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Munger news : शिशु मृत्यु दर कम करने में सफल नहीं हो पा रहा स्वास्थ्य विभाग, जान गंवा रहे नवजात

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मुंगेर सदर अस्पताल में 8.8 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर, जनवरी से नवंबर के बीच सदर अस्पताल के एसएनसीयू में 78 नवजातों की हो चुकी है मौत

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मुंगेर. स्वास्थ्य विभाग को जिले में मातृ मृत्यु दर को कम करने में तो काफी हद तक सफलता मिली है, लेकिन शिशु मृत्यु दर को कम करने में मुंगेर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह विफल हो रहा है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 20 लाख की जनसंख्या वाले मुंगेर स्थित सदर अस्पताल में शिशु मृत्यु दर 8.8 प्रतिशत है.

स्वास्थ्य विभाग को शिशु मृत्यु दर कम करने में नहीं मिल रही सफलता

शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही है. जबकि इसके लिये अस्पताल में बने एसएनसीयू वार्ड को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. बावजूद केवल सदर अस्पताल में शिशु मृत्यु दर के 8.8 प्रतिशत का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की पोल खोल रहा है. बता दें कि सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में जनवरी से नवंबर 2024 के बीच 11 माह में 879 नवजातों को जन्म के बाद भर्ती किया गया, जिसमें से 78 नवजातों की मौत हो चुकी है.

11 माह में 508 बालक व 371 बालिका नवजात भर्ती

सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में जनवरी से नवंबर के बीच 11 माह में कुल 879 नवजात भर्ती हुये हैं. इनमें 508 बालक व 371 बालिका नवजात शामिल हैं. हालांकि सदर अस्पताल में बने एसएनसीयू वार्ड में अस्पताल के प्रसव केंद्र में जन्मे बच्चों के साथ जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्र सहित प्राइवेट नर्सिंग होम में जन्मे बच्चों को भी आवश्यकता पड़ने पर भर्ती किया जाता है. इन 11 माह में जहां अस्पताल में जन्मे कुल 537 नवजातों को भर्ती किया गया है. वहीं जिले के अन्य स्वास्थ्य संस्थान या निजी नर्सिंग होम से भेजे गये कुल 315 नवजातों को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है.

करोड़ों खर्च कर बनाया गया है एसएनसीयू वार्ड

सदर अस्पताल में करोड़ों रुपये की लागत से 20 बेड का एसएनसीयू (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) वार्ड संचालित हैं. जहां वैसे नवजात जो समय से पहले पैदा होते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं या उनका जन्म मुश्किल होता है, वैसे बच्चों को भर्ती किया जाता है. जिसे इन्यूवेटर पर रखा जाता है. इतना ही नहीं यहां शिशु विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ प्रशिक्षित परिचारिकाओं की ड्यूटी भी लगायी जाती है, ताकि जन्म के साथ किसी प्रकार की परेशानी से पीड़ित नवजातों का सही से इलाज हो सके. इसके लिये यहां अलग से इन्यूवेटर पर ऑक्सीजन पाइपलाइन की व्यवस्था है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि पहले की अपेक्षा जिले में शिशु मृत्यु दर काफी कम हुआ है. हालांकि एसएनसीयू वार्ड की समीक्षा प्रत्येक माह की जाती है, ताकि शिशु मृत्यु दर को शून्य किया जा सके. इसके लिये लगातार वार्ड का निरीक्षण भी किया जा रहा है.

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