Gorakhpur: गोरखपुर में सर्दी तेजी से बढ़ रही है जिसका असर आम जनमानस में देखने को मिल रहा है. लोग ठंड से बचने के लिए ऊनी कपड़े और अलाव का सहारा ले रहे हैं. वहीं लुढ़कते पारे के बीच गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के जानवरों की भी जीवनशैली बदल गई है. उन्हें गर्म कमरों में रखा जा रहा है. हीटर, ब्लोअर के साथ-साथ उनके बाड़े में पुआल और परदे की व्यवस्था भी चिड़ियाघर प्रशासन की तरफ से की गई है.
चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि ठंड ज्यादा बढ़ गई है. वैसे हम लोगों ने इसे लेकर पूरी तैयारी कर ली है. ठंड से बचाव के लिए अलग-अलग वन्यजीवों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं की गई हैं. जो छोटे जानवर हैं, जो अपने बाड़े में चले जाते हैं, उनके लिए बाड़े में आवश्यकतानुसार पुआल, हीटर और ब्लोअर की व्यवस्था कर दी गई है. उनके बाड़े में ऐसी जगह, जहां से ठंडी हवा आ सकती है उसे बंद कर दिया गया है.
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जो जानवर बाहर रहते हैं उनके लिए जो छप्पर बने हुए हैं, उनके नीचे पुआल की व्यवस्था कर दी गई है, जिससे वहां का माहौल गर्म रहे. जो पंछियों के बाड़े हैं, उन्हें भी ढक दिया गया है, वहां पर्दे लगा दिए गए हैं, जिससे बाड़ों के अंदर कहीं से भी ठंडी हवा ना जाए. डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि मुख्य रूप से हम लोग जिस बात का सबसे ज्यादा ध्यान रखते हैं वह ये है कि किसी भी वन्य जीव के बाड़े में ठंडी हवा का प्रवेश ना हो, जिससे उन्हें ठंड लगे और सेहत खराब हो.
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गोरखपुर चिड़ियाघर में भालू, बंदर, हिरण, शेर, बाघ, सांप, मगरमच्छ, घड़ियाल, पक्षी, हिप्पो, गैंडा और कई अलग-अलग जीवों को ठंड से बचाने के लिए अलग-अलग इंतजाम किए गए हैं. सभी बाड़े में एयर वेंटीलेशन को ध्यान में रखते हुए पर्दे लगा दिए गए हैं. जिससे जानवरों को सीधी ठंडी हवा न लगे. इतना ही नहीं इस सीजन में भालू को शहद की जरूरत सबसे ज्यादा रहती है, जो उनके शरीर को अंदर से गर्म रखता है. गेंडा और बंदरों को गुड़ और मूंगफली दी जाती है. शेर और बाघ के खान-पान का भी काफी ध्यान रखना पड़ता है. पक्षियों को बजरी, ककून, सावा और धान दीया जाता है.
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डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में जानवरों में तनाव बढ़ जाता है. उनका शरीर ठंड से लड़ने की कोशिश करता है. इस कारण से जानवर हमलावर भी हो जाते हैं. इसे दूर करने की दवा भी खाने के साथ वन्यजीव को दी जाती है, जिससे वह सामान्य रह सकें
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर