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जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद चीन की बिगड़ी चाल, सीमाओं पर घुसपैठ और संबंधों में तनाव जारी

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल और दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के पहले साल वर्ष 2020 के 15 जून को चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के जवानों के साथ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प की घटना को अंजाम दिया था.

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नई दिल्ली : साल 2022 के अक्टूबर महीने की 23 तारीख को शी जिनपिंग को तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का महासचिव चुना गया. हालांकि, उन्हें अगले पांच साल के लिए चीन का राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि अब वे जीवनपर्यंत इस पद बने रहेंगे. दुनिया के तानाशाही नेताओं में शुमार और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद शी जिनपिंग चीन के पहले ऐसे शासक हैं, जिन्हें लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति और सीपीसी का महासचिव चुना गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि चीन के राष्ट्रपति और सीपीसी के महासचिव के लिए शी जिनपिंग के निर्वाचन के साथ ही भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में जहर घुलने और भारतीय सीमाओं पर घुसपैठ के साथ तनाव बढ़ने की आशंका जाहिर की जा रही थी, जिसे पिछले नौ दिसंबर को चीनी सेना के जवानों ने भारतीय सैनिकों के साथ झगड़कर साबित कर दिया.

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15 जून 2020 से भारत-चीन सीमा विवाद में बढ़ा तनाव

बताते चलें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल और दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के पहले साल वर्ष 2020 के 15 जून को चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के जवानों के साथ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प की घटना को अंजाम दिया था. इसके बाद से भी भारत की उत्तर और पूर्वोत्तर की सीमा और सीमाई इलाकों में चीनी सैनिकों घुसपैठ और तनाव बना हुआ है. हालांकि, चीनी सैनिकों की घुसपैठ और सीमा पर तनाव बना हुआ है.

तिब्बत में बढ़ाई सैन्य क्षमता

आपको यह भी बता दें कि भारत-चीन के बीच वर्ष 1962 में हुए युद्ध के करीब 60 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इस दौरान चीन ने भारत के साथ संबंधों में सुधार करने की बजाय लगातार तनाव बढ़ाता ही जा रहा है. इन 60 सालों के दौरान चीन ने भारतीय सीमा से सटे इलाकों में अपने सैनिकों के लिए गांव बसाने के साथ ही रसद और हथियारों की आपूर्ति के लिए रेलवे लाइन और सड़कों तक का निर्माण करा दिया है.

खासकर, उसने तिब्बत में उसने अपने सैन्य तंत्र को काफी मजबूत किया है और इसके जरिए वह अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने सैनिकों को गुपचुप तरीके से तैनात कर रहा है. खबर यह भी है कि चीन ने तिब्बत में अपने सैनिकों की आठ डिवीजनों के मुकाबले तीन दर्जन डिवीजनों को तैनात कर दिया है. इसके साथ ही, फाइट प्लेन और मिसाइलों के लिए भारी संख्या अड्डों का निर्माण कराया है. इन सभी अड्डों पर सेना की समस्त जरूरतों वाली लॉजिस्टिक क्षमताएं स्थापित की जा चुकी हैं.

अफ्रीका से भारत पर हमले की तैयारी

इतना ही नहीं, चीन न केवल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में अपने सैनिकों की घुसपैठ करा रहा है, बल्कि हिंद महासागर में भी अपने जंगी जहाजों को तैनात कर रहा है. खबर है कि चीन ने भारत को घेरने के लिए हिंद महासागर में अफ्रीका को अपना ठिकाना बनाया है. चीन के इस खतरनाक खेल में पाकिस्‍तान उसका साथ दे रहा है.

Also Read: भारत-चीन सीमा विवाद पर एस जयशंकर ने कहा, पूर्वी लद्दाख में PP15 से सैन्य वापसी के साथ कम हुई बड़ी समस्या

अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश वार्षिक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि चीन ने अपने पहले विदेशी नौसैनिक बेस जिबूती को इस तरह से तैयार कर लिया है कि कभी भी महाविनाशक युद्धपोतों की तैनाती कर सकता है. चीन की घातक पनडुब्बियां भी अब हिंद महासागर में चक्‍कर लगा रही हैं. चीन ने यह तैयारी ऐसे समय में की है, जब भारतीय नौसेना के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर अभी इस स्थिति में नहीं हैं कि वे चीन के हमलों का सही तरीके से जवाब दे सकें.

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