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दुर्गावती जलाशय पर इको टूरिज्म पार्क बनाने को ले सरकार खर्च करेगी 49 करोड़

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जिले के सबसे बड़ी परियोजना दुर्गावती जलाशय के वन प्रक्षेत्र में इको टूरिज्म पार्क का निर्माण कराया जायेगा. इस पर सरकार 49 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है

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भभुआ. जिले के सबसे बड़ी परियोजना दुर्गावती जलाशय के वन प्रक्षेत्र में इको टूरिज्म पार्क का निर्माण कराया जायेगा. इस पर सरकार 49 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. गौरतलब है कैमूर में फैले विशाल वन प्रक्षेत्र को इको टूरिज्म से कैमूर पहाड़ियों को जोड़ने के लिए सरकारी प्रयास अब धीरे रंग लेने लगा है. अभी हाल में ही कैमूर के दुर्गावती जलाशय परियोजना पर पहुंचे बिहार के पर्यावरण व वन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने भी इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने की बात कही थी. लेकिन, दुर्गावती जलाशय क्षेत्र में नया इको टूरिज्म पार्क बनाने के पहले वन प्रक्षेत्र के करकटगढ़ जलप्रपात, तेलहाड़ कुंड, मुंडेश्वरी पहाडी आदि जगहों पर इको पार्क का निर्माण कराया जा चुका है. इसी कड़ी में अब सरकार द्वारा दुर्गावती जलाशय परियोजना के वन प्रक्षेत्र में भी इको टूरिज्म पार्क तैयार करने की ओर कदम बढ़ा दिया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी चंचल प्रकाशम ने बताया कि दुर्गावती जलाशय परियोजना क्षेत्र में 49 करोड़ रुपये की लागत से इको टूरिज्म पार्क बनाया जाना है. गौरतलब है कि दुर्गावती जलाशय परियोजना का विशाल जल संग्रहण क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का भी पसंद बनते जा रहा है. सात समंदर पार कर इस जल संग्रहण क्षेत्र में कभी कभी प्रवासी पक्षियों का जत्था भी विचरण करते नजर आने लगा है. 63 एकड़ क्षेत्र में इको टूरिज्म पार्क का निर्माण कराने का प्रस्ताव दुर्गावती जलाशय परियोजना के वन प्रक्षेत्र में बनाये जाने वाले इको टूरिज्म पार्क में आधुनिक सुविधाओं सहित मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध कराये जायेंगे. इस संबंध में जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि इस पार्क सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ बच्चों के खेलने के लिए विभिन्न तरह के उपकरण तथा ओपेन प्ले एरिया सहित छोटे सरकने वाले पुल आदि भी बनाये जायेंगे जहां बच्चे अपनी परिवार के साथ खुली हवा में खेलों का आनंद उठायेंगे. इस पार्क में प्रवासी पक्षियों के स्टेच्यू भी बनाये जाने हैं. इसके अलावा पार्क में बुद्धा पार्क, तितली पार्क, हर्बल और स्पाइसेज गार्डेन आदि भी बनाये जाने का प्रस्ताव है. जानकारी के अनुसार जो पर्यटक दूर दराज से आयेंगे उनके ठहरने और खाने पीने की व्यवस्था भी विभाग के स्तर से करायी जायेगी. पूर्व एसीफ राजकुमार शर्मा के अनुसार इस इको टूरिज्म पार्क का निर्माण 63 एकड़ क्षेत्र में कराये जाने का प्रस्ताव था. इन्सेट इको टूरिज्म हब का शक्ल अब लेने लगी है कैमूर की पहाड़ी भभुआ. शहरों के कोलाहल और कंक्रीट की दीवारों से लोगों को कोसों दूर धकेलती विंध्य पर्वतमाला का कैमूर का यह पठारी क्षेत्र अब बिहार के इको टूरिज्म के नक्शे पर तेजी से उभरते हुए हब का शक्ल लेते जा रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों को जलप्रपात से लेकर जल विहार, इको पार्क की पहाड़ी हवाएं, झूलता हुआ पुल, पगडंडियों पर नृत्य करते मयूरों का जोड़ा, पहाड़ी की बल खाती सड़कों से लेकर पेंड़ो तक उछलते-कूदते बंदर और लंगूरों का समूह, वाहनों के आवाज पर जंगलों में छिपते जंगली जीव, पेंड़ों के डालों पर झूलते हारिल पक्षियों का जोड़ा और फुनगियों पर बैठी मैना पक्षी की चहचहाहट किसी का भी ध्यान आकर्षित करने के लिए काफी है. जंगल की यह महक अब दूर जाने लगी है और बिहार, बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन्न स्थानों से तथा विदेशों से भी पर्यटकों के आने का सिलसिला साल दर साल बढ़ते जा रहा है. गौरतलब है कि कैमूर की यह पहाड़ी कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को अपने गर्भ में समेटे हुए प्रकृति के अनुपम अवदानों से भरी पड़ी हैं. इसमें करकटगढ़, मुंडेश्वरी पार्क, बंशी खोह, तेलहाड कुंड, कजरा दह, हथिया दह, दुर्गावती जलाशय सहित कई ऐसे अभी छुपे स्थल है जो अब तक सरकार की नजर में नहीं आ सके हैं. इन्सेट 2 यहां रेलवे से लेकर सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकेंगे पर्यटक भभुआ. इको टूरिज्म हब की ओेर कदम बढ़ा चुकी कैमूर के पहाड़ी वादियों में रेलवे से लेकर सड़क मार्ग से पर्यटक आसानी से कैमूर के पर्यटन स्थलों तक पहुंच सकेंगे. दुर्गावती जलाशय परियोजना के इको टूरिज्म पार्क तक पहुंचने में काशी से गंगा स्नान करके पर्यटक सीधे भाया एनएच 19 होते हुए 121 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंच जायेंगे. इसी तरह सासाराम शहर से 40 किलोमीटर, पटना से भाया एनएच 19 होते हुए 232 किलोमीटर, औरंगाबाद से भाया एनएच 922 और एनएच 319 होते 93 किलोमीटर तथा गया से एनएच 120 होते हुए 168 किलोमीटर की दूरी तय कर पर्यटक कैमूर पहाडियों का लुत्फ उठा सकेंगे. रेलवे यात्रा में भी पर्यटक वाराणसी जंक्शन, दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन तथा पटना और गया जंक्शन से भी कैमूर के रेलवे स्टेशनों पर उतर सकेंगे. जहां तक हवाई यात्रा की बात है तो कैमूर के नजदीक बनारस का लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा से भी भाया एयर वेज 115 किलोमीटर की दूरी पर्यटकों को नापनी पड़ेगी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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