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लंबित परियोजनाएं

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सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि अनेक योजनाएं डेढ़-दो दशक से भी अधिक समय से अधर में लटकी पड़ी हैं.

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देश के आर्थिक विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर की महती भूमिका होती है. उससे योगदान को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि परियोजनाएं समय पर पूरी हों, ताकि उनकी लागत भी न बढ़े और उनका लाभ भी उठाया जा सके. लेकिन विभिन्न कारणों से कई परियोजनाएं निर्धारित समय में पूरी नहीं हो पाती हैं. केंद्र सरकार ने एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि सड़क यातायात एवं राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 262, रेलवे में 115 और पेट्रोलियम सेक्टर में 89 परियोजनाएं लंबित हैं.

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उल्लेखनीय है कि इन सेक्टरों में कुल परियोजनाओं की संख्या क्रमशः 835, 173 और 140 है. इस रिपोर्ट में सितंबर तक का ब्यौरा दिया गया है. केंद्र सरकार की जिन परियोजनाओं की लागत 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक होती है, उनकी निगरानी का काम इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग डिवीजन का होता है, जो केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन है.

लंबित परियोजनाओं के संबंध में सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि अनेक योजनाएं डेढ़-दो दशक से भी अधिक समय से अधर में लटकी पड़ी हैं. ऐसे में साल-दर-साल योजनाओं का बजट बढ़ना स्वाभाविक है और इससे राजकोष पर भी बोझ बढ़ता जाता है. रेलवे की जो 173 परियोजनाएं हैं, उनकी शुरुआत में कुल लागत का आकलन 3,72,761.45 करोड़ रुपये था, लेकिन अब यह बढ़कर 6,23,008.98 करोड़ रुपये हो चुका है.

इसका अर्थ यह है कि आकलित बजट से 67.1 प्रतिशत अधिक लागत का आकार हो चुका है. इन परियोजनाओं पर अभी तक 3,50,349.9 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. अभी तक जो स्थिति है, उसमें जितना खर्च होना चाहिए था, उससे यह राशि 56.2 प्रतिशत अधिक है. सड़क परियोजनाओं में खर्च के आकलन में तो वृद्धि 6.5 प्रतिशत ही आंकी गयी है, लेकिन अभी तक अनुमानित खर्च से 61.2 प्रतिशत अधिक खर्च हो चुका है. पेट्रोलियम सेक्टर में ये आंकड़े क्रमश: 5.4 और 36 प्रतिशत हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में है. उनकी पहल पर बने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप ने वर्तमान वित्त वर्ष (2022-23) के पहले छह महीने में विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित 11 सौ से अधिक मसलों का समाधान किया है. सड़क, रेल और पेट्रोलियम परियोजनाओं में देरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर नहीं है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में जानकारी देकर सराहनीय कार्य किया है, लेकिन देरी के कारणों की पहचान और पड़ताल कर समाधान की और पहल की जानी चाहिए.

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