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मर्ज किये गये स्कूलों को दोबारा खोलने की तैयारी कर रही है झारखंड सरकार, लेकिन ज्यादातर की स्थिति बदहाल

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झारखंड सरकार तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा मर्ज किये गये स्कूलों को फिर से खोलने की तैयारी में लगी है लेकिन ज्यादातर की स्थिति ऐसी है जो उपयोग के लायक ही नहीं है. कई भवनों में खटाल खोल दिये गये हैं, तो वहीं कई भवन जुआरी और शराबियों का अड्डा बन चुके हैं.

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झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने राज्य के 6500 स्कूलों (प्राथमिक व मध्य विद्यालय) को मर्ज किया था, लेकिन राज्य सरकार अब उनको दोबारा खोलने की तैयारी कर रही है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इसे लेकर जिलों से भी रिपोर्ट मांगी है. सभी उपायुक्तों से आवश्यकता के आधार पर स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कहा गया है.

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‘प्रभात खबर’ ने जब मर्ज किये गये स्कूलों की जानकारी जुटायी, तो पता चला कि अधिकतर स्कूल भवन उपयोग के लायक बचे ही नहीं हैं. कई स्कूल भवनों पर अवैध कब्जा हो चुका है. कई भवनों में खटाल खोल दिये गये हैं, वहीं कई भवन जुआरी और शराबियों का अड्डा बन चुके हैं. तत्कालीन सरकार ने जिन प्राथमिक व मध्य विद्यालयों को मर्ज किया था.

इनमें न्यूनतम दो कमरे व अधिकतम चार से पांच कमरों वाले स्कूल शामिल हैं. जिन स्कूलों को मर्ज किया गया, उनमें अधिकतर सर्व शिक्षा अभियान के तहत खोले गये थे. हर स्कूल के निर्माण पर औसतन 10 लाख रुपये खर्च किये गये थे. अर्थात इन स्कूलों के भवन निर्माण पर 650 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.

इस आधार पर हुआ था स्कूलों का विलय

  • ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ के तहत स्कूलों में पर्याप्त संख्या में विद्यार्थी नहीं हैं

  • प्राइमरी स्कूल के एक किमी और मिडिल स्कूल के तीन किमी के दायरे में दूसरा स्कूल है

चतरा : जर्जर हो रहा स्कूल भवन

चतरा जिले में कुल 351 स्कूलों को मर्ज किया गया था. गिद्धौर प्रखंड की पहरा पंचायत के प्राथमिक विद्यालय मंगरा को नजदीकी विद्यालय केंदुआ में मर्ज किया गया है. उक्त विद्यालय का भवन बेकार पड़ा है और जर्जर होते जा रहा है. यहां दो भवन हैं. एक भवन में ताला लटकता रहता है और दूसरा निर्माणाधीन भवन जानवरों का बसेरा बना हुआ है. ग्रामीण निजी कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.

कोडरमा : स्कूलों को बनाया खटाल व घर

कोडरमा में 63 स्कूलों को मर्ज किया गया था. यहां खाली पड़े अधिकतर स्कूल भवनों की स्थिति खराब है. उत्क्रमित प्रावि हरिजन टोला महुंगाय का उपयोग स्थानीय लोग करते हैं. प्रावि टेहरो के आगे झाड़ियां उग आयी हैं. यह गोशाला बन गया है. उत्क्रमित प्रावि जेठहाडीह का भी यही हाल है. मरचोई पंचायत के उत्क्रमित प्रावि थनाही में लोग रह रहे हैं. नवसृजित प्रावि विधनिया का भवन जुआरियों व शराबियों का अड्डा बन गया है.

रांची : कहीं अवैध कब्जा तो कहीं बांध रहे मवेशी

रांची जिले में कुल 367 स्कूलों को मर्ज किया गया था. इनमें से अधिकतर स्कूल भवन बदहाल हो चुके हैं. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय पूर्वी टोला इरबा में एक स्थानीय व्यक्ति परिवार के साथ रह रहा है. बुढ़मू प्रखंड के यूपीएस छापरटोली, यूपीएस सहेदा सहित कई स्कूलों में ग्रामीण गाय-बैल बांधते हैं. कमरों में पुआल रखा जाता है. दरवाजे-खिड़कियां चोरी हो चुके हैं. कई स्कूलों के आसपास झाड़ियां उग आयी हैं.

गुमला : 70 स्कूल भवन हो गये हैं जर्जर

वर्ष 2018-2019 में गुमला के 186 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों को मर्ज किया गया था. 70 से अधिक भवन जर्जर हो गये हैं. कुछ भवन तो ध्वस्त होने लगे हैं. शहर के स्कूल भवन में जेएसएलपीएस का कार्यालय चल रहा है. वहीं, ग्रामीण इलाकों के स्कूल भवनों में पशु बांधे जा रहे हैं और धान सुखाया जा रहा है. बेकार स्कूल भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गये हैं.

भवनों का उपयोग करने का मिला था निर्देश

स्कूलों को मर्ज किये जाने के बाद खाली स्कूल भवनों के उपयोग को लेकर मुख्य सचिव स्तर से सभी जिलों को पत्र लिखा गया था. भवनों का उपयोग आंगनबाड़ी केंद्र और जेएसएलपीएस सेंटर के रूप में करने के लिए कहा गया था. कुछ स्कूल भवनों का उपयोग स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र व जेएसएलपीएस के सेंटर समेत अन्य सरकारी कार्यों के लिए हो रहा है. जिन भवनों का उपयोग हो रहा है, उनकी स्थिति लगभग ठीक है.

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