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National Pollution Control Day 2022 आज, क्यों मनाते हैं यह दिन, इतिहास और महत्व जानें

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National Pollution Control Day 2022: वर्ष 1984 में हुए भोपाल गैस हादसे के बाद से इस दिन को मनाने की शुरूआत हुई थी. इस त्रासदी को याद करते हुए और प्रदूषण की रोकथाम पर जोर देने के लिए हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है.

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National Pollution Control Day 2022: हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. 1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना मानी जाती है. 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को भारत के मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के यूनियन कार्बाइड के कारखाने में मिथाइल आइसो साइनाइड (MIC) का रिसाव हुआ था. यह जहरीली गैस हवा मे मिलकर, शहर में हवा के बहाव के साथ दूर तक फैल गई जिससे करीब 5.21 लाख लोग उससे प्रभावित हुए थे उनमें से 23 हजार लोगों की मौत हो गई थी. हर साल भारत उन सभी लोगों की याद में एक राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाता है जिन्होंने अपनी जान गंवाई.

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आज दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है प्रदूषण

यह गैस भोपाल के तालाबों के पानी और वहां की हवा में लंबे समय तक मिली रही. इस हादसे का प्रभाव इतना भीषण था कि आज 38 साल बाद भी इसका असर दिखाई देता है. उस हादसे में बचे लोगों की सेहत पर कुछ ऐसा असर हुआ कि उन्हें कैंसर और अन्य तरह की बीमारियों ने घेर लिया जिसकी वजह से उनका इलाज मरते दम तक चला. आज प्रदूषण सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संकट बन कर खड़ा है. प्रदूषण की सबसे बड़ी देन ग्लोबल वार्मिंग है जो आज दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है. भारत में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा कई अधिनियम और नियम पहले ही शुरू किए जा चुके हैं. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश भारत के नागरिकों मे प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना है.

वायु प्रदूषण को रोकने के कुछ तरीके

बेहतरीन तरीकों का इस्तेमाल कर हम वायु प्रदूषण जैसी आपदा पर जीत हासिल कर सकते है जिससे आने वाले समय में प्रदूषण को कम किया जा सके. इस दिन का उद्देश्य प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों को अपनाने में वृद्धि करना है.

पौधे लगाना

वनरोपण (AFFORESTATION) के बारे में हम सबने पढ़ा जरूर है लेकिन हम में से बहुत कम लोग ही अपनी असल जिंदगी मे ऐसा करते हैं. अपनी बाल्कनी में या घर के आंगन में पौधे जरूर लगाएं ऐसा करने से ना केवल आप जहरीली हवा को साफ करने में योगदान देंगे बल्कि साफ हवा उत्पन्न भी होगी.

वायु में धुंआ न फैलाएं

ज्यादा धुम्रपान करने से या फिर कोयला, पटाखे, लकड़ी जलाने जैसे कार्य वायू प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं. इनसे परहेज करें और अपने वातावरण को स्वच्छ रखने का प्रयास करें.

वाहन का इस्तेमाल कम करें

वाहनों से निकलने वाले धुंआ वायु में प्रदूषण फैलाते हैं. साइकिल का इस्तेमाल कर आप बहुत हद तक इस समस्या का निवारण कर सकते हैं. कोशिश करें कि ट्रैफिक में अपने वाहन को जरूर बंद करें ताकि फ्यूल की भी बचत हो और प्रदूषण भी ना फैले.

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भोपाल गैस त्रासदी से हमें क्या सीख मिलती है

इस हादसे से हमें एक तकनीकी सबक यह मिलती है कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा उपायों को लेकर गंभीरता बरतने की जरूरत है. यह हादसा सुरक्षा मानकों को लेकर बरती गई लापरवाही की वजह से हुआ था. इस बात के स्पष्ट प्रमाण भी पाए गए हैं कि इस हादसे को टाला जा सकता है. लेकिन आज भी हर साल देश के किसी ना किसी औद्योगिक कारखाने में नाइट्रोजन या अन्य गैस का रिसाव होने की घटना होती रहती है. इस हादसे से सबक लेकर जिस तरह की संवेदनशीलता और गंभीरता हमें अपने अंदर पैदा करनी थी वह हम अब भी नहीं करते. चाहे राजधानी दिल्ली में होने वाला वायु प्रदूषण हो या फिर उत्तर भारत में हिमालय में होने वाले प्राकृतिक प्रकोप का कहर हो, इन सब के लिए हमारी की गई लापरवाई ही जिम्मेदार है. इन सब हादसों का संबंध मानवीय गतिविधियों से जरूर है. हादसे होने के कुछ दिन तक हम सतर्क रहते हैं लेकिन समय के साथ हम उन्हें भुला देते हैं और फिर सबक मिलने के बाद भी उन ही गलतियों को दोहराते हैं.

जाह्नवी प्रियदर्शिनी

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