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गेंदा का फूल न सिर्फ सुंदरता की लिहाज से सबसे अच्छा माना जाता है बल्कि पूजा पाठ में भी इसका सबसे का सबसे ज्यादा उपयोग होता है. लेकिन क्या आपको पता है इसकी खेती आज कई किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है. ये न सिर्फ आय का सबसे अच्छा जरिया है बल्कि इसमें बहुत ज्यादा लागत की जरूरत नहीं होती है. आज हम आपको इस कहानी के जरिये बताएंगे कैसे इसकी खेती से झारखंड के कई व्यक्तियों और गांव की तस्वीर बदल गयी.
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झारखंड की राजधानी रांची से सटे पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड पहले घोर उग्रवाद प्रभावित इलाका था. कई जगहों पर तो अवैध तरीके से अफीम की खेती होती थी. लेकिन महिलाओं ने गेदा फूलों की खेती शुरू की. इससे न सिर्फ अच्छी आमदनी हुई बल्कि कई लोगों को इससे रोजगार भी मिला.
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इस साल दीपावली के त्योहार में राजधानी रांची और आसपास के शहर और घर खूंटी के गेंदा फूल से गुलजार रहे. करीब तीन करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार केवल खूंटी जिला की महिलाओं ने किया. झारखंड में पहले बंगाल से गेंदा के फूल आते थे. अब गेंदा फूल के लिए बंगाल पर निर्भरता कम हुई है. फूल की खेती करके महिला किसान सशक्त हो रही हैं.
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बता दें कि जनजातीय बहुल इस जिले में फूल उपजाने और उसे बाजार तक पहुंचाने वाली ज्यादातर महिलाएं ही हैं. इस वर्ष करीब 1,200 महिला किसानों ने फूल की खेती की थी. इन्होंने करीब 24 लाख गेंदा फूल की लरी तैयार की. थोक में 15 से 20 रुपये प्रति लड़ी के हिसाब से इसकी बिक्री हुई. एक-एक महिला किसान ने 25 से 30 हजार रुपये की कमाई इस सीजन में की.
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मुरहू प्रखंड के हेठगोवा गांव की नौरी हास्सा ने स्वयंसेवी संस्था प्रदान एवं जिला प्रशासन खूंटी के सहयोग से पहली बार परती पड़ी 30 डिसमिल जमीन पर गेंदा फूल की खेती की थी. एफपीओ के माध्यम से गेंदा फूल के पौधे मिल गये. तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान संस्था की प्रोफेशनल कविता बोदरा व उनके सहयोगियों ने दी. नौरी ने गेंदा फूल से 3,000 माला तैयार कर बाजार में भेजा. 15 से 20 रुपये की दर से थोक में माला बिकने पर उन्हें कम से कम 45,000 रुपये की कमाई हुई. खूंटी जिला में नौरा हास्सा पूर्ति जैसी लगभग 1,200 महिला किसान गेंदा फूल की खेती कर रही हैं.
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पटमदा के कुमीर गांव निवासी युधिष्ठिर महतो ने प्रभात खबर बातचीत में बताया था कि वे पहले सब्जी की खेती करते थे, जिससे हमेशा नुकसान सहना पड़ता था. 12 वर्ष पूर्व उन्होंने सब्जी की खेती छोड़ गेंदा फूल की खेती शुरू की और अच्छी खासी आमदनी होने लगी, तो उन्होंने सब्जी की खेती छोड़ हमेशा के लिए फूल की खेती को अपना लिया. युधिष्ठिर ने बताया कि गेंदा फूल के साथ-साथ अब वे जवा फूल गोला डीलक्स, गुल्ला आदि की भी खेती करते हैं. पटमदा में सबसे पहले उन्होंने ही फूल की खेती शुरू की थी.
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वहीं खूंटी जिले की बुद्धि कुजूर बतातीं हैं कि वो कुछ समय पहले तक वो अकेली किसान थीं, जो अपने क्षेत्र में गेंदा की फूल की खेती करती थीं. उन्होंने कहा कि माला बेचकर वह अच्छी आमदनी करतीं हैं. उनके मुताबिक फूलों की मांग सालोंभर रहती है. लेकिन त्योहार के सीजन में इसकी मांग काफी बढ़ जाती है. बुद्धि कुजूर सिर्फ अकेली किसान नहीं है जो खूंटी जिले में गेंदा फूल की खेती करती है, उनके अलावे भी और कई ऐसे किसान है जो इसकी खेती करते हैं.