27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 04:40 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

रामगढ़ में याद किए गए खोरठा के आदि कवि श्रीनिवास पानुरी, 3 पुस्तकों और 2 पत्रिकाओं का हुआ विमोचन

Advertisement

Shrinivas Panuri Jayanti: खोरठा के आदि कवि श्रीनिवास पानुरी की जयंती रामगढ़ के डॉ एस राधाकृष्णन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर 3 पुस्तकों और 2 पत्रिकाओं का विमोचन भी किया गया.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Ramgarh News|Shrinivas Panuri Jayanti| खोरठा दिवस पर खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद ने अपने सबसे बड़े साहित्यकार श्रीनिवास पानुरी को याद किया. इस अवसर पर परिषद के अध्यक्ष डॉ बीएन ओहदार ने कहा कि श्रीनिवास पानुरी में खोरठा को स्थापित करने के लिए जो तड़प और प्रतिबद्धता थी, वह अभूतपूर्व थी. ओहदार ने कहा कि 25 दिसंबर, 1920 को जन्मे श्रीनिवास पानुरी ने देश की आजादी से पहले ही खोरठा में लिखना शुरू कर दिया था. इसके लिए उन्हें उपहास झेलना पड़ा, लेकिन इससे वह कतई विचलित नहीं हुए.

- Advertisement -

खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद ने किया पानुरी जयंती का आयोजन

इस अवसर पर परिषद ने झारखंड सरकार से मांग की है कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में राज्य की क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को अनिवार्य किया जाए. झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं के कॉलम से हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, बांग्ला, ओड़िया को हटाने की भी मांग परिषद ने की है. रामगढ़ जिले के लारी स्थित डॉ एस राधाकृष्णन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के बहुउद्देशीय सभागार में खोरठा साहित्य में उत्कृष्ट कार्य करने वाले साहित्यकारों को खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद ने बुके, मोमेंटो एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

खोरठा दिवस के रूप में मनती है श्रीनिवास पानुरी जंयती

खोरठा के आदि कवि साहित्यकार श्रीनिवास पानुरी का जन्मदिन खोरठा दिवस के रूप में मनाया जाता है. रामगढ़ में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष डॉ बीएन ओहदार और संचालन प्रोफेसर दिनेश कुमार दिनमणि ने किया. खोरठा के महानायक श्रीनिवास पानुरी की जयंती और खोरठा दिवस पर परिषद और सम्मानित साहित्यकारों ने 3 पुस्तकों और 2 पत्रिकाओं का विमोचन किया.

झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक को क्लिक करें

कार्यक्रम में ये लोग हुए शामिल

श्रीनिवास पानुरी के चित्र पर पुष्पांजलि करने और दीप जलाने के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. सम्मानित अतिथि के रूप में अनाम ओहदार, डॉ विनोद कुमार, महेंद्र नाथ गोस्वामी, महाविद्यालय के सचिव संजय कुमार प्रभार, महाविद्यालय के पूर्व सचिव मनीष कुमार, डॉ राजेश महतो डॉ शशि, परितोष कुमार प्रजापति, इम्तियाज गदर, शांति भारत, श्यामसुंदर महतो, कलाकार सुकुमार, बसु बिहारी, प्रदीप कुमार दीपक, सरजू महतो, रामशरण विश्वकर्मा, रामकुशुन सोनार, अशोक कुमार, विनोद रशलीन, कंचन वर्णवाल, अहिल्या कुमारी, मुंशी महतो, रितु घासी, भुनेश्वर महतो, मुक्तेश्वर तुरी, सुरेंद्र रजवार, दिनेश दिनमनी, पूर्णकांत ठाकुर, कलाम रशीदी, अधिवक्ता योगेंद्र प्रसाद, लक्ष्मी नारायण महतो, ओम प्रकाश महतो, कुलेश्वर महतो, गुड्डू ओहदार, पाली ओहदार उपस्थित रहे.

खोरठा के आदि कवि श्रीनिवास पानुरी के बारे में जानें

  • नाम : श्रीनिवास पानुरी
  • पिता का नाम : शालिग्राम पानुरी
  • मां का नाम : दुखनी देवी
  • जन्म स्थान : बरवाअड्डा, कल्याणपुर, धनबाद
  • जन्म तिथि : 25 दिसंबर, 1920
  • मृत्यु : 7 अक्टूबर, 1986

रामगढ़ की ताजा खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक को क्लिक करें

खोरठा साहित्य जगत में श्रीनिवास पानुरी

खोरठा साहित्य जगत में श्रीनिवास पानुरी का नाम आदर से लिया जाता है. यद्यपि आधुनिक खोरठा साहित्य की बुनियाद ‘ब्याकुल’ जी ने रख दी थी, लेकिन उनकी रचनाएं बहुत उपलब्ध नहीं हैं. ऐसा अनुमान है कि भारत की आजादी के पहले से ही पानुरी ने खोरठा में लिखना शुरू कर दिया था. हालांकि, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित उनकी एक भी रचना नहीं दिखी. स्वतंत्रता के ठीक बाद अर्थात् 1950 के आस-पास संस्कृत काव्य ‘मेघदूत’ का खोरठा अनुवाद प्रकाशित होने के बाद पानुरी चर्चा में आए. अपने 66 साल के जीवनकाल में लगभग 42 साल तक वह साहित्य की रचना करते रहे. सरल शब्दों को धारदार बनाने में बहुत माहिर थे. उनकी रचना में उत्तरोत्तर विकास के दर्शन होते हैं. एक ओर इनकी आरंभिक रचनाएं शृंगार प्रधान थीं, तो अंतिम दौर की रचनाएं मार्क्सवादी दर्शन से प्रभावित रहीं. कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो का खोरठा काव्यानुवाद इसका प्रमाण है.

इसे भी पढ़ें

Education News : पीजी खोरठा विभाग में मनायी श्रीनिवास पानुरी जयंती

मांय माटी: खोरठा भाषा-साहित्य के अग्रणी योद्धा थे श्रीनिवास पानुरी

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें