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सहायक प्राध्यापक को शोध के लिए 20 लाख रुपये का मिला अनुदान

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गया न्यूज : विकसित भारत @ 2047 पर आधारित परियोजना पर शोध के लिए डॉ रिकिल चिरमंग को आइसीएसएसआर से मिला अनुदान

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गया न्यूज : विकसित भारत @ 2047 पर आधारित परियोजना पर शोध के लिए डॉ रिकिल चिरमंग को आइसीएसएसआर से मिला अनुदान

गया़

सीयूएसबी के आर्थिक अध्ययन व नीति विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रिकिल चिरमंग को विजन विकसित भारत @ 2047 पर आधारित परियोजना पर शोध के लिए भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद (आइसीएसएसआर), नयी दिल्ली से 20 लाख रुपये का सहयोगात्मक अनुदान मिला है. इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह, कुलसचिव प्रो नरेंद्र कुमार राणा के साथ आर्थिक अध्ययन व नीति विभाग के अध्यक्ष प्रो कृष्णन चलिल व विभाग के अन्य प्राध्यापकों ने डॉ रिकिल चिरमंग व उनकी टीम को बधाई दी. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि आठ माह की अवधि वाली इस शोध परियोजना में डॉ रिकिल चिरमंग के शोधकर्ताओं की टीम में देशभर के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों से डॉ विशाखा कुटुम्बले (देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश), डॉ स्वाति जैन (इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश), डॉ गरिमा मिश्रा (यूजीसी महिला अध्ययन केंद्र, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, राजस्थान) व सुनीला सहस्रबुद्धे (अध्यक्ष, इएसजी, बायोकॉन पर्यावरण विज्ञान, बायोकॉन लिमिटेड बेंगलुरु, कर्नाटक) शामिल हैं.

विभागाध्यक्ष प्रो कृष्णन चलिल ने बताया कि यह सीयूएसबी के सामाजिक विज्ञान संकाय की ओर से अपनी तरह की पहली सहयोगात्मक परियोजना है. उन्होंने बताया कि डॉ चिरमंग सहित शोधकर्ताओं की टीम को आइसीएसएसआर को प्रस्तुत शोध प्रस्ताव का विषय भारत के सशक्त कार्य समूह राज्यों (इएजी) के आकांक्षी जिलों में जनजातीय घरेलू खाद्य सुरक्षा का लिंग निर्धारण पर अध्ययन करना है. इस परियोजना को विजन विकसित भारत @ 2047 के लिए विशेष आह्वान के तहत पुरस्कृत किया गया है व विशेषज्ञ समिति ने इसे श्रेणी ए के अंतर्गत अनुमोदित किया है.

लिंग गतिशीलता का पता लगाना

इस शोध परियोजना का उद्देश्य जनजातीय घरेलू खाद्य सुरक्षा में लिंग गतिशीलता का पता लगाना है. विशेष रूप से आकांक्षी जिलों के रूप में नामित क्षेत्रों में विजन विकसित भारत @ 2047 के अनुरूप सतत विकास के बड़े लक्ष्य की दिशा में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करना है. यह परियोजना आदिवासी समुदायों के बीच खाद्य सुरक्षा को समझने व बढ़ाने, कमजोर आबादी में लैंगिक समानता और सशक्तीकरण के मुद्दों को संबोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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