15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 03:30 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Non Vegetarian Dal: इस दाल को माना जाता है मांसाहारी, ब्राह्मण और साधु-संत नहीं करते सेवन, जानें कारण

Advertisement

Non Vegetarian Dal: दाल में पाए जाने वाला पौष्टिक तत्व शरीर को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. लेकिन एक दाल ऐसी भी होती है, जिसे मांसाहारी माना जाता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Non Vegetarian Dal: आमतौर पर भारत के सभी घरों में एक वक्त दाल जरूर बनता है, क्योंकि यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. दाल में पाए जाने वाला पौष्टिक तत्व शरीर को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. लेकिन एक दाल ऐसी भी होती है, जिसे मांसाहारी माना जाता है. ब्राह्मण और साधु-संत उस दाल को अपने भोजन में शामिल नहीं करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि वह दाल कौन-सी है और उसके मांसाहारी होने के पीछे की क्या मान्यताएं हैं.

- Advertisement -

Also Read: Breakfast Tips: ब्रेकफास्ट के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, देखते ही देखते बढ़ने लगेगा वजन

Also Read: Winter Health Care Tips: सर्दियों में रहना है स्वस्थ तो इन चीजों को आज ही डाइट से करें अलविदा

इस दाल को माना जाता है मांसाहारी

भारत में अरहर, उड़द, और मूंग जैसे कई तरह की दालों की किस्म पाई जाती हैं. उन्हीं में से एक लाल मसूर की दाल भी होती है, जिसे मांसाहारी माना जाता है. जो साधु-संत वैष्णव संप्रदाय के नियमों का पालन करते हैं, वे लाल मसूर की दाल का सेवन करने से बचते हैं.

ये है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने स्वरभानु नामक राक्षस का संहार किया था तो वह मरा नहीं. उसका शरीर दो टुकड़ों में विभाजित हो गया, जिसमें सिर राहु और धड़ केतु कहलाया. जब मस्तक कटा तो खून की कुछ बूंदें नीचे गिरी, जिससे लाल मसूर की दाल पैदा हुई. इसी वजह से ही वैष्णव संप्रदाय से संबंध रखने वाले साधु-संत इस दाल को नहीं खाते हैं.

ये भी है मान्यताएं

लाल मसूर में हाई प्रोटीन पाया जाता है, जिसके कारण यह काम शक्ति, क्रोध और सुस्ती को बढ़ाती है. इसे तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है. जिसकी वजह से ब्राह्मण और साधु-संत लाल मसूर का सेवन करना पसंद नहीं करते हैं. मान्यता यह भी है कि लाल मसूर, मांसाहारी भोजन, प्याज और लहसुन की तरह ही नकारात्मकता को बढ़ावा देती है.

Also Read: Rarest Blood Group: सोने से भी बढ़कर है यह ब्लड ग्रुप, दुनिया में मिला सिर्फ 45 लोगों में, जानें खूबी

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें