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Purnia news : पूर्णिया में तरक्की की ख्वाहिशें, कुछ हुईं पूरी तो कुछ रह गयीं अधूरी

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Purnia news : वर्ष 2024 में हवाई उड़ान अभियान को मुकाम तो मिला, पर न तो वाशिंग पिट बना और न ही लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन पूर्णिया से शुरू हो सका.

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Purnia news : वक्त ने तेजी से करवट बदला है और इसी के साथ पूर्णिया ने भी कल और आज के बीच बड़ा फासला तय कर लिया है. चंद दिनों के बाद नया साल दस्तक देनेवाला है. दीवारों पर लगा कैलेंडर बदल जाएगा और उसकी जगह टंग जायेगा हमारे उमंग, उम्मीद और संकल्पों का कैलेंडर. उमंग होगा बीते हुए लम्हों को विदा करने एवं आनेवाले साल का गर्मजोशी से स्वागत करने का और उम्मीद होगी अधूरे रह गये पूर्णिया के विकास के सपनों को संवारने का, जिसमें अधूरी योजनाओं को पूरा किये जाने की आशा शामिल है. वैसे, वर्ष 2024 में हवाई उड़ान अभियान को मुकाम मिला, तो मन में बहुत कुछ न पाने की कसक भी रह गयी है, क्योंकि कई योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकीं.

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न तो वाशिंग पिट बना और न ही शुरू हो सकी लंबी दूरी की ट्रेन

रेल विकास के मामले में पूर्णिया के साथ ‘न माया मिली न मिले राम’ वाली कहावत चरितार्थ हुई है. घोषणाएं खूब हुईं, रेलवे बोर्ड से स्वीकृति भी मिली, पर न तो वाशिंग पिट बना और न ही लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन पूर्णिया से शुरू हो सका. वाशिंग पिट एक तरफ पूर्णिया कोर्ट और दूसरी तरफ जोगबनी में बनाया जाना है. याद रहे कि इस वर्ष कटिहार से अमृतसर जानेवाली आम्रपाली समेत कटिहार से खुलने वाली लंबी दूरी की सभी ट्रेनों का परिचालन जोगबनी से पूर्णिया होते हुए किये जाने की घोषणा की गयी थी. इतना ही नहीं पूर्णिया से सीधा पटना और दिल्ली के लिए कई नयी ट्रेन दिये जाने का भी भरोसा रेलवे बोर्ड ने दिया था. पूर्णिया कोर्ट स्टेशन पर बोर्ड की मंजूरी के बावजूद वाशिंग पिट नहीं बन सका. उधर, पूर्णिया के जलालगढ़-गलगलिया रेल परियोजना को ही निरस्त कर दिया गया. उम्मीद के बावजूद रेलवे की कई योजनाएं इस साल धरातल पर नहीं उतर सकीं.

धरातल पर नहीं उतर सकी वाटर स्पोर्ट्स योजना

शहर के मध्य भाग से गुजरनेवाली सौरा नदी में वाटर स्पोर्ट्स निर्माण की योजना धरातल पर नहीं उतर सकी. यही वजह है कि न्यू ईयर के जश्न के दौरान सौरा नदी की जलधारा के बीच पिकनिक मनाने और नौका विहार का सपना साकार नहीं हो पायेगा. राज्य सरकार द्वारा इस योजना की स्वीकृति के बाद इस मद में करीब डेढ़ करोड़ की मंजूरी भी हो गयी थी. इस योजना के तहत सौरा नदी में नौकाविहार की सुविधा मुहैया करायी जानी थी और नदी के तट को मरिन ड्राइव की शक्ल में सजाया जाना था. जानकारों की मानें, तो इसके लिए पहल शुरू की गयी थी पर पानी का लेबल नीचे चला गया था और कई तकनीकी बाधाएं भी आ गयी थीं. नागरिकों का कहना है कि इस योजना के शुरू हो जाने से शहर को नया लुक मिल सकता है.

अधर में है खादी मॉल निर्माण की योजना

जिला मुख्यालय में खादी मॉल निर्माण की योजना अब तक अधर में लटकी है. हालांकि इस वर्ष इसका निर्माण पूरा कर मॉल को शुरू कर देना था, पर तकनीकी अड़चनों के कारण निर्माण का मामला आधा-अधूरा पड़ा है. गौरतलब है कि शहर के गांगुली पाड़ा स्थित बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की 25 डिसमिल जमीन पर 12 करोड़ की लागत से खादी मॉल निर्माण की योजना बनायी गयी थी. इसके पीछे सोच यह थी कि मॉल खुलने से न सिर्फ खादी व ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों को फायदा होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आएगी और रोजगार का सृजन होगा. चूंकि अभी खादी का क्रेज फिर से बन गया है इसलिए स्थानीय नागरिक भी उम्मीद में थे कि मॉल खुल जाने से खरीदारी सहज हो जाएगी और इसके लिए पटना जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

शुरू नहीं हो सका आधुनिक बस पड़ाव

प्रमंडलीय मुख्यालय के बस पड़ाव को आधुनिक स्वरूप देने का सपना इस साल साकार नहीं हो सका. इस साल इस दिशा में सकारात्मक पहल की जानी थी. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर पूर्णिया में आधुनिक बस स्टैंड के निर्माण की योजना बनायी गयी थी और यह तय किया गया था कि इसी वर्ष इसका काम पूरा किया जाना है. बस पड़ाव के कायाकल्प के लिए न केवल योजना बनायी गयी, पर इसे अलग-अलग चरणों में पूरा करने के आदेश भी निर्गत किये गये. यह अलग बात है कि चालू वर्ष में आधुनिक बस पड़ाव से बस का सफर पूरा करने का सपना पूरा नहीं हो सका. याद रहे कि पूर्णिया न केवल पूर्वोत्तर भारत का गेटवे है, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के यात्री भी यहां पहुंचते हैं.

शहर में बहाल नहीं हो सका ड्रेनेज सिस्टम

यह विडंबना रही है कि नगर निगम के तमाम प्रयासों के बावजूद पूर्णिया शहर में स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज सिस्टम बहाल नहीं हो सका. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, प्रथम चरण में 87 करोड़ की लागत से स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज सिस्टम का टेंडर हुए लगभग एक वर्ष होने को हैं, पर इस पर काम शुरू नहीं हो सका. अहम यह है कि कि स्ट्राॅम वाटर ड्रेनेज सिस्टम के लिए जब डीपीआर बना था, तो उस समय शहर में 38 नालों का निर्माण होना था. यह महज संयोग है कि इस वर्ष बारिश का अनुपात काफी कम रहा अन्यथा बरसात के समय लोगों को फजीहत झेलनी पड़ती. गौरतलब है कि शहर में ड्रेनेज सिस्टम के लिए 2005 से लगातार प्रयास किया जा रहा है. इस बीच कई-कई बार मास्टर प्लान बनाया गया और उसका डीपीआर भी तैयार कराया गया, मगर पटना स्तर पर इसकी फाइल गुम होती रही. इस बार निगम के प्रयास से आस बंधी है, पर काम शुरू नहीं हो सका है.

अभी भी निर्माणाधीन हैं वेंडिंग जोन की दुकानें

पिछले कई सालों से उम्मीद लगाये शहर के फुटपाथी दुकानदार इस वर्ष वेंडिंग जोन का लाभ नहीं ले पाएंगे, क्योंकि वेंडिंग जोन की दुकानें अभी भी निर्माणाधीन हैं. वैसे निगम ने अपना काम लगातार जारी रखा है और शहर में एक दर्जन स्थानों पर वेंडिंग जोन के तहत दुकान बनाने के लिए प्रयासरत भी है. इतना तय है कि नये साल में उसका लाभ मिल जायेगा. गौरतलब है कि काफी पहले ही शहर में फुटपाथी दुकानदारों के लिए वेंडिंग जोन का निर्माण किया जाना था. इस वर्ष इसके लिए निगम की ओर से सकारात्मक पहल की गयी.

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