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महोत्सव से ‘लज्जा’ को रद्द करवाने का आरोप

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तस्लीमा नसरीन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उत्तर 24 परगना में गोबरडांगा और हुगली में पांडुआ नाट्योत्सव में हस्तक्षेप किया और आयोजकों पर कार्यक्रम से नाटक हटाने का दबाव बनाया, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं.

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तस्लीमा नसरीन ने कहा : पश्चिम बंगाल सरकार दबा रही कलाकारों और लेखकों की आवाज

संवाददाता, कोलकाता

निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने राज्य सरकार पर कलाकारों और लेखकों की आवाज दबाने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनके उपन्यास पर आधारित नाटक ‘लज्जा’ को राज्य में दो रंगमंच महोत्सवों में जबरन रद्द कर दिया गया. तस्लीमा नसरीन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उत्तर 24 परगना में गोबरडांगा और हुगली में पांडुआ नाट्योत्सव में हस्तक्षेप किया और आयोजकों पर कार्यक्रम से नाटक हटाने का दबाव बनाया, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा : नाटक का कार्यक्रम दो महीने पहले ही घोषित कर दिया गया था, लेकिन अचानक पुलिस ने आयोजकों पर दबाव डाला कि वे ‘लज्जा’ को सूची से हटा दें. आपको याद दिला दूं कि एक रंगमंच समूह ने दिल्ली में खचाखच भरे ‘ऑडिटोरियम’ में तीन बार इसी नाटक का मंचन किया था. तस्लीमा नसरीन ने इस नाटक के मंचन से हिंसा भड़कने की आशंका जैसे ‘बहाने’ को लेकर पश्चिम बंगाल प्रशासन की आलोचना की. उन्होंने दुख जताते हुए कहा : मुझे इस आशंका के साथ पश्चिम बंगाल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा कि मेरी उपस्थिति कट्टरपंथी लोगों को दंगे भड़काने के लिए उकसायेगी. मैं समझ नहीं पा रही हूं कि दंगाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है और लेखकों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आवाज को क्यों दबाया जा रहा है. गोबरडांगा रंगमंच महोत्सव के आयोजकों ने पुष्टि की है कि ‘लज्जा’ को सूची से हटा दिया गया है, लेकिन उन्होंने कोई और कारण बताने से इनकार कर दिया.

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