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तमिल में रचित कम्ब रामायण पर दिखता है वाल्मीकि रामायण का प्रभाव : प्रो.श्री प्रकाश

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भारतीय भाषा उत्सव के अवसर पर केविवि में व्याख्यान का आयोजन किया गया.

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मोतिहारी. भारतीय भाषा उत्सव के अवसर पर केविवि में व्याख्यान का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के संस्कृत विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. श्रीप्रकाश पाण्डेय रहे तथा अध्यक्षता गांधी भवन परिसर के निदेशक एवं विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने की. प्रो. पाण्डेय ने कहा कि जिस प्रकार हमें अपनी भाषा प्रिय लगती है उसी प्रकार तमिल क्षेत्र वालों को तमिल भाषा प्रिय लगती है .तमिल भाषा पर संस्कृत का अत्यन्त प्रभाव दिखाई पड़ता है. प्रो. पाण्डेय ने बताया कि वाल्मीकि रामायण का प्रभाव तमिल भाषा में रचित कम्ब रामायण पर दिखाई पड़ता है. संस्कृत भाषा किसी भी भाषा के विरोध में नहीं है, अपितु पूरक है. कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने कहा कि अपनी मातृभाषा के साथ ही दूसरों की मातृभाषा का भी आदर करना चाहिए, जिससे आपस में सामंजस्य बना रहे. कार्यक्रम के संयोजक डॉ. श्याम कुमार झा ने भारतीय भाषा उत्सव के विषय में प्रकाश डालते हुए बताया कि विभिन्न भाषाओं में एक दूसरे से सामंजस्य रखते हुए बहुत से पर्यायवाची शब्द हैं. हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सुब्रह्मण्यम भारती की तुलना मैथिली शरण गुप्त से की जा सकती है और उनका भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. बबलू पाल ने किया. संचालन संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विश्वजीत बर्मन् ने किया. मौेके पर डॉ. सरिता तिवारी, डॉ नरेंद्र आर्य, डॉ मुकेश कुमार, डॉ पंकज कुमार,डॉ अनुपम वर्मा, डॉ नरेन्द्र सिंह, डॉ उपमेश तलवार, डॉ युगल किशोर दाधीच सहित विभिन्न विभागों के आचार्य तथा शोध छात्र उपस्थित रहे.

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