17.1 C
Ranchi
Tuesday, February 4, 2025 | 09:07 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Lucknow: 125 साल पुरानी टुंडे कबाब की दुकान के मालिक रईस अहमद का निधन, ऐसे बना अवध का शाही जायका…

Advertisement

कबाब के शौकीन लखनऊ आएं और टुंडे का मशहूर कबाब खाकर नहीं जाएं, ऐसा शायद ही कभी हुआ हो. एक बार यहां का जायका मुंह में लग गया तो कभी नहीं जाता. इसलिए खाने के शौकीनों का टुंडे के कबाब की दुकान पर हमेशा जमघट लगा रहता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Lucknow: लखनऊ के 125 साल पुराने टुंडे कबाब की दुकान के मालिक हाजी रईस अहमद का दिल का दौरा पड़ने से शुक्रवार को इंतकाल हो गया. इस वजह से शहर के सभी टुंडे कबाब की दुकानें आज बंद रहेंगी. टुंडे कबाब सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि नॉनवेज खाने वालों के बीच लखनऊ का ऐसा ब्रांड है, जिसके आगे बड़े बड़े होटल और दुकानें का खाना भी फीका है. लखनऊ आने वाला ऐसा हर शख्स जो नॉनवेज का शौकीन है, अकबरी गेट की इस दुकान पर एक बार जरूर पहुंचता है.

- Advertisement -
लखनऊ के बाहर रहने वाले रिश्तेदारों से मंगाते हैं टुंडे कबाब​

कबाब के शौकीन लखनऊ आएं और टुंडे का मशहूर कबाब खाकर नहीं जाएं, ऐसा शायद ही कभी हुआ हो. एक बार यहां का जायका मुंह में लग गया तो कभी नहीं जाता. इसलिए न सिर्फ खाने के शौकीनों का टुंडे के कबाब की दुकान पर हमेशा जमघट लगा रहता है, बल्कि कई तो ऐसे हैं, जो अपने रिश्तेदारों के लखनऊ से उनके वहां आने पर टुंडे का कबाब मंगाना नहीं भूलते. न लाने पर बात नाराजगी तक जा पहुंचती है. विदेशों तक में टुंडे के कबाब के शौकीनों की बड़ी संख्या है, जो इसका लुत्फ उठाना नहीं भूलते.

Undefined
Lucknow: 125 साल पुरानी टुंडे कबाब की दुकान के मालिक रईस अहमद का निधन, ऐसे बना अवध का शाही जायका... 3
भोपाल के नवाब के खानसामा थे टुंडे कबाब के पुरखे

टुंडे कबाब की कहानी बीती सदी की शुरुआत से ही शुरू होती है, जब पहली बार यहां अकबरी गेट में एक छोटी सी दुकान खोली गई. हालांकि टुंडे कबाब का‌ किस्सा तो इससे भी एक सदी पुराना है. दुकान के मालिक रईस अहमद के पुरखे भोपाल के नवाब के यहां खानसामा हुआ करते थे.

नवाब की उम्र बढ़ने के कारण हुई गलौटी कबाब की खोज

नवाब खाने पीने के बहुत शौकीन थे. लेकिन, उम्र के साथ मुंह में दांत नहीं रहे तो खाने पीने में दिक्‍कत होने लगी. बढ़ती उम्र में भी नवाब साहब और उनकी बेगम की खाने पीने की आदत नहीं गई. ऐसे में उनके लिए ऐसे कबाब बनाने की सोची गई जिन्हें बिना दांत के भी आसानी से खाया जा सके.

भोपाल से लखनऊ ऐसे पहुंचा जायका

इसके लिए गोश्त को बारीक पीसकर और उसमें पपीते मिलाकर ऐसा कबाब बनाया गया जो मुंह में डालते ही घुल जाए. पेट दुरुस्त रखने और स्वाद के लिए उसमें चुन चुन कर मसाले मिलाए गए. इसके बाद हाजी परिवार भोपाल से लखनऊ आ गया और अकबरी गेट के पास गली में छोटी सी दुकान शुरू कर दी थी.

अवध के शाही कबाब का मिला दर्जा

हाजी जी के इन कबाबों की शोहरत इतनी तेजी से फैली की पूरे शहर भर के लोग यहां कबाबों का स्वाद लेने आने लगे. इस शोहरत का ही असर था कि जल्द ही इन कबाबों को अवध के शाही कबाब का दर्जा मिल गया. इन कबाबों के टुंडे नाम पड़ने के पीछे भी दिलचस्प किस्सा है. असल में टुंडे उसे कहा जाता है जिसका हाथ न हो.

यूं मिला टुंडे नाम…

रईस अहमद के वालिद हाजी मुराद अली पतंग उड़ाने के बहुत शौकीन थे. एक बार पतंग के चक्कर में उनका हाथ टूट गया, जिसे बाद में काटना पड़ा. पतंग का शौक गया तो मुराद अली पिता के साथ दुकान पर ही बैठने लगे. टुंडे होने की वजह से जो यहां कबाब खाने आते वो टुंडे के कबाब बोलने लगे और यहीं से नाम पड़ गया टुंडे कबाब.

Undefined
Lucknow: 125 साल पुरानी टुंडे कबाब की दुकान के मालिक रईस अहमद का निधन, ऐसे बना अवध का शाही जायका... 4
परिवार के अलावा किसी को कबाब बनाने का तरीका नहीं मालूम

खास बात ये है कि दुकान चलाने वाले हाजी रईस अहमद के परिवार के अलावा और कोई दूसरा शख्स इसे बनाने की खास विधि और इसमें मिलाए जाने वाले मसालों के बारे में नहीं जानता है. हाजी परिवार ने इस राज को आज तक किसी को भी नहीं बताया यहां तक की अपने परिवार की बेटियों को भी नहीं. यही कारण है कि जो कबाब का जो स्वाद यहां मिलता है वो पूरे देश में और कहीं नहीं. कबाब में सौ से ज्यादा मसाले मिलाए जाते हैं.

वक्त बदला, बनाने का तरीका नहीं

आज भी उन्हीं मसालों का प्रयोग किया जाता है जो सौ साल पहले मिलाए जाते थे, आज तक उन्हें बदलने की जरूरत नहीं समझी. कहा जाता है कोई इसकी रेसीपी न जान सके इसलिए उन्हें अलग अलग दुकानों से खरीदा जाता है और फिर घर में ही एक बंद कमरे में पुरुष सदस्य उन्हें कूट छानकर तैयार करते हैं. इन मसालों में से कुछ तो ईरान और दूसरे देशों से भी मंगाए जाते हैं.

Also Read: UP By-Election: आज थम जाएगा उपचुनाव के लिए प्रचार का शोर, 5 दिसंबर को मतदाता रचेंगे इतिहास चर्चित हस्तियां भी हैं शौकीन

टुंडे कबाब के शौकीनों में शाहरुख खान, अनुपम खेर, आशा भौंसले जैसे और सुरेश रैना जैसे कई बड़े नाम हैं. कई चर्चित हस्तियां अपने लखनऊ दौरे के दौरान टुंडे कबाब को खाने दुकान पर आ चुके हैं. कई लोग तो ऐसे हैं, जहां पीढ़ी दर पीढ़ी इसके शौकीन मौजूद हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें