बिरसा मुंडा की जयंती (Birsa Munda Jayanti) को लेकर रांची के कोकर डिस्टलरी पुल के पास स्थित धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के समाधि स्थल पर तैयारियां अंतिम चरण पर है. साफ-सफाई करायी जा रही है.
हर साल 15 नवंबर को धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती और झारखंड स्थापना दिवस (Jharkhand Foundation Day) मनाया जाता है. 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातू गांव में इनका जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी था. ब्रिटिश सरकार और उनके द्वारा नियुक्त जमींदार आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल कर रहे थे.
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ये महाजन, जिन्हें वे दिकू कहते थे, कर्ज के बदले उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते थे. यह सिर्फ विद्रोह नहीं था, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, स्वायत्तता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था. भगवान बिरसा की 9 जून, 1900 को जेल में संदेहास्पद अवस्था में मौत हो गयी.
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भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 15 नंवबर को झारखंड आ रही हैं. इसे लेकर अधिकारी कार्यक्रम स्थल पर जुटे हुए हैं. नगर निगम द्वारा साफ-सफाई करायी जा रही है. पानी का छिड़काव किया जा रहा है. साथ ही फूलों से पूरे समाधि स्थल को सजाया भी जाएगा. वहीं, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिरसा मुंडा के समाधि स्थल पर बने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे.
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बिरसा मुंडा (Birsa Munda) का जन्म 15 नवंबर को 1875 के दशक में छोटा किसान के गरीब परिवार में हुआ था. मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार निवासी था. बिरसा जी को 1900 में आदिवासी लोंगो को संगठित देखकर ब्रिटिश सरकार ने आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. भगवान बिरसा के संघर्ष और बलिदान की वजह से उन्हें आज हम ‘धरती आबा’ के नाम से पूजते हैं.