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Jharkhand News: जमशेदपुर में अफसरों की सांठगांठ से सरकारी जमीन बेच रहे भू-माफिया, जानें कीमत

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भू-माफिया नदी किनारों को भी नहीं छोड़ रहे हैं. सिर्फ अतिक्रमण पर ही बात नहीं रुकती है. खरकई नदी के किनारे की जमीन तीन से चार लाख रुपये प्रति कट्ठा के हिसाब से बेची जा रही है

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जल, जंगल और जमीन के नाम पर राज्य में हमेशा सियासत होती रही है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि इस प्रदेश में जल, जंगल और जमीन की लूट अब भी बदस्तूर जारी है. सरकारी अधिकारियों और भू-माफियाओं की सांठगांठ से इसे और बढ़ावा मिल रहा है. अगर सरायकेला-खरसावां जिले की बात करें, तो आदित्यपुर थाना क्षेत्र के मांझीटोला क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री की जा रही है.

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भू-माफिया नदी किनारों को भी नहीं छोड़ रहे हैं. सिर्फ अतिक्रमण पर ही बात नहीं रुकती है. खरकई नदी के किनारे की जमीन तीन से चार लाख रुपये प्रति कट्ठा के हिसाब से बेची जा रही है. यहां तेजी से घर बन रहे हैं. लोगों का कहना है कि उनकी जमीन बंदोबस्ती की है. वहीं, गम्हरिया अंचल निरीक्षक मनोज कुमार सिंह का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई सूचना नहीं है, लेकिन अगर जानकारी मिलती है, तो कार्रवाई जरूर की जाती है.

सड़क किनारे की सरकारी जमीन पर भी अतिक्रमण :

आदित्यपुर-कांड्रा मुख्य मार्ग पर सड़क किनारे भी अतिक्रमण हो रहा है. इसमें लोग दुकान खोल रहे हैं. डीवीसी मोड़, उषा मोड़, गम्हरिया थाना मोड़ समेत विभिन्न जगहों पर खाली पड़ी सरकारी जमीन पर धड़ल्ले से लोग कब्जा हो गया है.

आवास बोर्ड की जमीन पर भी भू-माफियाओं की नजर

सरकारी अधिकारी और भू-माफियाओं की सांठगांठ से सरकारी जमीन धड़ल्ले से बेची जा रही है. सरकारी जमीन को बचाने या इसकी निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है. अधिकारी जनता से मिली शिकायत पर भी कठोर कार्रवाई नहीं करते हैं. ऐसे मामलों में कभी-कभी कार्रवाई कर वे अपने दायित्व को निभाने का दिखावा भर करते हैं.भू-माफियाओं की नजर राज्य सरकार से लेकर आवास बोर्ड, वन विभाग, रेलवे के साथ सरकारी विभागों की जमीन पर है. जैसे ही मौका मिलता है उस पर कब्जा कर उसे बेच देते हैं. बड़ी बात यह है कि सरकारी जमीन की बिक्री के साथ उसकी रजिस्ट्री भी हो जाती है, लेकिन म्यूटेशन के समय पता चलता है कि यह सरकारी जमीन है.

मीरूडीह में वनभूमि बचाने के लिए बोर्ड लगाया, फिर भी बस गयी बस्ती

आरआइटी थाना अंतर्गत मीरूडीह में वन भूमि को बचाने और भू-माफियाओं के झांसे से भोले-भाले लोगों को बचाने के उद्देश्य से विभाग द्वारा बोर्ड लगाया गया था, जो अब झाड़ियों में तब्दील हो गयी है. इस बोर्ड के पास ही दर्जनों एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्जा हो चुका है. उसे खाली करवाना विभाग के लिए आने वाले दिनों में टेढ़ी खीर साबित होगी. गम्हरिया रेलवे स्टेशन के पास मीरूडीह जंगल फाटक वाला क्षेत्र पूर्व में घना जंगल हुआ करता था,

जहां लोग सिर्फ जलावन की लकड़ी लाने जाया करते थे. धीरे-धीरे उक्त घने जंगल के वृक्ष कटते गये. आज उक्त क्षेत्र में घनी आबादी वाला बास्कोनगर बस गया है. छोटा गम्हरिया मौजा वन क्षेत्र अंतर्गत बुरुडीह मुख्य मार्ग से सटे कालिकापुर पंचायत सचिवालय के सामने वन विभाग की करीब 50 एकड़ से अधिक भूमि का अतिक्रमण कर बेच दिया गया है. वहां धड़ल्ले से अतिक्रमण कर लोग घर बना रहे हैं. उक्त क्षेत्र में मुख्य मार्ग से सटी पांच पंचायतों की वन भूमि को माफियाओं ने बेचना शुरू कर दिया है.

वन भूमि पर लगा बोर्ड

आरआइटी थाना अंतर्गत मीरूडीह में वन भूमि को बचाने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा बोर्ड लगाया गया था. इसके बावजूद दर्जनों एकड़ जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया.

अतिक्रमण मामले में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने दिये जांच के आदेश

छोटा गम्हरिया पंचायत क्षेत्र में हो रहे वन भूमि पर अतिक्रमण मामले में ग्रामीणों की शिकायत पर सरायकेला के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने वन क्षेत्र पदाधिकारी को नोटिस जारी कर मामले की जांच करने का आदेश दिया है. पत्र में कहा गया है कि मौजा छोटा गम्हरिया के खाता संख्या 153, प्लाॅट संख्या 514, रकवा 35 एकड़ भूमि को भू-माफियाओं द्वारा बाहरी व्यक्तियों को बेच दिया गया है. ग्रामीणों ने उक्त वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराकर पौधरोपण करने का अनुरोध किया है. दर्जनों शिकायत और जांच के आदेश के बावजूद जमीन कारोबार का करोड़ों रुपये का कारोबार बदस्तूर फल-फूल रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि भू-माफियाओं का आतंक इतना है कि भय से कोई सामने आकर विरोध नहीं कर पा रहा है.

आदित्युपर और उसके आसपास के इलाके में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण या खरीद-बिक्री संबंधी कोई सूचना नहीं मिली है. इस संबंध में जानकारी मिलने पर अवश्य कार्रवाई की जाती है.

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