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सास के भरण-पोषण के लिए बहू जिम्मेदार, हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता का आदेश दिया

High Court: मामला साल 2002 का है, जब याचिकाकर्ता महिला के पति की मृत्यु हो गई थी. 2005 में महिला को रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी.

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High Court: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा है कि पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाली महिला को अपनी सास को गुजारा भत्ता देना पड़ सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही CrPC की धारा 125 के तहत बहू पर सास-ससुर के भरण-पोषण का दायित्व न हो, लेकिन न्याय के लिए इसे अपवाद स्वरूप लागू किया जा सकता है.

जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें महिला को अपनी सास को हर महीने 10,000 रुपये देने के निर्देश दिए गए थे.

मामला साल 2002 का है, जब याचिकाकर्ता महिला के पति की मृत्यु हो गई थी. 2005 में महिला को रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी. इसके बाद वह अपने बेटे के साथ ससुराल छोड़कर चली गईं. 2022 में उनकी सास ने फैमिली कोर्ट का रुख किया और गुजारा भत्ता की मांग की. मार्च 2024 में फैमिली कोर्ट ने महिला को सास को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया.

महिला ने कोर्ट में कहा कि सास के अन्य बच्चे भी हैं, जो उनका ध्यान रख सकते हैं और यह भी तर्क दिया कि सास 20 साल बाद अदालत पहुंची हैं. कोर्ट ने पाया कि महिला ने अपनी नियुक्ति के समय यह वादा किया था कि वह अपने पति के परिवार की देखभाल करेंगी.

अदालत ने कहा कि CrPC की धारा 125 का उद्देश्य किसी को आर्थिक तंगी से बचाना है और इसे न्यायसंगत ढंग से लागू किया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला की आय 80,000 रुपये प्रति माह है और वह 10,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता के रूप में देने में सक्षम हैं.

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