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सहरसा : सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद ही बना लिया पुल, आठ लाख खर्च कर बनाया 1200 फीट लंबा पुल

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ग्रामीणों ने आपसी एकता से कोसी नदी के असेय कैदली घाट पर 12 सौ फीट लंबे चचरी पुल का निर्माण किया है. इसमें आठ लाख रुपये की लागत आयी है. इस चचरी पुल के बन जाने से अब कई गांव लाभान्वित होंगे.

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सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र की आबादी दो भागों में बंटी हुई है. सात पंचायतें कोसी पूर्वी तटबंध के अंदर निवास करती हैं, तो सात पंचायतें कोसी पूर्वी तटबंध के पूर्वी भाग में निवास करती हैं. वैसे दो पंचायतों के नगर पंचायत बन जाने से प्रखंड में अब कुल 12 पंचायतें ही हैं. इसकी सात पंचायतें तटबंध के अंदर निवास करती हैं. तटबंध के अंदर किसी भी पंचायत में जाने से पहले कोसी नदी की एक से दो धारा पार करनी होती है. तटबंध के अंदर बसी सात पंचायतों के 24 राजस्व ग्राम के लोग आज भी सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. पर, अब ग्रामीणों ने अपनी किस्मत खुद बदलने का फैसला कर लिया है.

ग्रामीणों ने आपसी एकता से कोसी नदी के असेय कैदली घाट पर 12 सौ फीट लंबे चचरी पुल का निर्माण किया है. इसमें आठ लाख रुपये की लागत आयी है. इस चचरी पुल के बन जाने से प्रखंड मुख्यालय से कैदली पंचायत, बकुनिया पंचायत, हाटी पंचायत, डरहार पंचायत, नौला पंचायत, सतौर व शाहपुर पंचायत, कैदली पंचायत के आंशिक भाग पूर्ण रूप से लाभान्वित होंगे.

यहां से लोग अपने घर से प्रखंड मुख्यालय जाकर अपना कार्य कर एक दिन में लौट आयेंगे. इसके पहले लोगों को प्रखंड मुख्यालय से राजनपुर कर्णपुर पथ होते हुए जिले के महिषी प्रखंड के बलुआहा पुल पारकर या दो से तीन नदी पार कर 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर आना-जाना पड़ता था. इस कारण लोगों का आधा से अधिक समय आवागमन में ही बीत जाता था. पुल निर्माण कमेटी के अनुसार, पुल निर्माण में चार कमेटियों की आठ सदस्य टीमों के सहयोग से आठ लाख रुपये से 12 सौ फीट लंबे चचरी पुल का निर्माण कराया जा रहा है.

12 साल से पुल निर्माण की हो रही मांग

2005 से ही कोसी नदी के असेय कैदली घाट पर पुल बनवाने की मांग हो रही है. पर, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण असेय कैदली घाट पर पुल निर्माण की बात आगे बढ़ नहीं पायी. यही नहीं तटबंध के अंदर सात पंचायत के लोगों के आवागमन के लिए सड़क भी नहीं बन सकी. इस कारण लोग आज भी सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर अपने घरों में कैद रहने को विवश हैं.

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महागठबंधन की सरकार बनने पर तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफ्फुर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर असेय कैदली घाट पर पुल निर्माण की मांग की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी. पिछले लोकसभा कार्यकाल में स्थानीय सांसद पप्पू यादव ने भी लोकसभा में असेय कैदली घाट पर उच्च स्तरीय पुल निर्माण कराने की मांग की थी.

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