुबे, डॉ कामना राय, डॉ मालिनी डीन, डॉ बलवंती मिंज, डा रामाज्ञा सिंह, डॉ राहुल, डॉ रोज उरांव, डॉ अनामिका, डॉ प्रीति कमल, डॉ नीतू मिंज, डॉ शालिनी प्रकाश, डॉ विजेता तिग्गा, डॉ असीम, डॉ शहनवाज खान, प्रो साजिद, प्रो बीरबल महतो, अशोक अभिषेक, जितेन्द्र राणा, अजिता किन्डो, किसुन महतो, आइएन झा, वासुदेव महतो, उज्जवल राय, सरयू महतो, वीरेन्द्र उरांव, अजिता किंडो, उज्जवल रॉय, वासुदेव प्रसाद, दामोदर महतो, योगेन्द्र राम, सुंदर लाल, पुष्पा महतो, इंद्रमणि सिंह, सुरेश महतो, दशरथ महतो, आनंद शारदेय, भुवनेश्वर राम, शिवानंद ,मनोज नायक, चंदन कुमार, बबिता, सुमंत महली, दीपाश्री दयाल, विजय कुमार, सरोज, गौरव, लक्खी चरण स्वांसी, विनोद वर्मा, राकेश रोशन, विजय, विष्णु उरांव, देवानंद, पंचम, मो उस्मान आदि उपस्थित थे. इससे पूर्व अतिथियों के स्वागत में छात्राओं द्वारा मोहक झारखंडी नृत्य झूमर की प्रस्तुति के साथ की गई. प्रभारी प्रिंसिपल डॉ रेखा प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत भाषण प्रस्तुत किया. इस मौके पर रामगढ़ कॉलेज की पत्रिका उत्कर्ष और सेमिनार के स्मारिका का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया.

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