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कैमूर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सात स्थलों का होगा विकास

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प्रकृति के बाजुओं के बीच बसे कैमूर के पहाड़ी सरहदों से घिरे सात पर्यटन स्थलों को पर्यटन विकास के दृष्टि से विकसित किया जायेगा.

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भभुआ. प्रकृति के बाजुओं के बीच बसे कैमूर के पहाड़ी सरहदों से घिरे सात पर्यटन स्थलों को पर्यटन विकास के दृष्टि से विकसित किया जायेगा. यह निर्णय नगर विकास व आवास विभाग बिहार सरकार के मंत्री सह प्रभारी मंत्री कैमूर द्वारा गत समीक्षात्मक बैठक में लिया गया. इन सात स्थलों के अलावा कैमूर में पर्यटन विकास के दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य नौ स्थलों की सूची भी पर्यटन विकास को लेकर सरकार को भेजी गयी है. गौरतलब है कि कैमूर जिले के सात पर्यटन स्थल जिसमें देश का अति प्राचीन मंदिर मां मुंडेश्वरी धाम, करकटगढ़ जलप्रपात, बख्तियार खां का मकबरा, बैजनाथ शिव मंदिर, तेल्हाड़ कुंड, जगदहवां डैम तथा हरसू ब्रह्म धाम लगभग दो वर्ष पूर्व ही पर्यटन के विकास को लेकर सरकार के सर्वेक्षित सूची में शामिल किये गये थे. बावजूद इसके इन स्थलों के पर्यटन विकास को लेकर कोई विशेष प्रशासनिक गतिविधि या सरकारी हलचल अब तक सरजमीं पर नहीं उतर सका है. जबकि, सर्वेक्षित सूची में शामिल मां मुंडेश्वरी मंदिर के शिखर तक जाने के लिए पिछले कई सालों से रोपवे निर्माण कराने की बात कही जा रही है. बावजूद इसके अब तक मुंडेश्वरी में रोपवे का निर्माण नहीं कराया जा सका है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार के कुछ गिने चुने मगरमच्छ स्पॉट केंद्र में शामिल जिले का करकटगढ़ जलप्रपात भी जिले का मिनी नियाग्रा जलप्रपात बताया जाता है. उसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सूबे के मनोरम स्थलों में एक कहा था और इसे पर्यटन के विकास के दृष्टि से विकसित करने की घोषणा की थी. यहां ठंड के मौसम में जलप्रपात से लगे चट्टानों पर मगरमच्छों के बच्चों की अठखेलियां देखने के लिए भी लोग जमे रहते हैं. इसी तरह जिले का तेल्हाड़ कुंड में पहाड़ से सैकड़ों फुट नीचे गोता लगा रहे पहाड़ी पानी की तरंगें और उठ रहे पानी के भाप का नजारा भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काफी है. पर्यटन विकास से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर गौरतलब है विंध्य पर्वत माला के पहाड़ी शृंखला के चौहद्दी में बसे कैमूर जिले के कई पठारी क्षेत्र में प्रकृति ने अपने अनुपम अवदानों को जी भर के बिखेरा है, जिन्हें सिर्फ सहेजने और संवारने की जरूरत है. यही नहीं कैमूर जिले में कभी आये गौतम बुद्ध की यात्रा के संदर्भ में जिले को बिहार के बौद्ध सर्किट क्षेत्र में भी शामिल किया गया है. अगर सरकार ने जिले के पर्यटन स्थलों को विकसित करने पर ध्यान दिया, तो यहां से पर्यटन विकास की लालिमा दूर-दूर तक निखरेगी. साथ ही स्थानीय स्तर पर व्यापक पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन होगा और लोगों को रोजगार मिलेगा. क्योंकि, कैमूर जिला एक कृषि प्रधान जिला है. यहां रोजगार के अवसर सीमित है, इसलिए जिले के विभिन्न भागों से कमाने के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों की राह पकड़ लेते हैं. इन्सेट पर्यटन विकास के लिए जिला प्रशासन स्तर से 16 स्थलों का चयन भभुआ. सरकार के सर्वेक्षित सूची में शामिल किये गये सात स्थलों के अतिरिक्त संभावित पर्यटन विकास वाले स्थलों के रूप में जिला प्रशासन द्वारा अन्य नौ स्थलों को भी शामिल किया गया है. इस तरह मिलाजुला कर पर्यटन विकास की संभावनाओं वाले स्थलों में जिला प्रशासन के स्तर से 16 स्थलों को चयनित किया जा चुका है, जिसमें से सात स्थलों का प्रस्ताव सरकार द्वारा सर्वेक्षित सूची में शामिल किया जा चुका है. जबकि, पर्यटन विकास वाले शेष नौ स्थलों की सूची में शिव मंदिर प्रखंड भगवानपुर, बखारी देवी मंदिर प्रखंड चैनपुर, सिद्धनाथ मंदिर, शेरावरी देवी मंदिर तथा छेरावरी शक्ति पीठ प्रखंड रामगढ़, कुलेश्वरी शक्ति पीठ प्रखंड दुर्गावती, नवदुर्गा शंकर मंदिर प्रखंड अधौरा, चोरघटिया घाटी प्रखंड भगवानपुर को शामिल किया गया है. इन शेष नौ स्थलों को भी ए, बी और सी श्रेणी में विभाजित कर इसका प्रस्ताव पर्यटन विभाग बिहार सरकार को नवंबर 2022 में ही भेजा जा चुका है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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