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माता-पिता की सेवा ही सच्ची श्रद्धा – गुरवानंद बाबा

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माता-पिता की सेवा ही सच्ची श्रद्धा - गुरवानंद बाबा

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प्रतिनिधि, मधेपुरा सदर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत साहुगढ़ टोला दुधराम वार्ड नंबर आठ में सद्गुरुदेव संत काग बाबा की जयंती पर दो दिवसीय सत्संग समारोह का आयोजन किया गया. गुरुवार को दूसरे प्रवचन में आचार्य गुरवानंद बाबा ने कहा कि ज्ञान व शक्ति कहने से दो अस्तिवों का बोध होता है. यद्यपि दोनों एक ही सत्ता है, जिसे परमात्मा कहते है. जैसे मैं और मेरी शक्ति. इन दोनों का ऐसा रूप है, जिसे एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है. मैं नहीं रहूं तो मेरी शक्ति काम नहीं कर सकती है और मेरी शक्ति नहीं रहीं तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता. यह एक पन्ने के दो पृष्ठ की तरह है. उसी तरह पुरुष व प्रकृति अर्थात ज्ञान और शक्ति का युग्मावस्था परमात्मा है. वैसे रूप में दो अस्तिवों का बोध होता है, लेकिन व्यावहारिक रूप में एक ही सत्ता का अनुभव होता है. उन्होंने कहा पूजा दो प्रकार की होती है. छोटी व बड़ी. मंदिर मस्जिद के प्रति श्रद्धा अर्पण करना छोटी पूजा है. धार्मिक भावना को बनाये रखने में मदद करने वाली कल को धार्मिक अनुभव कहा जाता है. उसे जल व फूल अर्पण करना, धूप अगरबत्ती दिखाना श्रद्धा बढ़ाने का एक माध्यम है. भावना से हम भविष्य बड़ी पूजा में कामयाब हासिल कर लेते हैं. योग, अध्यात्म, चेतना और शास्त्रों की विरासत को खुद में समेटे रखने वाली वह नदी है, जिसके किनारे सबसे पहले सभ्यता जन्मी. जैसे महापुरुष होते हैं और उनकी प्रतिमा होती है. प्रतिमा उनके गुण को ग्रहण करने के लिए प्रेरित करती है. बड़ी पूजा से मनुष्य अपनी और स्वाभाविक स्थिति की ओर प्रवर्तित होता है. आचार्य गुरवानंद बाबा ने कहा माता-पिता की सेवा ही सच्ची श्रद्धा है. श्रद्धा शब्द से सेवा की श्रद्धा जागृत होती है. मौके पर रामप्रवेश कुमार, विष्णु देव पंडित, शंभू यादव, उपेंद्र मिस्त्री, वीरेंद्र कुमार, अनिल कुमार अनल, सतीश कुमार दीक्षित, शंभू, गणेश आदि मौजूद थे.

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