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कालाजार व फाइलेरिया से संबंधित दिया गया प्रशिक्षण

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कालाजार व फाइलेरिया मरीजों की नजदीकी अस्पताल में करायें इलाज : डॉक्टर सुभाष

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ठाकुरगंगटी प्रखंड के हरिदेवी रेफरल अस्पताल के सभागार कक्ष में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में पिरामल फाउंडेशन प्रोग्राम की ओर से आये प्रशिक्षक अमरेंद्र कुमार झा द्वारा कालाजार व फाइलेरिया से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान क्षेत्र के मुखिया, जिला परिषद सदस्य वह ग्रामीण चिकित्सक को प्रशिक्षण दिया गया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर सुभाष चंद्र शर्मा ने कहा कि इस तरह के मरीज मिलने पर नजदीकी अस्पताल में समुचित इलाज कराये. ऐसे बीमारी से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से क्षेत्र में व्यापक प्रचार प्रसार करने की अपील की. गांव घरों में साफ-सफाई बहुत ही जरूरी है, ताकि ऐसी बीमारी से समाज को मुक्त बनाया जा सकता है. सरकार की ओर से कीट व दवा भी दी जा रही है.

बचने के लिए जागरूकता व साफ-सफाई अति आवश्यक

प्रशिक्षक अमरेंद्र कुमार झा ने कहा कि दोनों ही खतरनाक बीमारी है. कालाजार, फाइलेरिया, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जापानी बुखार होता है. इससे बचने के लिए जागरूकता व साफ-सफाई अति आवश्यक है. फाइलेरिया को आम तौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है. यह बीमारी मच्छर के काटने से होता है. यह बीमारी सबसे ज्यादा विकलांग एवं कुरूपता कराने वाली बीमारी है. यह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है. हाथ, पैर, स्तन और हाइड्रोसिल इसके संक्रमण का शिकार अधिकतर बचपन में ही हो जाता है. ऐसी खतरनाक बीमारी का पता चलने में 5 से 15 साल लग जाता है, जहां इस परिस्थिति में हाइड्रोसिल का इलाज तो ससमय संभव है, परंतु शरीर के अन्य अंगों में आया हुआ सूजन आम तौर पर लाइलाज होता है.इस दौरान प्रधान सहायक विनय कुमार सिन्हा, गीता देवी, प्रफुल कुमार महतो, समीयुद्दीन अंसारी, मोहम्मद जमालुद्दीन, अजय कुमार, धर्मराज कुमार सहित अन्य मौजूद थे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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