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Jamshedpur News : बालीगुमा व मतलाडीह में दोसोन उत्सव की रही धूम

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जमशेदपुर से सटे बालीगुमा व मतलाडीह में रविवार को दोसोन (जिल जोम) उत्सव मनाया गया.

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पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना कर परिवार व गांव की सुख-समृद्धि की कामना की

आदिवासी संताल बहुल गांव में हर पांच साल में एक बार मनाया जाता है यह पर्व

Jamshedpur News :

जमशेदपुर से सटे बालीगुमा व मतलाडीह में रविवार को पांच वर्ष में एक बार आयोजित होने वाला दोसोन (जिल जोम) उत्सव मनाया गया. संताल बहुल गांवों में दोसोन को लेकर उल्लास और उत्साह का माहौल रहा. ग्रामीणों ने सर्वप्रथम अपने ईष्ट देवी-देवता मरांगबुरू, जाहेरआये, लिटा व मोंणे का आह्वान कर पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की. उसके बाद नायके बाबा, माझी बाबा, पारानिक बाबा, जोग माझी बाबा की अगुवाई में ग्रामीणों ने देवी-देवताओं के चरणों में नतमस्तक होकर अपने परिवार व गांव की सुख, समृद्धि व उन्नति के लिए प्रार्थना की.

दोसोन अर्थात जिल जोम का उद्देश्य केवल आनंद और उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है. यह पर्व समाज के लोगों को परस्पर एक-दूसरे से जोड़कर रखता है. लोगों के बीच किसी कारण से बनी खाई को पाटता है. बालीगुमा व मतलाडीह में ग्रामीणों ने मांदर व नगाड़े की थाप पर नृत्य कर आनंद उत्सव मनाया.

लोगों को आपस में एक सूत्र में बांधे रखना ही पर्व का मकसद : माझी बाबा

बालीगुमा माझी बाबा रमेश मुर्मू ने बताया कि सामूहिक रूप से पकवानों का आनंद लेना ही इस पर्व का मकसद नहीं है, बल्कि समाज के लोगों के बीच आपसी प्रेम व भाईचारे को बनाये रखना तथा सामाजिक-सांस्कृतिक वजूद से जोड़ना इसका मकसद है. इस दोसोन पर्व में बेटी-दामाद खास अतिथि होते हैं. उनका विशेष रूप से आदर-सत्कार होता है. इसके साथ अपने नजदीक व दूर के सभी रिश्तेदारों को भी बुलाया जाता है, ताकि उनके साथ अनंत रिश्ता हमेशा बना रहे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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