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Brahmaputra Dam : भूकंप आया तो हिल जाएगा चीन का बांध? भारत को होगा नुकसान

Brahmaputra Dam : चीन ने कहा है कि ब्रह्मपुत्र पर बनने वाले बांध से भारत में पानी का प्रवाह प्रभावित नहीं होगा. इस बांध से बांग्लादेश भी चिंतित है. जानें आखिर क्यों?

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Brahmaputra Dam : चीन, भारत की सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने का प्लान बना रहा है. इसने भारत के साथ-साथ बांग्लादेश की भी चिंता बढ़ा दी है. हालांकि चीन ने कहा है कि नदी प्रवाह के निचले इलाकों में स्थित दोनों देशों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस योजना में चीन लगभग 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करने वाला है. चीन जहां यह निर्माण करने जा रहा है वह जगह नाजुक हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप के झटके आते रहते हैं.

चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने मामले को लेकर मीडिया में बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) के निचले क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के निर्माण की वैज्ञनिकों ने गहराई से जांच की है. इसके बाद यह बात सामने आई कि इससे निचले हिस्से में स्थित देशों के इकोलॉजिकल एनवायरनमेंट, जियोलॉजी और वाटर रिसोर्स पर कोई निगेटिव इम्पेक्ट नहीं पड़ेगा.

चीन बांध कहां बना रहा है?

बांध का निर्माण हिमालय क्षेत्र में एक विशाल घाटी पर बनाने का प्लान चीन कर रहा है. यहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने और बांग्लादेश में बहने से पहले एक तीव्र यू-टर्न लेती है.

बांध बनाने में क्या चुनौतियां हैं?

ब्रह्मपुत्र बांध के निर्माण में इंजीनियरों को बहुत दिक्कत आएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि यह भूकंप के लिए संवेदनशील टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है. टेक्टोनिक प्लेटों के ऊपर स्थित होने के कारण तिब्बती पठार पर अक्सर भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं. ब्रह्मपुत्र तिब्बती पठार से होकर बहती है, जो भारत में प्रवेश करने से पहले 25,154 फीट से गिरती है. यह दुनिया की सबसे गहरी घाटी बनाती है. बांध का निर्माण जहां हो रहा है, वह चीन के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में स्थित है.

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पिछले साल दिसंबंर के महीने में चीन ने तिब्बत में भारतीय सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र नदी पर यारलुंग जांगबो नामक एक बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी थी. विशाल बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा. यहां से ब्रह्मपुत्र अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में पहुंचती है.

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