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कार्यशाला में आइओ को कराया गया कानूनी प्रावधानों से अवगत

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दुमका कोर्ट. डीएलएसए द्वारा शनिवार को विभिन्न केस के अनुसंधानकर्ता के लिए कार्यशाला आयोजित की गयी. इसमें एनडीपीएस, पॉक्सो एक्ट, विक्टिम कंपनसेशन, सर्च एंड सीजर की जानकारी दी गयी. न्याय सदन में शनिवार को पीडीजे सह डीएलएसए अध्यक्ष संजय कुमार चन्द्धरियावी के निर्देशन कार्यशाला हुई. डीएलएसए सचिव उत्तम सागर राणा ने केस के अनुसंधानकर्ताओं को बताया कि विधिक सेवा संस्थाओं का मूल कार्य सभी व्यक्तियों, विशेष कर वंचित या हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना है. अधिकारी कानूनी जागरुकता को बढ़ावा देने, कानूनी सहायता प्रदान करने और वंचितों को उनके अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी घटना के बाद पीड़ित से मिलने वाले पहले व्यक्ति होते हैं. जांच अधिकारी न्याय प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें साक्ष्य एकत्र करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों और पीड़ित के पुनर्वास के लिए कानूनी प्रावधानों का ज्ञान होना चाहिए. पीड़ितों के पुनर्वास, साक्ष्य संग्रह, पॉक्सो एक्ट, एमएसीटी (डार एवं फार) तथा महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रासंगिक प्रावधानों पर चर्चा की गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

दुमका कोर्ट. डीएलएसए द्वारा शनिवार को विभिन्न केस के अनुसंधानकर्ता के लिए कार्यशाला आयोजित की गयी. इसमें एनडीपीएस, पॉक्सो एक्ट, विक्टिम कंपनसेशन, सर्च एंड सीजर की जानकारी दी गयी. न्याय सदन में शनिवार को पीडीजे सह डीएलएसए अध्यक्ष संजय कुमार चन्द्धरियावी के निर्देशन कार्यशाला हुई. डीएलएसए सचिव उत्तम सागर राणा ने केस के अनुसंधानकर्ताओं को बताया कि विधिक सेवा संस्थाओं का मूल कार्य सभी व्यक्तियों, विशेष कर वंचित या हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना है. अधिकारी कानूनी जागरुकता को बढ़ावा देने, कानूनी सहायता प्रदान करने और वंचितों को उनके अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी घटना के बाद पीड़ित से मिलने वाले पहले व्यक्ति होते हैं. जांच अधिकारी न्याय प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें साक्ष्य एकत्र करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों और पीड़ित के पुनर्वास के लिए कानूनी प्रावधानों का ज्ञान होना चाहिए. पीड़ितों के पुनर्वास, साक्ष्य संग्रह, पॉक्सो एक्ट, एमएसीटी (डार एवं फार) तथा महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रासंगिक प्रावधानों पर चर्चा की गयी.

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