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औरंगाबाद: सदर अस्पताल कर्मियों का सामने आया अमानवीय चेहरा, बीमार मरीज को बाहर फेंका

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औरंगाबाद सदर अस्पताल में पीके मेडिकल स्टोर के पास खड़े थे तभी उपाधीक्षक वहां आये व आदेश दिया कि दो मानसिक रूप से विक्षिप्त मरीज छह–सात दिन से अस्पताल में हैं जो अशांत है एवं वार्ड को काफी गंदा कर रहे हैं. उनको बाहर कर दो..

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औरंगाबाद सदर अस्पताल के अधिकारियों की लापरवाही का एक हृदय विदारक वाकया सामने आया है. इस मामले में एएसआई दीपक कुमार राय ने बारुण थाने में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक व मैनेजर सहित सात कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करायी है. घटना एक लावारिस, मानसिक विक्षिप्त व गंभीर रूप से बीमार मरीज को यूं ही मरने के लिए छोड़ देने से संबंधित है. पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब उसकी लाश मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की.

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गौरतलब है कि 12 नवंबर, 2024 की देर रात सदर अस्पताल के एंबुलेंसकर्मियों ने उक्त गंभीर मरीज को बारुण प्रखंड के पोखराही के समीप एक सुनसान जगह पर छोड़ दिया. इस मामले में बारुण के थाने के पुलिस अवर निरीक्षक दीपक कुमार राय को सूचना मिली. जांच के दौरान शव एक सफेद व लाल चादर में लिपटा था. सफेद चादर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बिहार, औरंगाबाद लिखा था.

बारुण थाने में यूडी केस दर्ज

इसके बाद अज्ञात शव का पोस्टमार्टम कराकर 14 नवंबर को बारुण थाने में यूडी केस दर्ज किया गया. जांच के क्रम में स्थानीय व्यक्ति विनेश कुमार व अन्य द्वारा बताया गया कि एक एंबुलेंस पोखराही से आया व उस अज्ञात व्यक्ति का शव पोखराही देवी मंदिर के पास पेड़ के नीचे फेंककर सिरिस की ओर भाग गया. घटनास्थल के आस पास के सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन में भी एक एंबुलेंस को पोखराही से घटनास्थल होते हुए सिरिस मोड़ की ओर आते हुए पाया गया.

जांच के क्रम में सदर अस्पताल के मैनेजर हेमंत राजन से बातचीत की गयी. बताया गया कि 12 नवंबर को दो अज्ञात मरीजों को यहां से बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया था, जिसे सरकारी एंबुलेंस के चालक शिवशंकर, एमइटी हरेंद्र कुमार व स्ट्रेचर मैन सुरंजन कुमार लेकर जा रहे थे. रेफर के कागजात प्रस्तुत नहीं किये गये. हरेंद्र व सुरंजन कुमार को बारुण थाना बुलाकर पूछताछ की गयी तो मामले का खुलासा हुआ.


क्या है पूरा घटनाक्रम

हरेंद्र व सुरंजन कुमार ने पुलिस को बताया कि 12 नवंबर की सुबह में सदर अस्पताल में पीके मेडिकल स्टोर के पास खड़े थे तभी उपाधीक्षक वहां आये व आदेश दिया कि दो मानसिक रूप से विक्षिप्त मरीज छह–सात दिन से अस्पताल में हैं जो अशांत है एवं वार्ड को काफी गंदा कर रहे हैं. दोनों मरीजों को ले जाकर बाहर देहात के क्षेत्र में छोड़ दो. अज्ञात लोगों को ले जाने से तैयार नहीं होने पर उपाधीक्षक द्वारा हॉस्पिटल मैनेजर हेमंत राजन को कहा गया.

इसके बाद मैनेजर ने सुपरवाइजर शैलेश कुमार मिश्रा को कहा व उनके द्वारा स्ट्रेचर मैन सुरंजन कुमार व स्ट्रेचर मैन धर्मपाल को कहा गया. उक्त एंबुलेंस के ड्राइवर शिव शंकर कुमार व एमइटी हरेंद्र कुमार द्वारा एंबुलेंस को इमरजेंसी गेट के पास लगा दिया गया, जिसके बाद दोनों मरीज को एंबुलेंस में रख दिया गया.

जिस समय दोनों मरीज को एंबुलेंस में रखा गया, उस समय एक ठीक था तथा दूसरा मरीज गंभीर था, लेकिन जिंदा था. टेंगरा मोड़ से आगे नहर के पास जो मरीज ठीक था उसे छोड़ दिया तथा दूसरा जो सीरियस था उसे पोखराही के पास एंबुलेंस से निकाल कर सड़क के किनारे बाहर रख दिया. सड़क किनारे रखते उसकी मौत हो गयी.

घटना के बाद हुई उच्चस्तरीय जांच

पुलिस के अनुसार जांच के क्रम में अस्पताल कर्मियों की लापरवाही स्पष्ट रूप से नजर आयी है. अंतत: इस मामले की प्राथमिकी बारुण थाने में दर्ज की गयी है. धारा 105 यानी गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है. बारुण थाने के पुलिस अवर निरीक्षक दीपक कुमार राय के बयान पर प्राथमिकी हुई है, जिसमें सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कुमार आशुतोष सिंह, प्रबंधक हेमंत राजन, सुपरवाइजर शैलेश कुमार मिश्रा, एंबुलेंस के एमइटी हरेंद्र कुमार, दूसरे एंबुलेंस के चालक शिवशंकर कुमार, स्ट्रेचरमैन सुरंजन कुमार और धर्मपाल कुमार को आरोपित बनाया गया है.

इधर, डीएम द्वारा भी एक कमेटी गठित कर जांच करायी गयी. डीडीसी अभ्येंद्र मोहन सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किशोर कुमार व जिला कल्याण पदाधिकारी सुरेश कुमार को टीम में शामिल किया गया. जांच कमेटी द्वारा भी अपने संयुक्त जांच प्रतिवेदन में अमानवीय व्यवहार करते हुए सुनसान जगह पर मरीजों को फेंकने की बात की पुष्टि करते हुए विधि-सम्मत कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी.


डॉक्टर पर होगी कार्रवाई तो कैसे सुधरेगी व्यवस्था : उपाधीक्षक

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर आशुतोष कुमार ने बताया कि उन पर जो आरोप है वह बेबुनियाद है. जब डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर ही कार्रवाई होगी तो स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार कैसे आयेगी. इस तरह के दबाव और परेशानी में काम करना मुश्किलों से भरा है. सदर अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने के लिए काफी प्रयास किया.चीजें बेहतर भी हुईं. साजिश के तहत परेशानी पैदा की जा रही है.

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