21.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 06:28 pm
21.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Jamshedpur : संताली जनजीवन को संवार रहा साहित्य

Advertisement

करनडीह स्थित दिशोम जाहेर में शनिवार को शुरू हुए दो दिवसीय 37वें इंटरनेशनल संताली राइटर्स कॉन्फ्रेंस एंड लिटरेरी फेस्टिवल में पहले दिन साहित्यकारों की अपनी भाषा और जनजीवन के प्रति प्रेम ने समाज की नयी पीढ़ी को इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देने के लिए प्रेरित किया.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जमशेदपुर. करनडीह स्थित दिशोम जाहेर में शनिवार को शुरू हुए दो दिवसीय 37वें इंटरनेशनल संताली राइटर्स कॉन्फ्रेंस एंड लिटरेरी फेस्टिवल में पहले दिन साहित्यकारों की अपनी भाषा और जनजीवन के प्रति प्रेम ने समाज की नयी पीढ़ी को इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देने के लिए प्रेरित किया. साहित्यकारों ने कहा कि संताली साहित्य आदिवासी जनजीवन का सजीव दर्पण बनकर उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक अनुभवों को समृद्ध कर रहा है. यह न केवल उनकी परंपराओं और लोकाचारों को संरक्षित करता है, बल्कि आधुनिक युग के संदर्भ में उनकी अस्मिता और पहचान को भी सुदृढ़ करता है. वे अपनी कविताओं, कहानियों और गीतों के माध्यम से संताली साहित्य के साथ-साथ आदिवासी जीवन के संघर्ष, सपने और उत्सवों को सामने ला रहे हैं. उनकी यह कृतियां न केवल संताली समुदाय को एकजुट करता है, बल्कि बाहरी दुनिया को उनके अद्वितीय दृष्टिकोण और जीवन मूल्यों से परिचित कराता है. युवा पीढ़ी अब इसे और ऊंचाइयों पर ले जाने में अपना योगदान दें.

आज बेहतर काम करने वाले नौ साहित्यकारों को किया जायेगा सम्मानित

इंटरनेशनल संताली राइटर्स कॉन्फ्रेंस एंड लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और जाहेरथान कमेटी के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है. शनिवार को उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि एमपीसी कॉलेज बारीपदा की पूर्व प्राचार्या सह पद्मश्री डाॅ दमयंती बेसरा एवं पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम लोकसभा के सांसद पद्मश्री खेरवाल सोरेन, ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष-लक्ष्मण किस्कू, एसोसिएशन के महासचिव-रबिंद्रनाथ मुर्मू व ऑर्गनाइजिंग कमेटी के सचिव- गणेश टुडू मौजूद थे. सम्मेलन में साहित्यकार मानसिंह माझी, जलेश्वर किस्कू, दीजापदो हांसदा, जोबा मुर्मू, गणेश टुडू व डाॅ फटिक मुर्मू मौजूद थे. फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को संताली साहित्य में बेहतर काम करने वाले नौ साहित्यकारों को सम्मानित किया जायेगा. वहीं, करनडीह दिशोम जाहेरथान प्रांगण में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन व ट्राइबल बुक सेलर एंड पब्लिशर्स द्वारा आयोजित आदिवासी पुस्तक मेला में 17 स्टॉल लगाये गये हैं. पहले ही दिन से पुस्तक मेले में स्कूल व कॉलेज के छात्रों व पुस्तक प्रेमियों की काफी भीड़ जुट रही है और वे पुस्तकों की खरीदारी भी कर रहे हैं.

साहित्यकार अपनी कृतियों को संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में प्रकाशित करें : पद्मश्री दमयंती बेसरा

एमपीसी कॉलेज बारीपदा की पूर्व प्राचार्या सह पद्मश्री डॉ दमयंती बेसरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज में परिवर्तन का सशक्त माध्यम है. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ओलचिकी लिपि से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को सरकार की ओर से अपेक्षित प्राथमिकता नहीं मिल रही है. रोजगार और अवसरों के अभाव के कारण युवा इस लिपि से विमुख हो रहे हैं. वर्तमान समय में संताली माध्यम से अध्ययन को लेकर अनेक युवा भ्रमित हैं और यह समझने में असमर्थ हैं कि इस माध्यम से भी एक उज्ज्वल करियर संभव है. उन्होंने संताली माध्यम से पढ़ाई कर सफल हुए व्यक्तियों का आह्वान किया कि वे अपने अनुभवों से समाज के नवयुवकों को प्रेरित करें और उनका मार्गदर्शन करें. यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे नयी पीढ़ी के छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि पूरे भारत के साहित्यकार अपनी कृतियों को संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में प्रकाशित करें. ऐसा करने से संताली भाषा में एकरूपता आएगी और समाज के अन्य लोग भी इस लिपि को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे. ओलचिकी लिपि की व्यापकता बढ़ने से यह गांव-घर तक अपनी पहचान बना सकेगी. उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं, बल्कि उसकी दिशा का निर्धारक भी होता है. यदि संताली भाषा और ओलचिकी लिपि को संगठित रूप से प्रोत्साहित किया जाए, तो यह न केवल सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करेगी, बल्कि नयी पीढ़ी के लिए अवसरों के द्वार भी खोलेगी.

समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के माध्यम बनें युवा : श्रीपति टुडू

सिदो-कान्हू बिरसा यूनिवर्सिटी, पुरुलिया के संताली विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीपति टुडू बताते हैं कि मातृभाषा संताली को समृद्ध और विकसित बनाने का दायित्व युवा पीढ़ी के कंधों पर है. उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के माध्यम बनें और अपनी भाषा तथा संस्कृति को सशक्त बनाने में योगदान दें. श्रीपति टुडू ने संताली भाषा की ओलचिकी लिपि के विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह तेजी से समृद्ध हो रही है और अपने साहित्यिक व सामाजिक आयामों में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. उन्होंने बताया कि संताली भाषा की शक्ति और व्यापकता को पहचानते हुए इसे और अधिक उपयोगी तथा प्रभावी बनाने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि श्रीपति टुडू ने भारतीय संविधान का अनुवाद संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में किया है. उनके इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मानित किया था. यह उनकी भाषा और संस्कृति के प्रति समर्पण का परिचायक है. श्रीपति टुडू का यह योगदान संताली भाषा के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में एक प्रेरणादायक उदाहरण है.

मातृभाषा हमारे अस्तित्व व पहचान का मूल आधार : सुचित्रा हांसदा

युवा साहित्य पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार सुचित्रा हांसदा बताती हैं कि संताली साहित्य अपनी समृद्ध परंपरा और विकासशील स्वरूप के साथ आज एक सशक्त स्थान पर खड़ा है. उन्होंने कहा कि संताली भाषा का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल और स्वर्णिम है. संताली साहित्य न केवल अपनी संस्कृति और इतिहास को संरक्षित कर रहा है, बल्कि इसे आधुनिक युग के साथ भी जोड़ रहा है. सुचित्रा हांसदा ने युवाओं से अपील की कि वे अपनी मातृभाषा को अपनाएं और इसे लिखने-पढ़ने की आदत विकसित करें. उन्होंने कहा कि मातृभाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान और हमारे अस्तित्व का मूल आधार है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संताली भाषा का विकास तभी संभव है, जब नयी पीढ़ी इसमें रुचि दिखाए और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए. युवाओं को संताली साहित्य में सक्रिय योगदान देना चाहिए, ताकि यह भाषा अपनी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ा सके. सुचित्रा हांसदा ने संताली साहित्य के बढ़ते दायरे और इसके प्रभाव पर भरोसा जताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह भाषा वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएगी.

युवा पीढ़ी मातृभाषा में लिखने-पढ़ने की आदत विकसित करें : लक्ष्मण किस्कू

ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू बताते हैं कि युवाओं से संताली साहित्य में सक्रिय भागीदारी निभाना चाहिए. संताली भाषा और साहित्य हमारी सांस्कृतिक पहचान और विरासत का अभिन्न हिस्सा है. इसे संरक्षित और विकसित करना हर युवा का नैतिक दायित्व है. संताली साहित्य न केवल हमारे समाज के इतिहास और परंपराओं को समेटे हुए है, बल्कि यह हमारी भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम भी है. युवाओं को चाहिए कि वे इस धरोहर को सहेजने और समृद्ध करने में अपनी भूमिका निभाएं. लेखन, पठन और अनुवाद जैसे प्रयास संताली भाषा को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा पीढ़ी को मातृभाषा में लिखने-पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए. इससे न केवल भाषा का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि इसका साहित्यिक और सामाजिक दायरा भी विस्तृत होगा. श्री किस्कू ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उनकी ऊर्जा और रचनात्मकता संताली साहित्य को सशक्त और भविष्य के लिए प्रासंगिक बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है.

संताली भाषा हमारी जड़ों से जुड़ने का माध्यम है : रबिंद्रनाथ मुर्मू

ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के महासचिव रबिंद्रनाथ मुर्मू ने संताली भाषा और साहित्य को हमारी सांस्कृतिक पहचान और विरासत का अभिन्न हिस्सा बताया. वे बताते हैं कि संताली भाषा न केवल हमारे समाज की परंपराओं और लोकाचारों को संरक्षित करती है, बल्कि यह हमारी अस्मिता और इतिहास का जीवंत प्रमाण भी है. उन्होंने कहा कि संताली साहित्य में हमारे पूर्वजों के संघर्ष, उनकी मान्यताओं, रीति-रिवाजों और जीवनशैली का अनमोल खजाना छिपा हुआ है. इसे सहेजना और आगे बढ़ाना वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी है. रबिंद्रनाथ मुर्मू बताते हैं कि संताली भाषा का प्रचार-प्रसार और साहित्यिक विकास केवल तभी संभव है, जब इसे अपनाने और सशक्त बनाने में समाज के हर वर्ग विशेषकर युवाओं का योगदान हो. साहित्य के माध्यम से संताली भाषा का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्व दुनिया तक पहुंचाया जा सकता है. संताली साहित्य को पढ़ने, लिखने और प्रचारित करने से न केवल हमारी विरासत संरक्षित होगी, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी. संताली भाषा हमारी जड़ों से जुड़ने का माध्यम है और इसे समृद्ध करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.

इनकी कृतियां करती हैं प्रेरित

संताली जनजीवन पर सैंकड़ों किताबें लिखी गयी हैं. इनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भोला सोरेन की एनसियंट सिविलाइजेशन ऑफ द संताल, डॉ धनेश्वर माझी की संताली लोक कथा : एक अध्ययन, लिठुर आडांग, रामेश्वर मुर्मू की जाहेर बोंगा, धर्म बोंगा बुरू गमाचार नेमाचार, खेरवाड़ कोवा : बिंती भक्ति, डीडी मुर्मू की हितलाय, बैद्यनाथ सोरेन की दी खेरवाल, राजेंद्र हांसदा की हेटेज, स्टीफन मुर्मू की होड़ बापला पुथी, विनोद कुमार की झारखंड के आदिवासियों का संक्षिप्त इतिहास और आदिवासी संघर्ष गाथा, केवलराम सोरेन की माझी छटका, कुदुम पुथी और संताली : सिंधु सभ्यता की भाषा जैसी कृतियां साहित्य प्रेमियों के लिए हर पुस्तक मेले में आकर्षण का केंद्र बनती हैं.

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें