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इलेक्ट्रिक, कॉमर्शियल व भारी वाहन का अलग-अलग ड्राइविंग लाइसेंस

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वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है, इसमें प्राइवेट वाहन के अतिरिक्त इलेक्ट्रिक, सीएनजी अन्य कॉमर्शियल व व्यवसायिक वाहन के लिए यह आवश्यक है.

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वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है, इसमें प्राइवेट वाहन के अतिरिक्त इलेक्ट्रिक, सीएनजी अन्य कॉमर्शियल व व्यवसायिक वाहन के लिए यह आवश्यक है. लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस पर आप जिस वाहन को चलाते हैं, वह अंकित रहता है. प्राइवेट लाइसेंस की तरह ही इलेक्ट्रिक, सीएनजी और चार पहिया कॉमर्शियल वाहनों का लाइसेंस जारी होता है, जिसमें आवेदक ऑनलाइन आवेदन के समय ड्राइविंग लाइसेंस के ऑप्शन में इलेक्ट्रिक, सीएनजी, फोर व्हीलर कॉमर्शियल अंकित करेंगे. इसके बाद पहले आवेदक का लर्निंग लाइसेंस बनता है. अलग अलग वाहनों के चलाने के लाइसेंस शुल्क अलग-अलग निर्धारित है. जिस वाहन का ऑप्शन सलेक्ट करते हैं उसके अनुसार चालान का शुल्क तय है. आवेदन के बाद चालान कटाते हैं और फिर लर्निंग लाइसेंस का कंप्यूटर पर जाकर टेस्ट देना है. लर्निंग लाइसेंस में फेल होने पर उन्हें दोबारा मौका मिलता है, फिर से स्लॉट बुक करना होता है. जब लर्निंग लाइसेंस बन जाता है, जिसकी वैद्यता छह माह होती है. लर्निंग बनने के एक माह के बाद चालक फाइनल लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं, इसके बाद ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर जाकर टेस्ट देना होता है. इसमें पास पर लाइसेंस जारी होता है. जो बाइ पोस्ट वाहन चालक के पते पर पहुंचता है. डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि सभी प्रकार के वाहनों को चलाने के लिए अलग अलग लाइसेंस जारी होता है. विभाग के वेबसाइट पर जाकर और ऑफिस के हेल्प डेस्क पर लोग इस संबंध में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं. इसके बाद अपने आवश्यकता अनुसार लाइसेंस का आवेदन करे. हेवी व्हीकल कॉमर्शियल ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट जरूरी चार चक्का से ऊपर भारी वाहनों को चलाने के लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट देना होता है. इसका लाइसेंस बनवाने के लिए लर्निंग लाइसेंस का आवेदन होता है. एमवीआइ राकेश रंजन ने बताया कि लर्निंग लाइसेंस के बाद चालक को मोटर ट्रेनिंग स्कूल वाहन के प्रकार के हिसाब से 15 से 25 दिनों का प्रशिक्षण लेना होता है. उस प्रशिक्षण के बाद ट्रेनिंग स्कूल द्वारा प्रमाण पत्र दिया जाता है. उसी प्रमाण पत्र के आधार पर भारी वाहन को चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस जारी होता है. भारी वाहनों के लाइसेंस का रिनुवल पहले तीन साल पर होता था जो अब पांच साल पर किया जाता है. भारी वाहन में मालवाहक वाहनों को चलाने वाले, जेसीबी, रोड रोलर, ड्रिल मशीन, मशीनरी वाले वाहन सहित अन्य सभी प्रकार के भारी वाहन को चलाने के लिए अलग से ड्राइविंग लाइसेंस जारी होता है. इसी तरह यात्री बस को चलाने के लिए अलग से लाइसेंस जारी होता है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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