डुमरिया. डुमरिया प्रखंड की धोलाबेड़ा पंचायत स्थित बारुनिया गांव में जंगल से सटे लुपुंगडीह सबर टोला में सबर परिवार मौत के साये में रहने को विवश हैं. इनके आवासों की दीवार टूटकर गिर रही है. कई आवास धंसने के कारण टेढ़े हो गये हैं. यहां सबर परिवार ‘मौत के घर’ में जिंदगी की तलाश कर रहे हैं. जर्जर मकान ऐसे हैं कि हल्का झटका से जमींदोज हो सकता है.
काली ईंट से बने मकान में खिड़की व दरवाजा नहीं
जानकारी के अनुसार, करीब 30 साल पहले इंदिरा आवास योजना से पक्के मकान बने थे. हालांकि, पदाधिकारियों की मिलीभगत से काली ईंट से निर्माण किया गया. इनमें आज न दरवाजा लगाया गया, न खिड़की. उसी अवस्था में इसे पूर्ण दिखाया गया. कुछ सबरों ने अपने खर्च से खिड़की लगायी. ऐसे में आज सबर परिवार दहशत के बीच रहने को विवश हैं.बिचौलिये गटक गये राशि
दरअसल, आदिम जनजाति के सबरों ने इसका विरोध तक नहीं किया, क्योंकि उन्हें योजना के संबंध में कोई जानकारी नहीं थीं. पदाधिकारियों ने बिचौलियों की मदद से जैसे-तैसे मकान बनवा दिया. सबरों को पक्का मकान मिलने की सूचना मिली थी, तब खुशी की ठिकाना नहीं था. पुराने मिट्टी व खपरैल से बने मकानों को तोड़कर पदाधिकारियों ने इनके लिए फ्लाई एश ईंट से मकान बनवा दिया.धंसने लगे हैं मकान, टूट रही दीवारों पर मिट्टी लेप रहे सबर
ग्रामीणों के बताया कि पूर्व बीडीओ मृत्युंजय कुमार के कार्यकाल में उन्हीं के प्रयास से सबरों को आवास मिला था. ये मकान अब धंसने लगे हैं. फ्लाई एश ईंट गिर रही है. कुछ सबर परिवार उसे मिट्टी लेपकर रोकने का असफल प्रयास कर रहे हैं. इन आवासों का छत की ढलाई मजबूत है, लेकिन दीवार गिर रही है. कई परिवार अभी भी ऐसे घरों के अंदर रह रहे हैं, जो कभी भी बड़े हादसे के शिकार हो सकते हैं.
लुपुंगडीह में 13 परिवार, 9 को मिला था आवास
लुपुंगडीह के 13 सबर परिवारों में 9 को आवास मिला था. ग्रामीणों के बताया सुदर्शन सबर, रथो सबर, बासुदेव सबर, बास्ता सबर, बुधनी सबर, गुरबा सबर, पिरूनाथ सबर, रुमड़ी सबर तथा काशीनाथ सबर को आवास मिला था. सभी का आवास घटिया काला ईंट से बना दिया गया.बच्चों को नहीं मिले स्वेटर, ठंड में ठिठुर रहे सबर
यहां के सबर बच्चे कड़ाके की ठंड में ठिठुरने के लिए विवश हैं. चारों ओर पहाड़ होने के कारण ठंड काफी ज्यादा है. ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी से अभी तक बच्चों को स्वेटर नहीं मिला है. पंचायत से हमें कंबल भी नहीं मिला है. हालांकि पिछले साल कंबल मिला था. यहां की सबरों की दशा की जांच वरीय पदाधिकारियों को एक बार करनी चाहिये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है