रांची. झारखंड चेंबर की पर्यावरण, प्रदूषण एवं माइंस एंड मिनरल उप समिति की बैठक मंगलवार को चेंबर भवन में हुई. बैठक में खनन पट्टे से पांच किलोमीटर की दूरी के अंदर ही क्रशर का संचालन करने के झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के निर्णय पर नाराजगी जतायी गयी. क्रशर संचालकों ने इस निर्णय को अतार्किक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. माइंस एंड मिनरल उप समिति के उप समिति के चेयरमैन नितेश शारदा ने कहा कि इस फैसले से कई क्रशर यूनिट बंद हो जायेगी. हजारों लोग बेरोजगार हो जायेंगे. इस अधिसूचना को लागू करने से न सिर्फ क्षेत्र विशेष की बेरोजगारी बढ़ेगी. बल्कि, पत्थर के बड़े भंडार का खनन रुक जायेगा. बैठक में चेंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी, डॉ अनल सिन्हा, मोइज अख्तर, श्वेतांक श्रीवास्तव, शंकर प्रसाद वर्मा, एमके सिंह, एवी किशोर, प्रेम शंकर मिश्रा, आरआर श्रीवास्तव आदि थे.
लेबर सेस की राशि एक समान रखना न्यायसंगत नहीं
रांची. आरसीसी भवनों के समान नन आरसीसी निर्माण पर लग रहे लेबर सेस पर पुनर्विचार के लिए झारखंड चेंबर का प्रतिनिधिमंडल श्रमायुक्त संजीव कुमार बेसरा से मिला. चेंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने कहा कि आरसीसी निर्माण की तुलना में नन आरसीसी संरचना की लागत दर काफी कम होती है. ऐसे में लेबर सेस की राशि एक समान रखना न्यायसंगत नहीं है. यह राशि नक्शा स्वीकृति के समय देनी होती है, लेकिन अधिक राशि के कारण कई लोग नक्शा ही पास नहीं कराते हैं. इस कारण एक तरफ लोगों के नन कंप्लायंस बढ़ रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर विभाग को भी टैक्स की हानि हो रही है. उन्होंने इस मामले की समीक्षा कर पूर्व की दर में किये गये संशोधन पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. साथ ही आरसीसी एवं नन आरसीसी निर्माण को अलग-अलग करने की अनुशंसा करने की बात कही, ताकि लेबर सेस के भुगतान में हो रही कठिनाइयों का समाधान निकले. प्रतिनिधिमंडल में अविराज अग्रवाल, प्रमोद सारस्वत, आर्किटेक्ट जिआउल रहमान शामिल थे.
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