19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

सर्दी के मौसम में बुजुर्गों में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा

Advertisement

शिशु व उम्रदराज लोगों का रखें विशेष ख्याल

Audio Book

ऑडियो सुनें

जमुई. सर्दियों के मौसम में शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट आने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है. हाइपोथर्मिया का सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर पड़ता है. सिविल सर्जन डॉ अमृत किशोर ने बताया कि स्वस्थ मनुष्य के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है. ठंड के मौसम में अगर शरीर का तापमान गिरकर 35 डिग्री सेल्सियस या 95 डिग्री फारेनहाइट से कम हो जाता है, तो हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है. इस बीमारी से बचने के लिए विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हाइपोथर्मिया में शरीर की गर्मी तेजी से कम होने लगती है और शरीर पूरी तरह ठंडा पड़ जाता है. इस दौरान पीड़ित व्यक्ति की आवाज धीमी पड़ जाती या उसे नींद आने लगता है. इसके साथ ही पूरे शरीर में कंपकपी के साथ हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं. दिमाग शरीर का नियंत्रण खोने लगता है. इसका असर शारीरिक रूप से कमजोर लोगों, मानसिक रोगियों, बेघर लोगों, बुजुर्गों एवं बच्चों में ज्यादा होता है. गंभीर स्थिति में ये जानलेवा साबित हो सकता है.

हार्ट व ब्लड प्रेशर की परेशानी वाले लोगों को अधिक खतरा

सिविल सर्जन डॉ किशोर ने बताया कि नवजात बच्चों और बुजुर्गों को हाइपोथर्मिया का सबसे ज्यादा खतरा होता है. यह उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की कम क्षमता के कारण होता है. उन्होंने कहा मानसिक बीमारी जैसे-स्किजोफ्रेनिया व बायपोलर डिसऑर्डर डिमेंशिया के कारण हाइपोथर्मिया का जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि ऐसे लोग ठंड का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं. हार्ट और ब्लड प्रेशर की बीमारी से परेशान लोगों में ठंड बढ़ने से हाइपोथर्मिया होने का खतरा ज्यादा रहता है. ठंड में खून की नसें सिकुड़ने की वजह से ब्लड प्रेशर से हार्टअटैक का डर भी रहता है तथा जब किसी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्व सही मात्रा नहीं होता है, तो वह कुपोषित हो जाता है. ऐसे में उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वह अधिक ठंड को बर्दाश्त करने में भी अक्षम हो जाता है. इस कारण भी लोगों में हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है.

हाइपोथर्मिया के कारण

सर्दियों में गर्म कपड़े पहनें बिना बाहर रहनाझील-नदी या पानी के किसी अन्य स्रोत के ठंडे पानी में गिरना

हवा या ठंड के मौसम में गीले कपड़े पहनना, अधिक परिश्रम करना

पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीना या पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं खाना

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें