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तालाब में ऑक्सीजन लेवल स्थायी रखने की जरूरत : डा श्रीवास्तव

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डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित पंचतंत्र सभागार में बेहतर उत्पादन के लिए समेकित मत्स्यपालन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ

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पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित पंचतंत्र सभागार में बेहतर उत्पादन के लिए समेकित मत्स्यपालन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ. अध्यक्षता करते हुए मत्स्यिकी महाविद्यालय ढोली के अधिष्ठाता डॉ पीपी श्रीवास्तव ने कहा कि बेहतर मछली उत्पादन के लिए तालाबों के ऑक्सीजन लेवल को स्थायी रखने की जरूरत होती है. तालाबों का ऑक्सीजन लेवल गिरने पर मछलियों पर दुष्प्रभाव पड़ना स्वाभाविक हो जाता है. इस से निबटने के लिए तालाबों में तत्क्षण पानी में हलचल पैदा कर देने पर मछली पानी के अंदर प्रवेश कर जाती है. आक्सीजन लेवल गिरने की स्थिति में मछलियां पानी भरे तालाब में पानी की सतह से अपने मुंह को ऊपर की दिशा में निकाल कर सुरक्षित स्थान की तलाश में देखती रहती है. मत्स्यपालन में सम्पूर्ण लागत के 50 प्रतिशत तालाब में मछलियों के आहार पर ही खर्च किया जाता है. मछलियों को खाना खिलाने के लिए तालाब में समय और जगह एक ही रखने पर बेहतर उत्पादन संभव हो पाता है. मछली पालन को व्यवसायीकरण करने के लिए वैज्ञानिकी विधि अपनाते हुए तालाबों का ससमय प्रबंधन करने पर मछलियों की सुरक्षा संभव हो पाता है. मछलियों को खाने में खल्ली के साथ ब्रांड डस्ट मिलाकर खिलाने से पौष्टिक आहार मिल जाता है. धान के खेत में भी बेहतर ढंग से मछली उत्पादन कर मछली के साथ धान का उत्पादन ले सकते हैं. बिहार में मोतीपालन व्यवसाय की अपार संभावनाएं हैं. रंगीन मछलियों के व्यवसाय से किसान अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. रंगीन मछलियों के व्यवसाय में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करने की आवश्यकता है. डीएसडब्लू डा रमण त्रिवेदी ने कहा कि मानव को विभिन्न रोगों के निवारण के लिए मछली खाना जरूरी है. बीते दो दशकों में मछली पालन से ज्यादा किसान जुड़े हैं. स्वागत भाषण प्रसार शिक्षा निदेशक डा मयंक राय ने किया. संचालन प्रसार शिक्षा उप निदेशक डा विनीता सतपथी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डा फूलचंद ने किया. मौके पर जिला मत्स्य पदाधिकारी मो. नियाजुद्दीन, सुरेश कुमार, सूरज कुमार आदि मौजूद थे.

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